बंधुआ मजदूरों से मछली खरीदने के आरोप में ”नेस्ले” पर मुकदमा

न्यूयार्क : स्विट्जरलैंड की खाद्य प्रसंस्करण कंपनी नेस्ले पर अमेरिका में इस आरोप में मुकदमा दायर किया गया है कि वह तैयार अपने ‘फैंसी फीस्ट’ ब्रांड बिल्लियों के खाद्य उत्पाद में थाइलैंड की एक फर्म की मछलियों का इस्तेमाल यह जानते हुए भी कर रही है कि वह फर्म मछली पकडने के काम में गुलाम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2015 4:16 PM

न्यूयार्क : स्विट्जरलैंड की खाद्य प्रसंस्करण कंपनी नेस्ले पर अमेरिका में इस आरोप में मुकदमा दायर किया गया है कि वह तैयार अपने ‘फैंसी फीस्ट’ ब्रांड बिल्लियों के खाद्य उत्पाद में थाइलैंड की एक फर्म की मछलियों का इस्तेमाल यह जानते हुए भी कर रही है कि वह फर्म मछली पकडने के काम में गुलाम श्रमिकों को लगाती है. यह मुकदमा अपने पालतू जानवरों के लिए खाद्य समग्री खरीदने वाले अमेरिकी ग्राहकों ने कल लास एंजेल्स की संघीय अदालत में दायर किया. यह एक ‘क्लास एक्शन’ यानी वर्ग विशेष से जुडा मामला है जो कैलीफोनिया में फैंसी फेस्ट को खरीदने वाले सभी लोगों की ओर से दाखिल किया गया है.

इसमें कहा गया है कि यदि वे जानते होते की इसमें इस्तेमाल मछलियों के पकडने में गुलामों की मेहनत लगी है तो वे इस उत्पाद को बिल्कुल नहीं खरीदते. दावे के मुताबिक नेस्ले ने अमेरिका में अपने शीर्ष पेट फूड (पालतू जानवरों के खाद्य उत्पादों) ब्रांडों के लिए कंपनी थाई यूनियन फ्रोजन प्रॉडक्ट्स पीसीएल से 1.3 करोड किलो ग्राम सी-फूड आधारित पेट फूड का आयात करने का अनुबंध कर रखा है. दावा है कि इसमें से कुछ सामग्री गुलाम श्रमिकों की मेहनत की है. शिकायत में कहा गया है कि थाइलैंड में उसके गरीब पडोसी देशों म्यांमार और कंबोडिया से लडकों और अदमियों को तस्करी के जरिए लाया जाता है.

उन्हें जहाजों पर काम करने के लिए उनके कप्तानों के हाथ बेच दिया जाता है. शिकायत के अनुसार ऐसे गुलाम मजदूरों से 20-20 घंटे काम कराया जाता है और उन्हें मजदूरी तक नहीं दी जाती या दी भी जाती है तो वह बहुत ही कम होती है. काम संतोष जनक न हुआ तो मजदूर की पिटाई तक भी होती है और ऐसे में कई श्रमिकों की मौत तक हो जाती है. ला फर्म हैगेन्स बर्मन के मैनेजिंग पार्टनर स्टीव बर्मन ने कहा, ‘जनता से ये बातें छुपा कर नेस्ले ने अपने लाखों ग्राहकों को समुद्र पर तैरती जेलों (जहाजों) पर गुलाम श्रमिकों से काम लेने वालों का साथ देने और इस काम को प्रोत्साहित करने की चालबाजी की.’

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