देश में 11 पेमेंट बैंकों को मंजूरी मिलने से बदलेगा लेन-देन का तरीका

भारतीय रिजर्व बैंक ने देश में 11 पेमेंट बैंकों को काम शुरू करने की मंजूरी दी है. इससे खरीदारी करने पर रकम भुगतान और बिल पेमेंट के साथ रकम ट्रांसफर दूरदराज के इलाकों में भी आसानी से हो सकेगा.इसके लिए शाखा खोलने की भी जरूरत नहीं होगी. क्या है यह बैंकिंग सिस्टम, कैसे कार्य करेगा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 24, 2015 11:35 PM
भारतीय रिजर्व बैंक ने देश में 11 पेमेंट बैंकों को काम शुरू करने की मंजूरी दी है. इससे खरीदारी करने पर रकम भुगतान और बिल पेमेंट के साथ रकम ट्रांसफर दूरदराज के इलाकों में भी आसानी से हो सकेगा.इसके लिए शाखा खोलने की भी जरूरत नहीं होगी. क्या है यह बैंकिंग सिस्टम, कैसे कार्य करेगा और इससे आम लोगों को किस तरह होगा फायदा आदि समेत इससे जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को बता रहा है नॉलेज..
सतीश सिंह
लेखक बैंक अधिकारी हैं
भुगतान बैंक के लिए आये 41 आवेदनों में से 11 आवेदकों को हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने लाइसेंस दिया है.लाइसेंस पाने वालों में आदित्य बिड़ला नुवो लिमिटेड, एयरटेल एम-कॉमर्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टेक महिंद्रा, वोडाफोन एम-पैसा, भारतीय डाक विभाग, नेशनल सिक्योरिटी डिपोजिट लिमिटेड, फिनो पे टेक लिमिटेड, चोलामंडलम डिस्ट्रीब्यूशन सर्विस लिमिटेड, दिलीप सिंघवी (सन फार्मास्युटिकल के संस्थापक) और विजय शंकर शर्मा (पेटीएम के सीइओ) हैं.
लाइसेंस प्राप्त आवेदकों को 100 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी के साथ 18 महीनों के अंदर परिचालन शुरू करना होगा.
प्रवर्तकों को आरंभ में ही पांच साल तक के लिए कम-से-कम 40 प्रतिशत अपना न्यूनतम योगदान देना सुनिश्चित करना होगा. वैसे चार सालों के अंदर शुरुआती पूंजी को बढ़ा कर 400 करोड़ रुपये करने का भी प्रस्ताव है. इस नये तरह के बैंकों पर अन्य बैंकों की तरह सीआरआर सुनिश्चित करने की भी बाध्यता रहेगी.
भुगतान बैंक का स्वरूप सामान्य बैंक से अलग होगा. मौजूदा बैंक नकदी जमा और निकासी पर लेन-देन शुल्क नहीं लेते हैं, क्योंकि वे जमा राशि का उपयोग ब्याज पर कर्ज देने में करते हैं, जबकि भुगतान बैंक जमा राशि का इस्तेमाल कर्ज देने में नहीं कर सकेंगे. भुगतान बैंक लाभ अर्जित करने के लिए लेन-देन पर शुल्क लगायेंगे.
कैशलेस ट्रांजेक्शन
माना जा रहा है कि भुगतान बैंक कैशलेस ट्रांजेक्शन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा, क्योंकि इस बैंक में नकदी के लेन-देन की गुंजाइश कम होगी.
मौजूदा समय में भुगतान नकदी, डेबिट या क्रेडिट कार्ड के जरिये किया जाता है. डेबिट या क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भुगतान करने के लिए ग्राहक समान्यत: अपना कार्ड दुकानदार को देता है. दुकानदार बैंक द्वारा दी गयी मशीन में उसे स्वैप करता है. उसके बाद ग्राहक कार्ड का पिन या पासवर्ड डालते हैं, जिसके बाद पॉइंट ऑफ सेल में भुगतान होता है.
