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इस चुनाव में दिखेगा यूथ का दम

युवाओं को राजनीति में आने के लिए सभी पार्टियां तो कहती हैं, पर जब टिकट देने का वक्त आता है, तो उन्हें हिस्सा नहीं मिलता. राज्य की आबादी में युवाओं की भागीदारी आधे से ज्यादा है. युवा वर्ग की अहमियत को देखते हुए सभी राजनीतिक पार्टियां उनके वोट लेने के लिए तरकीब तो खूब निकाल […]

युवाओं को राजनीति में आने के लिए सभी पार्टियां तो कहती हैं, पर जब टिकट देने का वक्त आता है, तो उन्हें हिस्सा नहीं मिलता. राज्य की आबादी में युवाओं की भागीदारी आधे से ज्यादा है. युवा वर्ग की अहमियत को देखते हुए सभी राजनीतिक पार्टियां उनके वोट लेने के लिए तरकीब तो खूब निकाल रही हैं, पर सवाल हिस्सेदारी का भी है.
कई सीटों पर युवा वोटर निर्णायक साबित होंगे. टिकट बंटवारे के अलावा युवाओं के रोजगार, शिक्षा और उनसे जुड़े दूसरे मसलों पर भी सियासी दलों को ठोक करने की जरूरत है. पेश है विधानसभा चुनाव में युवा वोटरों की तसवीर पेश करती यह रिपोर्ट.
वे दस जिले, जहां युवा मत होंगे निर्णायक
रजनीश उपाध्याय
इस बार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल टिकट बंटवारे में युवाओं को कितनी तबज्जो देंगे, यह तो तय नहीं है, लेकिन यह साफ है कि कम-से-कम 28 जिलों में युवा वोटर ही चुनाव परिणाम तय करेंगे.
चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक बिहार में युवा वोटरों (18 से 39 साल तक के) की संख्या करीब 3.79 करोड़ है, जो कुल मतदाताओं का 61 फीसदी है. पिछले चुनाव में इसी आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या करीब 51 फीसदी थी. यानी पांच साल में युवा मतदाताओं की संख्या में दस फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
18 से 19 साल तक के युवा मतदाताओं की संख्या 3.89 फीसदी है और ये ऐसे मतदाता हैं, जो विधानसभा चुनाव में पहली बार वोट करेंगे. एक आकलन के मुताबिक तकरीबन प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 30 से 32 हजार नये वोटर जुड़े हैं. किसी विधानसभा क्षेत्र में, जहां कांटे की लड़ाई हो, मतदताओं की यह संख्या नतीजों पर गहरा असर डालेगी. पिछले विधानसभा चुनाव में अधिकतर सीटों पर जीर-हार का अंतर 10 से 12 हजार मतों का था.
परंपरागत तरीके से राजनीति करने वाले दल भी युवा वोटरों की अहमियत को समझ रहे हैं. यही कारण है कि न केवल उन तक पैठ बनाने के लिए प्रचार व मीडिया के नये माध्यमों का सहारा लिया जा रहा है, बल्कि युवाओं के लिए तरह-तरह की घोषणाएं भी की जा रही हैं.
स्मार्ट फोन, टैब और इंटरनेट की पहुंच गांवों तक बढ़ी है. इसलिए जो नेता कल तक टीवी पर बाइट या आकाशवाणी पर संदेश प्रसारित करने में ज्यादा दिलचस्पी लेते थे, वे फेसबुक, ट्वीटर व व्हाट्स एप तथा रेडियो के एफएफ चैनल जैसे माध्यमों का भी सहारा ले रहे हैं. नारों के बोल भी यूथ फ्रेंडली होते जा रहे हैं.2014 के लोकसभा चुनाव में युवाओं की भागीदारी पहली बार बड़ी संख्या में दिखी थी. इसे दलों ने भी समझा.
नये दौर में जिला
जिले की कुल सात सीटों में भाजपा का चार व राजद का दो पर कब्जा, जबकि जद यू के खाते में एक सीट. कृषि यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ है़. कभी सामंती जकड़न में था. इससे निकलने की छटपटाहट में संघर्षरत रहा. कुंअर सिंह की वीरता की वजह से जिला चर्चित है.
