पहले कार्यकर्ता चुनाव लड़ते थे, अब तो पैसा लड़ता है

बुद्धन प्रसाद यादव पूर्व विधायक, मांझी वयोवृद्ध समाजवादी नेता एवं मांझी से दो बार विधायक रह चुके बुद्धन प्रसाद यादव का मानना है कि पूर्व में चुनाव एवं आज के चुनाव में काफी फर्क हो गया है. आज का चुनाव धन, जातिवाद और बाहुबलियों के बल पर लड़ा जा जाता है. वर्तमान राजनीतिक माहौल से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 7, 2015 11:37 PM
बुद्धन प्रसाद यादव
पूर्व विधायक, मांझी
वयोवृद्ध समाजवादी नेता एवं मांझी से दो बार विधायक रह चुके बुद्धन प्रसाद यादव का मानना है कि पूर्व में चुनाव एवं आज के चुनाव में काफी फर्क हो गया है. आज का चुनाव धन, जातिवाद और बाहुबलियों के बल पर लड़ा जा जाता है.
वर्तमान राजनीतिक माहौल से निराश श्री यादव कहते हैं, हमारे जमाने में चुनाव पैसे से नहीं बल्कि कार्यकर्ता व काम के आधार पर लड़ा जाता था. 1967 में उन्होंने भारतीय क्रांति पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. उन्होंने बताया कि पहले चुनाव लड़ने के लिए इतने पैसे नहीं होते थे.
1972 में कांग्रेस से चुनाव लड़े और हमारी पराजय हो गयी. 1980 में इंदिरा गांधी ने छपरा लोकसभा सीट से लालू प्रसाद के खिलाफ चुनाव लड़ने का निर्देश दिया. 1985 में निर्दलीय चुनाव लड़ कर पहली बार मांझी विधानसभा से विधायक बने. 1990 में वोट बढ़ा, लेकिन चुनाव हार गये. फिर 1995 में 18 हजार मतों से जीत कर विधानसभा पहुंचे.
लालू प्रसाद ने मंत्री बनने का ऑफर दिया, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया. उस समय विधायक के पास फंड भी आज के इतना नहीं था. श्री यादव कहते हैं कि उस समय टिकट स्थानीय नेताओं से फीडबैक लेकर दिया जाता है. आज तो पार्टियां पुराने कार्यकर्ता को छोड़ कर उन नये लोगों को टिकट दे देती है, जो धनवान होते हैं.
श्री यादव ने बताया कि पहले चुनाव में लाख रुपये में लड़ लेते थे. आज करोड़ रुपये खर्च होते हैं. हमारे जमाने में पोलिंग एजेंट को खर्च के लिए कहीं-कहीं पैसे देने पड़ते थे. आज तो वोटरों को भी पैसे देने पड़ते हैं.
उस समय सकारात्मक राजनीति होती थी. विरोध सार्थक होते थे. आज उल्टा हो गया है. श्री यादव ने बताया कि उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए कभी किसी से चंदा नहीं लिया. अपने पिता की कमाई से चुनाव लड़ा. कुछ हजार रुपये खर्च कर पहला चुनाव लड़ा था.
उनके पिता मुखिया थे और पक्के कांग्रेसी. इसी वजह से श्री यादव ने लालू प्रसाद के मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था. वह कहते हैं, पहले चुनाव कार्यकर्ता लड़ते थे. आज का चुनाव पैसा लड़ता है. पूरा जीवन कांग्रेस की सेवा की. मरते दिन तक कांग्रेस का सेवा करता रहूंगा.

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