पॉइंट ऑफ सेल
भुगतान बैंक के आगाज के बाद ग्राहक डेबिट कार्ड के बगैर मोबाइल की मदद से अपने खाते से रकम दुकानदार के खाते में ट्रांसफर कर सकेगा. हालांकि, भुगतान बैंक डेबिट कार्ड भी जारी कर सकेंगे, जिसका इस्तेमाल सभी एटीएम और पॉइंट ऑफ सेल में किया जा सकेगा.
इस नजरिये से देखा जाये तो भुगतान बैंक बगैर डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड दोनों से कैशलेस ट्रांजेक्शन करने में ग्राहकों की मदद करेगा, लेकिन इसका यूएसपी मोबाइल के जरिये भुगतान करने में होगा.
टेलीकॉम मर्चेट
मोबाइल की मदद से भुगतान करने के लिए भुगतान बैंक टेलीकॉम मर्चेट के साथ करारनामा करेंगे, ताकि उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिकली किसी भी सेवा का भुगतान कर सकें. अब रोजमर्रा की जरूरतों जैसे, किराना का सामान, रेस्टोरेंट का बिल, पेट्रोल, टिकट आदि का भुगतान मोबाइल से किया जा सकेगा.
भुगतान बैंक ग्राहकों को मोबाइल के जरिये रकम हस्तांतरण की सुविधा मुहैया करायेगा. यह विदेशी यात्रियों को फोरेक्स कार्ड एवं अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग के विविध उत्पाद मौजूदा उपलब्ध उत्पादों से सस्ती दर पर मुहैया करायेगा.
भुगतान बैंक थर्डपार्टी कार्ड भी जारी करेगा, जिसका नाम एप्पल रखा गया है. कहा जा सकता है कि यह आनेवाले दिनों में कैशलेस ट्रांजेक्शन का सबसे बड़ा वाहक हो सकता है.
मौजूदा बैंकों के प्रतिद्वंद्वी नहीं
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के मुताबिक, भुगतान बैंक पहले से मौजूद बैंकों के प्रतिद्वंद्वी नहीं होंगे, बल्किवे उनके पूरक की तरह कार्य करेंगे. बैंकिंग प्रणाली में भुगतान बैंक की भूमिका एकदम अलग होगी.
सेवा में सुधार करते हुए वे जरूरतमंद लोगों तक बैंकिंग उत्पाद पहुंचाने का कार्य करेंगे, लेकिन तमाम ऐसे आश्वासनों के बावजूद भुगतान बैंक खुदरा जमा एवं डिजिटलाइजेशन के संदर्भ में छोटे सरकारी बैंकों से बेहतर होंगे.
हालांकि, बड़े सरकारी बैंकों जैसे भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और निजी बैंकों में कोटक महिंद्रा, यस बैंक, एक्सिस बैंक, आइसीआइसीआइ बैंक आदि पर नकारत्मक असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि वे पहले से ही सूचना एवं प्रौद्योगिकी से लैस हैं.
साथ ही, भुगतान बैंक की तरह काम करने के लिए वे टेलीकॉम कंपनियों के साथ करार भी करनेवाले हैं. फिर भी, इस संदर्भ में भारतीय डाकघर विभाग से मौजूदा बैंकों को जबर्दस्त चुनौती मिलना तय है.
भारत में मोबाइल उपभोक्ताओं की बड़ी संख्या भुगतान बैंक के लक्ष्य को पूरा करने में मददगार हो सकती है.जाहिर है, बदलते आर्थिक परिवेश में भुगतान बैंक की सार्थकता को खारिज नहीं किया जा सकेगा, क्योंकि यह वित्तीय समावेशन को अमलीजामा पहनाने और लोगों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने की दिशा में सार्थक भूमिका निभा सकता है. इसलिए हमें इनके परिचालन का इंतजार करना चाहिए.
ट्रांजेक्शन शुल्क से आमदनी
कहा जा रहा है कि भुगतान बैंक की नजर नकदी लेन-देन पर लगनेवाले शुल्क से हर साल करोड़ों-अरबों रु पये की अतिरिक्त आय प्राप्त करने पर है.
