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शेयर बाजार में कोहराम : सात सालों में सबसे बड़ी गिरावट

मुंबई : चीन समेत दुनिया के तमाम बाजारों से मिलेे खराब संकेतों का असर सोमवार को भारत पर भी पड़ा और घरेलू शेयर बाजारों में कोहराम मच गया. तेज गिरावट के साथ खुले घरेलू शेयर बाजार भारी गिरावट साथ बंद हुए. बीएसइ का बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 1624.51 अंक की भारी गिरावट के साथ 25,700 के […]

मुंबई : चीन समेत दुनिया के तमाम बाजारों से मिलेे खराब संकेतों का असर सोमवार को भारत पर भी पड़ा और घरेलू शेयर बाजारों में कोहराम मच गया. तेज गिरावट के साथ खुले घरेलू शेयर बाजार भारी गिरावट साथ बंद हुए. बीएसइ का बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 1624.51 अंक की भारी गिरावट के साथ 25,700 के मनोवै‍ज्ञानिक स्तर को तोड़ कर 25,741.56 पर बंद हुआ. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसइ) का निफ्टी 491 अंक गिर कर 7809 पर बंद हुआ.
पूरे कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स और निफ्टी में करीब छह फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी. सेंसेक्स में यह सात सालों में सबसे बड़ी और अब तक की चौथी सबसे बड़ी गिरावट है. एक दिन में शेयर मार्केट निवेशकों को करीब सात लाख करोड़ रुपये से ज्यादा नुकसान हुआ है. बीएसइ के सभी सेक्टरों में जम कर बिकवाली रही. यही नहीं, डॉलर के मुकाबल रुपया भी फिसला है. उधर चीन का बाजार जहां आठ फीसदी से ज्यादा टूट कर बंद हुआ, तो जापान, ताइवान और हांगकांग के बाजारों में पांच फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गयी.
इन शेयरों में दर्ज की गयी बड़ी गिरावट
रियल्टी, बैंकिंग, मेटल, इंफ्रा और एनर्जी सेक्टर के शेयरों में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गयी. इनके शेयर यह 6 से 11 फीसदी तक टूट गये हैं. इससे पहले जनवरी 2008 में सेंसेक्स 2272 और 2062 अंक की दो सबसे बड़ी गिरावट देख चुका है.
सात लाख करोड़ से धोना पड़ा हाथ
िनवेशकों के सात लाख करोड़ रुपये से अधिक डूब गये. िनवेशकों की पूंजी का आकलन सभी लिस्टेड स्टॉक की कुल वैल्यूूएशन के आधार पर किया जाता है. सेंसेक्स की टॉप 10 कंपनियों का मार्केट कैपिटाइलेजशन भी घटा है. बीएसइ के बेंचमार्क इंडेक्स में यह साढ़े सात साल की सबसे बड़ी गिरावट है.
दुिनया भर में असर
चीन की अगुवाई में एशियाई बाजारों में गिरावट के असर से लंदन से लेकर पेरिस व न्यूयाॅर्क सभी जगह बाजार धराशायी हो गये. बेंचमार्क यूरोपीय सूचकांक-फ्रांस का सीएसी-40 सात प्रतिशत टूटकर 4,305.95 अंक पर और लंदन का एफटीएसइ-100 करीब पांच प्रतिशत टूटकर 5,906.43 अंक पर आ गया. अमेरिका में डाउ इंडेक्स शुरुआत में काफी तेजी से नीचे आया, लेकिन बाद में संभला. एसएंडपी 500 दो प्रतिशत से अधिक टूटकर 1,927.11 अंक पर और नास्डैक करीब तीन % टूटकर 4,594.17 अंक पर आ गया.
राजन का भरोसा : डरने की जरूरत नहीं, हम मजबूत
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि भारत की वृहद आर्थिक स्थिति अन्य देशों की तुलना में काफी मजबूत है. हमारी अर्थव्यवस्था औरों की तुलना में बहुत अच्छी स्थिति में है. देश के पास इस समय 380 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है. ऐसे में डर की कोई जरूरत नहीं है.
जेटली का विश्वास : यह अस्थायी स्थिति, शीघ्र लौटेगी रौनक
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शेयर बाजार में भारी गिरावट के लिए वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल को जिम्मेदार ठहराया. कहा कि सरकार व रिजर्व बैंक स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. उम्मीद है कि वर्तमान अस्थायी स्थिति का प्रभाव खत्म होते ही बाजार में स्थिरता आ जायेगी. पिछले कुछ दिन से वैश्विक बाजार में बहुत अधिक उठापटक देखने को मिला है.
अब तक की चौथी बड़ी गिरावट, दुनिया भर के बाजार धराशायी
एशिया के बाजार का लुढ़कना
एशियाई बाजारों में तेज गिरावट भी इसकी प्रमुख वजह है. चीन का शंघाई कंपोजिट सोमवार को करीब नौ फीसदी तक लुढ़का. गिरावट के साथ चीन के बाजारों ने इस साल की पूरी बढ़त गंवा दी है. मार्केट रिटर्न इस साल के लिए नकारात्मक हो गया है. जापान का निक्केई 3.46 फीसदी गिरावट के साथ बंद हुआ, तो हांगकांग के हेंगसेंग में 4.64 फीसदी और कोस्पी में 2.3 फीसदी की गिरावट देखी गयी.
