रिहाई के दूसरे दिन जगलाल ने ली शपथ

जगलाल चौधरी के मंत्री बनने की अलग कहानी है. छपरा के गरखा के रहने वाले जगलाल चौधरी 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के नायक थे. उनके नेतृत्व में लोगों ने गरखा में सरकारी दफ्तरों पर कब्जा किया था. पुलिस ने उनके बेटे को गोली मार दी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उन्हें 40 वर्षो के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 25, 2015 12:58 AM
जगलाल चौधरी के मंत्री बनने की अलग कहानी है. छपरा के गरखा के रहने वाले जगलाल चौधरी 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के नायक थे. उनके नेतृत्व में लोगों ने गरखा में सरकारी दफ्तरों पर कब्जा किया था.
पुलिस ने उनके बेटे को गोली मार दी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उन्हें 40 वर्षो के कारावास की सजा सुनायी गयी. 1945 में जब प्रांतीय असेंबली के चुनाव हुए, तो कांग्रेस की सरकार बनी. श्रीकृष्ण सिंह प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने पहला आदेश जगलाल चौधरी की रिहाई का आदेश दिया. दूसरे दिन उन्हें कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलायी गयी.
तब तक वे विधानसभा के सदस्य नहीं थे. बाद में जब जगजीवन राम के इस्तीफे से आरा की सीट खाली हुई, तो उसी सीट से श्री चौधरी चुनाव जीते. वे 1952 तक मंत्री रहे. आजादी के बाद हुए चुनाव के बाद जो कैबिनेट गठित हुई, उसमें उन्हें शामिल नहीं किया गया. इसके बाद वह सक्रिय राजनीति से अलग हो गये.

Next Article

Exit mobile version