कंपनियां लेन-देन पर दो से तीन प्रतिशत शुल्क लगा सकेंगी. एक तरफ प्रेषित की जानेवाली रकम पर दो प्रतिशत और दोनों तरफ रकम हस्तांतरण करने पर तीन प्रतिशत शुल्क लगाया जायेगा, लेकिन बड़ी रकम के मामले में शुल्क में रियायत दी जा सकती है.
शुरू में नकदी प्रबंधन की लागत दोनों तरफ लेन-देन करने पर लगभग दो प्रतिशत और एक तरफ हस्तांतरण करने पर तकरीबन एक प्रतिशत होगा. देश में अब भी करीब 18 करोड़ परिवारों के पास बैंकिंग सुविधाएं नहीं है.
इसके मद्देनजर लाइसेंस प्राप्त करनेवाले उम्मीद कर रहे हैं कि एक परिवार हर साल लगभग 18,000 रु पये खर्च करेंगे, जिससे उन्हें कारोबार में प्रतिवर्ष करीब 3,24,000 करोड़ रु पये तक हासिल होंगे, जिस पर तीन प्रतिशत की दर से लेन-देन शुल्क लगा कर वे लगभग 10,000 करोड़ रु पये हर साल कमा सकते हैं.
पेमेंट बैंक को जानें
रिजर्व के निर्देशानुसार भुगतान बैंक में चालू एवं बचत खाते के तहत एक लाख रुपये तक की जमा राशि स्वीकार की जा सकेगी. यह बैंक एटीएम या डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग आदि की सुविधा दे सकेगा, लेकिन क्रेडिट कार्ड एवं कर्ज देने की अनुमति इसे नहीं होगी.
इस बैंक को एक साल तक की परिपक्वता वाले सरकारी बॉन्डों में उनकी मांग का न्यूतनम 75 प्रतिशत निवेश करना अनिवार्य होगा, जबकि अधिकतम 25 प्रतिशत जमाएं बैंकों के सावधि व मियादी जमाओं के रूप में रखी जा सकेगी. भुगतान बैंक में रकम जमा और निकासी की जा सकेगी. यह चेकबुक जारी करने एवं बीमा करने का भी कार्य कर सकेगा.
इन्हें शाखाओं के विस्तार या एटीएम नेटवर्क पर भारी-भरकम पूंजी लगाने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि यह अपने प्रतिबद्ध प्रतिनिधियों की मदद से लक्ष्य को पूरा करने एवं अपने उत्पादों को लोकप्रिय बनाने में सक्षम होगा.
ब्रांच खोलने की जरूरत नहीं
रिजर्व बैंक के निर्देशों के मुताबिक, भुगतान बैंकों को शाखा खोलने की जरूरत नहीं होगी. यह ग्राहक संपर्क केंद्रों की मदद से परिचालन करने में समर्थ होगा.
दूसरे शब्दों में कहा जाये तो इस बैंक का परिचालन मोहल्ले के किसी भी दुकान आदि के जरिये हो सकेगा, क्योंकि इसकी कार्यप्रणाली सरल होगी. ग्राहक मोबाइल पर प्राप्त पासवर्ड को बैंक द्वारा दी गयी मशीन में डाल कर भुगतान कर सकेगा.
भुगतान बैंक का मकसद तीन साल के अंदर 5.94 लाख गांवों और 5,000 शहरों तक अपनी पैठ बनाने की है, क्योंकि सरकार चाहती है कि इसका विस्तार देश के दूरदराज इलाकों तक हो.
मौजूदा प्रणाली भी होगी बेहतर
वैसे बिलों का भुगतान, ट्रेन टिकट की बुकिंग, रकम ट्रांसफर आदि कार्य को अमलीजामा पहनाना आसान है.इंटरनेट बैंकिंग के जरिये रकम ट्रांसफर करने के लिए बैंक का आइएफएससी कोड डालना, खाता संख्या डालना, लाभार्थी को जोड़ना आदि कार्य करना होता है. माना जा रहा कि भुगतान बैंक के आने से ग्राहकों को इन सब झमेलों से छुटकारा मिल जायेगा.
भुगतान बैंक की मुश्किलें
मौजूदा समय में कुछ बैंक सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप आदि की मदद से भी रकम ट्रांसफर की सुविधा मुहैया करा रहे हैं, लेकिन ये लोकप्रिय माध्यम नहीं हैं.
