आइसलैंड, हर 10वां नागरिक लेखक

।। रोजीगोल्डस्मिथ ।। यहां गाइड भी सुनाते हैं कविता आइसलैंड की आबादी तीन लाख से थोड़ी ज्यादा है, लेकिन यहां दुनिया में सबसे ज्यादा लेखक हैं, सबसे ज्यादा किताबें छपती हैं और किताब पढ़ने की प्रति व्यक्ति दर भी सबसे ज्यादा है. राजधानी में आपको हर तरफ लेखक मिलेंगे. आइसलैंडिक भाषा में एक कहावत है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 16, 2013 4:26 AM

।। रोजीगोल्डस्मिथ ।।

यहां गाइड भी सुनाते हैं कविता

आइसलैंड की आबादी तीन लाख से थोड़ी ज्यादा है, लेकिन यहां दुनिया में सबसे ज्यादा लेखक हैं, सबसे ज्यादा किताबें छपती हैं और किताब पढ़ने की प्रति व्यक्ति दर भी सबसे ज्यादा है. राजधानी में आपको हर तरफ लेखक मिलेंगे. आइसलैंडिक भाषा में एक कहावत है जिसका शब्दश: मतलब है कि हर किसी के पेट में एक किताब होती है या फिर हर कोई एक किताब को जन्म देता है.

आइसलैंड में गाथाओं का इतिहास है, जो 13 वीं सदी से शुरू हुआ. ये गाथाएं देश के उन नोर्स उपनिवेशियों की कहानी बताती हैं, जो इस द्वीप में नौवीं सदी के अंत में आना शुरू हुए थे. ये गाथाएं नैपकिन और कॉफी के प्यालों पर लिखी जाती हैं. हर झरने से कोई प्राचीन नायक या नायिका की कहानी जुड़ी हुई है.

लेखकों की कद्र

आइसलैंडिक साहित्यिक केंद्र की प्रमुख अगला मैग्‍नुसडॉटिक कहती हैं कि यहां लेखकों की कद्र होती है. वे अच्छा जीवन बिताते हैं. कुछ को तो तनख्वाह भी मिलती है. लेखक आधुनिक गाथाएं, कविताएं, बच्चों की किताबें, साहित्यिक और उत्तेजक किताबें, सब कुछ लिखते हैं. आइसलैंड में किसी दूसरे नॉर्डिक देश के मुकाबले अपराध से जुड़े उपन्यासों की बिक्री दोगुनी है.

खास वजह

तो आखिर यहां किताबों लेखकों की इस असाधारण संख्या की वजह क्या है? वजह है बढ़िया लेखक जो अनोखे किरदारों वाली कहानियां सुनाते हैं. आइसलैंड की प्राकृतिक सुंदरता, उसके ज्वालामुखी, परी कथाओं जैसी झीलेंये सब कहानियां के लिए सटीक पृष्ठभूमि हैं. इसलिए शायद हैरानी की बात नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र के सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को ने रेक्याविक को साहित्य का शहर घोषित किया है. एक उपन्यासकार सोल्वी ब्योर्न सिगुर्डसॉन कहते हैं, हमारा देश कहानीकारों का देश है.

अपने प्राचीन काव्यों और मध्यकालीन गाथाओं की वजह से हमारे इर्दगिर्द हमेशा से ही कहानियां रही हैं. वर्ष 1944 में डेनमॉर्क से आजादी मिलने के बाद साहित्य ने हमारी पहचान बनाने में मदद की.

लेखकों की प्रेरणा

आइसलैंड की प्राकृतिक सुंदरता और इसकी मध्यकालीन गाथाएं यहां के लेखकों के लिए प्रेरणास्नेत हैं. सिगुर्डसॉन कहते हैं कि साल 1955 में हालडॉर लैक्सनेस के साहित्य का नोबेल पुरस्कार जीतने से आधुनिक आइसलैंडिक साहित्य दुनिया के नक्शे पर अंकित हुआ. लैक्सनेस की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्थानीय लोग अपनी पालतू बिल्लियों का नाम उनके नाम पर रखते हैं और उनका घर एक पर्यटक स्थल है.

लेकिन आइसलैंड में लेखकों की बढ़ती तादाद की वजह से प्रकाशकों पर काफी दबाव है. साल के इस समय, क्रि समस से पहले, आइसलैंड में किताबों की बाढ़ जाती है, क्योंकि इसी वक्त ज्यादातर किताबें प्रकाशित होती हैं. लोगों के घरों में किताबों की सूची भेज दी जाती है. हर किसी को क्रि समस पर तोहफे में किताब मिलती है.

यूनेस्को सिटी ऑफ लिटरेचर परियोजना की मैनेजर क्रि स्टीन विडारडॉटिर कहती हैं, यहां तक कि जब मैं हेयरड्रेसर के पास भी जाती हूं, तो वहां भी वो लोग मुझसे मशहूर लोगों के बारे में जानकारी नहीं, बल्कि क्रि समस पर भेंट करने के लिए किताबों के बारे में पूछते हैं.

मिलती है मदद

आइसलैंड में आपको घुमाने वाले गाइड भी अपनी कविताएं सुनाते हैं और आपके टैक्सी ड्राइवर के पिता और दादा भी जीवनियां लिखते हैं. सार्वजनिक स्थलों पर बेंचों पर बारकोड हैं, जिससे वहां बैठने पर आप अपने स्मार्टफोन पर कहानी सुन सकते हैं. रेक्याविक में किताब मेले के दौरान मैन बुकर पुरस्कार की विजेता, किरण देसाई भी मिलेंगी, डगलस कूपलैंड भी और आइसलैंड के अपने साहित्यिक सितारे गर्डुर क्रिस्टनी और स्योन भी. अगला मैग्नुसडॉटिर नये आइसलैंडिक साहित्य केंद्र की प्रमुख हैं, जो साहित्य और अनुवाद के लिए सरकार की ओर से मदद देता है.

(साभार : बीबीसी)

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