अमेरिकी बाजार की धीमी चाल
अमेरिकी बाजारों में आयी रिकॉर्ड गिरावट का भी असर पड़ा है. अमेरिकी बाजारों में 2011 के बाद अब तक की सबसे तेज शुक्रवार को गिरावट देखी गयी. फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में बढ़ोतरी के संकेतों से बाजार में दबाव देखने को मिला. निवेशकों का मानना है कि दरें बढ़ाने से बाजार में नकदी का प्रवाह घटेगा, जो बाजार पर नकारात्मक असर डालेगा.
चीन में मंदी की आशंका
गिरावट की मुख्य वजह चीन में मंदी की अाशंका है.चीन के कमजोर मैन्युफैक्चरिंग डाटा से यह आशंका और प्रबल हुई है. यहां का पीएमआइ इंडेक्स जहां 77 महीने के निचले स्तर पर पहुंचा, वहीं मांग घटने से कमोडिटी कीमतों में लगातार गिरावट दर्ज की गयी. साथ ही चीन की अर्थव्यवस्था पर कर्ज का बोझ बढ़ने की चिंता के बीच दुनिया भर में नकारात्मक संकेत देखे गये हैं. बाजार से निवेशकों के पैसा निकलने के कारण इक्विटी मार्केट में दबाव देखने को मिल रहा है. रविवार को ही चीन सरकार ने 547 अरब डॉलर के पेंशन फंड को स्टॉक मार्केट में लगाने की मंजूरी दी थी.
तेल के दाम में गिरावट
तेल के दाम में तेज गिरावट से भी असर पड़ा है. चीन में मांग घटने से ब्रेंट व अमेरिकी क्रूड आॅयल के फ्यूचर साढ़े छह साल के निचले स्तर तक आये गये. फिलहाल ब्रेंट 45 डॉलर के करीब कारोबार कर रहा है. यूएस क्रूड के फ्यूचर भाव 40 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गये हैं, जो मार्च 2009 के बाद का निचला स्तर है.
निवेशकों का डगमगाता भरोसा
चीन समेत अन्य देशों में जारी दबाव व देश में आर्थिक सुधारों को लेकर चिंता के बीच बड़े पैमाने पर विदेशी निवेशक देश से पैसा निकाल रहे हैं. विदेशी निवेशकों नें देश में जितना निवेश किया है, उससे ज्यादा देश से निकाले हैं. एफआइआइ ने पिछले तीन सत्रों के दौरान 3500 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की है, जो तीन महिनों में सबसे बड़ी बिकवाली का दौर है. दूसरी अोर अगस्त में अब तक विदेशी निवेशकों द्वारा नेट आउटफ्लो करीब 1900 करोड़ रुपये रहा.
बिहार में निवेशकों को 50 हजार करोड़ का नुकसान
पटना. शेयर बाजार में सोमवार को ऐतिहासिक गिरावट का असर बिहार के निवेशकों पर सीधे भी पड़ा है. यहां के निवेशकों के पूंजी में 50 हजार करोड़ की कमी आयी है. शेयर बाजार एक्सपर्ट व गोगिया इंटरनेशनल के शशि चरण पहाड़ी ने बताया कि बाजार में आयी गिरावट का असर सभी निवेशकों पर पड़ा है. बिहार का बाजार इससे अछूता नहीं है. निवेशकों में घोर असंतोष देखने को मिला है, लेकिन नये निवेशकों के लिए यह बेहतर मौका है. जो लोग एसआइपी के माध्यम से पैसे का इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं, वे आराम से बड़ी कंपनियों में पैसा निवेश कर सकते हैं.
पीएम मोदी बोले संकट को बदलें अवसर में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शेयर और मुद्रा बाजार की स्थिति की समीक्षा की. पीएम चाहते हैं कि वैश्विक संकट को भारत के लिए अवसर में तब्दील किया जाये.
दो साल के निचले स्तर पर रुपया : सोमवार सुबह रुपया डॉलर के मुकाबले 66.49 की कीमत पर खुला. यह सितंबर, 2013 के बाद का सबसे निचला स्तर है.
तेल के दाम 40 डॉलर के नीचे
आठ हफ्तों से कच्चे तेल के दाम लगातार घट रहे हैं. फिलहाल नायमैक्स पर डब्ल्यूटीआइ क्रूड 2% से ज्यादा फिसल कर 40 डॉलर प्रति बैरल के नीचे है. इसके अलावा ब्रेंट क्रूड 1.25% गिर कर 44.7 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया.
सोना 1160 डॉलर के ऊपर
सोने के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में छह हफ्ते के ऊपरी स्तरों पर पहुंच गया है. फिलहाल कॉमैक्स पर सोने का भाव 1,160 डॉलर प्रति औंस के ऊपर पहुंच गया है. हालांिक कॉमैक्स पर चांदी 0.5% टू टकर 15.2 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर आ गयी है.
सात साल में 10 सबसे बड़ी गिरावट
कब अंक
24 अगस्त, 2015 1,624.51
21 जनवरी 2008 1,408.35
17 मार्च, 2008 951.03
3 मार्च, 2008 900.84
22 जनवरी, 2008 875.41
11 फरवरी, 2008 833.98
18 मई, 2008 826.38
13 मार्च, 2008 770.63
17 दिसंबर, 2007 769.48
31 मार्च, 2008 726.85

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