साथ ही इस प्रणाली में जोखिम भी है. ऐसी समस्या भुगतान बैंक के समक्ष भी आ सकती है. अकसर ग्राहक नयी सुविधाओं का इस्तेमाल करने से बचना चाहते हैं.
ऐसा डर की वजह से होता है. हालांकि, इसके पीछे जागरुकता की कमी और अशिक्षा भी महत्वपूर्ण कारण हैं. अब भुगतान बैंक की मदद से डिजिटल तकनीक का फायदा उठाते हुए लोग आसानी से नयी प्रणाली को अपना लेंगे, कहना मुश्किल है.
कहां से मिली प्रेरणा और इसकी यात्रा
भारत में भुगतान बैंक शुरू करने की प्रेरणा नचिकेत मोर समिति को केन्या में 2007 में वोडाफोन द्वारा शुरू की गयी एम-पैसा सर्विस से मिली. वहां भुगतान बैंक वोडाफोन के एम-पैसा के माध्यम से रकम का हस्तांतरण, भुगतान आदि कार्य करता है.
केन्या की जीडीपी में वोडाफोन के एम-पैसा की सहभागिता व्यापक है. भारत में इसी तर्ज पर भुगतान बैंक शुरू करने के लिए रिजर्व बैंक ने 2013 में एक चर्चा पत्र जारी किया, जिसके आधार पर नचिकेत मोर समिति का गठन 23 सितंबर, 2013 को किया गया.
सात जनवरी, 2014 को इस समिति ने अपनी सिफारिश रिजर्व बैंक सौंप दिया. 17 जुलाई, 2014 को रिजर्व बैंक ने इस दिशा में भुगतान बैंक के लिये ड्राफ्ट दिशा-निर्देश व 27 नवंबर, 2014 को अंतिम दिशा-निर्देश जारी किया.
रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल के सदस्य नचिकेत मोर की अध्यक्षता वाली बाह्य परामर्श समिति (इएसी) ने प्राप्त आवेदनों की जांच करके अपनी सिफारिश छह जुलाई, 2015 को रिजर्व बैंक को सौंपी, जिसके आधार पर 19 अगस्त, 2015 को रिजर्व बैंक ने लाइसेंस जारी किया.
विदेशों में भुगतान बैंक का सफर
भले ही भारत में भुगतान बैंक का आगाज अभी हुआ है, लेकिन विदेशों में खासकर यूरो जोन के देशों में यह काफी समय से कार्यरत है.
यूरोपीय देशों में डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट के द्वारा ‘पोस्टल गिरो’ जैसी योजना के माध्यम से नागरिकों को यूरो जोन के सदस्य देशों के बीच मोबाइल के जरिये रकम हस्तांतरण, भुगतान आदि की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही थी. आयरलैंड में बैंक ऑफ आयरलैंड साल के 365 दिन मोबाइल के जरिये अपने ग्राहकों को भुगतान एवं रकम हस्तांतरण की सुविधा मुहैया कराता है.
केन्या में मोबाइल के जरिये भुगतान करना एवं रकम हस्तांतरण करना, जिसे एम-पैसा कहा जाता है, सरल प्रक्रि या है. इसे सफारी डॉट कॉम द्वारा 2007 में शुरू किया गया था. चीन में भी मोबाइल के जरिये भुगतान एवं रकम हस्तांतरण करना बहुत ही लोकिप्रय है. अमेरिका में आइएमपीएस प्रणाली द्वारा मोबाइल से भुगतान व रकम ट्रांसफर किया जाता है.
ऐसा नहीं है कि मोबाइल के जरिये भुगतान की व्यवस्था हर देश में सफल रही है. जर्मनी में पे बॉक्स, स्पेन में मोबीपे, स्विट्जरलैंड में पोस्टफाइनेंस, साउथ कोरिया में मोनेटा आदि असफल हो चुकी है.
इन देशों में इसके असफल होने के अलग-अलग कारण रहे हैं. इसलिए इस आधार पर भारत में इसकी सफलता या असफलता का आकलन करना उचित नहीं होगा.

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