पाकिस्तान में प्रतिबंधित नहीं हैं जमात-उद-दावा और हक्कानी नेटवर्क

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में जमात-उद-दावा और हक्कानी नेटवर्क प्रतिबंधित संगठन नहीं हैं. इस बात का खुलासा तब हुआ जब पाकिस्तान ने प्रतिबंधित 60 संगठनों की आधिकारिक सूची जारी की. इस सूची के अनुरसार मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ता हाफिज सईद नीत जमात-उद-दावा जिसे जेयूडी के नाम से भी जाना जाता है और अफगानिस्तान स्थित खतरनाक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 25, 2015 1:48 PM

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में जमात-उद-दावा और हक्कानी नेटवर्क प्रतिबंधित संगठन नहीं हैं. इस बात का खुलासा तब हुआ जब पाकिस्तान ने प्रतिबंधित 60 संगठनों की आधिकारिक सूची जारी की. इस सूची के अनुरसार मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ता हाफिज सईद नीत जमात-उद-दावा जिसे जेयूडी के नाम से भी जाना जाता है और अफगानिस्तान स्थित खतरनाक हक्कानी नेटवर्क यहां प्रतिबंधित नहीं हैं. हालांकि, सरकार ने जेयूडी को उन समूहों की सूची में रखा है जिन पर अधिकारी करीबी नजर रख रहे हैं.

इसका अर्थ है कि अगर संगठन को आतंकवाद को बढावा देने का दोषी पाया गया तो उस पर रोक लगायी जा सकती है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जेयूडी एक आतंकवादी संगठन है और उसके प्रमुख हाफिज सईद पर अमेरिकी सरकार ने एक करोड डालर का इनाम रखा है. लेकिन वह पाकिस्तान में खुलेआम घूमता है. अल-कायदा से जुडा खतरनाक संगठन हक्कानी नेटवर्क भी प्रतिबंधित संगठनों की सूची में शामिल नहीं है. हक्कानी नेटवर्क पर अफगानिस्तान में पश्चिम और भारत के हितों के खिलाफ हमले का आरोप है. इनमें काबुल में 2008 में भारतीय मिशन पर हमला भी शामिल है. सूची के अनुसार पाकिस्तान ने 60 संगठनों को आतंकवाद में शामिल होने पर प्रतिबंधित किया है. वर्णानुक्रम में व्यवस्थित सूची के अनुसार लश्कर.ए.तैयबा 39वें नंबर पर है जबकि जैश-ए-मुहम्मद 29वें स्थान पर है. अल-कायदा और तहरीक.ए.तालिबान पाकिस्तान जैसे प्रमुख आतंकवादी संगठन भी इस सूची में शामिल हैं.

भारतीय संसद पर हमले के बाद 14 जनवरी 2002 को लश्कर.ए.तैयबा तथा जैश.ए.मुहम्मद पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. सूची के अनुसार जेयूडी एकमात्र समूह है जो आधिकारिक निगरानी के तहत है. यह समूह स्कूलों और अस्पतालों का संचालन करता है तथा बाढ एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं के वक्त लोगों को मदद मुहैया कराता है. जेयूडी प्रमुख सईद भारत के साथ विवादों के समाधान के लिए पाकिस्तान सरकार की किसी भी शांति पहल का विरोध करता है.

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