वर्तमान ही सत्य है इसी में रहना सीखें

दक्षा वैदकर ओशो ने कहानी के जरिये बहुत सुंदर संदेश दिया है, सुनें. एक बुजुर्ग व्यक्ति हवाई जहाज से न्यूयॉर्क जा रहा था. बीच के एक एयरपोर्ट पर एक युवक भी उसमें सवार हुआ. उस युवक के बैग को देख कर लगता था कि वह शायद किसी इंश्योरेंस कंपनी का एग्जिक्यूटिव था. युवक को उस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2015 11:31 PM
दक्षा वैदकर
ओशो ने कहानी के जरिये बहुत सुंदर संदेश दिया है, सुनें. एक बुजुर्ग व्यक्ति हवाई जहाज से न्यूयॉर्क जा रहा था. बीच के एक एयरपोर्ट पर एक युवक भी उसमें सवार हुआ. उस युवक के बैग को देख कर लगता था कि वह शायद किसी इंश्योरेंस कंपनी का एग्जिक्यूटिव था.
युवक को उस बुजुर्ग के पास की सीट मिली. कुछ देर चुपचाप बैठे रहने के बाद उसने बुजुर्ग से पूछा, ‘सर आपकी घड़ी में कितना समय हुआ है?’ बुजुर्ग कुछ देर चुप रहा और फिर बोला, ‘माफ करें, मैं नहीं बता सकता.’ युवक ने कहा, ‘क्या आपके पास घड़ी नहीं है?’ बुजुर्ग ने कहा, ‘घड़ी तो है, लेकिन मैं थोड़ा आगे का भी विचार कर लेता हूं, तभी कुछ करता हूं.
अभी तुम पूछोगे कि कितना बजा है और मैं घड़ी में देख कर बता दूंगा. फिर हम दोनों के बीच बातचीत शुरू हो जायेगी. फिर तुम पूछोगे, आप कहां जा रहे हैं? मैं कहूंगा, न्यूयॉर्क जा रहा हूं. तुम कहोगे, मैं भी जा रहा हूं. आप किस मोहल्ले में रहते हैं? तो मैं अपना मोहल्ला बताऊंगा. संकोचवश मुङो तुमसे कहना पड़ेगा कि अगर कभी वहां आओ तो मेरे यहां भी आ जाना.
मेरी लड़की जवान और सुंदर है. तुम घर आओगे, तो निश्चित ही उसके प्रति आकर्षित हो जाओगे. तुम उससे फिल्म देखने चलने को कहोगे और वह भी राजी हो जायेगी और एक दिन यह मामला इतना परवान चढ़ जायेगा कि मुङो विचार करना पड़ेगा कि मैं अपनी लड़की की शादी एक बीमा एजेंट से करने के लिए हामी भरूं या नहीं, क्योंकि मुङो बीमा एजेंट बिल्कुल भी पसंद नहीं आते. इसलिए कृपा करो और मुझसे समय मत पूछो.’
हम सभी इस आदमी पर हंस सकते हैं, लेकिन हम सब इसी तरह के हैं. हमारा चित्त प्रतिपल वर्तमान से छिटक जाता है और भविष्य में उतर जाता है. भविष्य के संबंध में आप कुछ भी सोचें, सब कुछ ऐसा है बचकाना और व्यर्थ है, क्योंकि भविष्य कुछ है ही नहीं. जो कुछ भी आप सोचते हैं, वह सब कल्पना मात्र ही है. जो भी आप सोचेंगे, वह इतना ही झूठा और व्यर्थ है, जैसे इस आदमी का इतनी छोटी-सी बात से इतनी लंबी यात्र पर कूद जाना.
बात पते की..
– इस आदमी का चित्त और हमारा चित्त एक-सा है. हम सभी वर्तमान पर अपनी पूरी पकड़ से टिकते नहीं हैं और भविष्य या अतीत में कूद जाते हैं.
– वास्तविक समय तो केवल वर्तमान का क्षण है. जो वर्तमान के इस क्षण में जीता है, वह सत्य तक पहुंच सकता है. वही शांति से रह सकता है.

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