पटना
37.29%
बिहार की राजनीति का केंद्र
पटना जिले में विधानसभा की कुल 14 सीटें हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने छह, जद यू ने पांच व राजद ने तीन सीटें जीती थीं. राज्य का सबसे अमीर जिला और राजनीति के लिहाज से संजीदा है. सबसे बड़ा जिला भी है. पटना शहर की तीन सीटों पर भाजपा का लंबे समय से कब्जा रहा है.
बक्सर (37.07%)
विस की चार सीटें
जिले में विधानसभा की सिर्फ चार सीटें हैं. उनमें भाजपा व जद यू के खाते में दो-दो सीटें. ऐतिहासिक महत्व का जिला रहा है. धान की उपज के लिए भी मशहूर है. बड़ा इलाका यूपी से सटा हुआ. दियारा इलाके की अपनी समस्याएं हैं. सड़क भी बड़ा मुद्दा है.
अरवल (36.46%)
रोशनी की आस
जिले में विधानसभा की सिर्फ दो सीटें. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा व जद यू ने एक-एक सीटें जीती थीं. नहर से जुड़ा हुआ, लेकिन आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ. बिजली यहां की बड़ी समस्या है. कभी जनसंहारों की वजह से इस जिले ने बदनामी ङोली.
नवादा (35.64%)
जातीय तनाव से उबरा
जिले में विधानसभा की कुल पांच सीटें हैं. पिछले चुनाव में तीन पर जद यू और दो पर भाजपा ने कब्जा जमाया. कभी जातीय संघर्ष व तनाव के लिए बदनाम रहा. अब इससे उबर गया. झारखंड का पड़ोसी जिला है. यहां राजद को अपना पैर जमाने की चुनौती है.
बाढ़ से विस्थापन
जिले में विधानसभा की चार सीटें हैं. पिछले चुनाव में जद यू ने दो तथा भाजपा व राजद ने एक-एक सीटें जीती थीं. हर साल कोसी की बाढ़ का कहर ङोलता है. विस्थापन बड़ी समस्या है. विद्वान मंडन मिश्र की वजह से इसकी देशभर में ख्याति है.
मुजफ्फरपुर (34.72%)
उत्तर का राजनीतिक केंद्र
जिले में विधानसभा की 11 सीटें हैं. पिछले चुनाव में भाजपा ने चार, जद यू ने छह और राजद ने एक सीट पर कब्जा किया. उत्तर बिहार की आर्थिक राजधानी के रूप में यह शहर मशहूर है. लीची और आम के उत्पादन की वजह से देश भर में लोकप्रिय है. राजनीति का केंद्र भी.
विस की आठ सीटें
जिले में विधानसभा की आठ सीटें हैं, जिनमें 2010 के चुनाव में भाजपा ने पांच और जद यू ने तीन सीटें जीती थीं. पूर्व राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का यह गृह जिला है. यूपी से सटा हुआ है. यहां कभी राजद का बोलबाला था. 2005 के बाद से तसवीर बदल गयी.
सिल्क उद्योग बदहाल
जिले में विधानसभा की सात सीटें हैं. पिछले चुनाव में भाजपा व जद यू ने तीन-तीन सीटें जीती थीं. कांग्रेस को एक सीट मिली थी. उप चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को पराजित एक और सीट जीती. यहां सिल्क उद्योग बदहाली के कगार पर है. दंगा पीड़ितों के पुनर्वास का मुद्दा भी है.
तीनों सीटें जद यू के पास
जिले में विधानसभा की तीन सीटें हैं. पिछले चुनाव में तीनों सीटें जद यू के खाते में गयी थी. ऐतिहासिक महत्व का जिला रहा है. यहां गंगा किनारेमीर कासिम का किला और बिहार योग पीठ मशहूर है. अवैध आग्नेयास्त्रों के निर्माण को लेकर जिले की बदनामी होती रही है. गंगा के दियारे इलाके में कानून-व्यवस्था बड़ी चुनौती है.
हर दल साध रहे युवाओं को
अभी राजनीतिक दलों का घोषणा पत्र जारी होना बाकी है, लेकिन युवा मतदाताओं की ताकत को समझते हुए हर दल ने पहले से ही उनके लिए कुछ न कुछ घोषणाएं कर रखी हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में 2025 के लिए अपना विजन डॉक्यूमेंट जारी किया.
नीतीश कुमार कह चुके हैं कि बिहार में युवा आबादी सबसे अधिक है और हमें युवा बहुल राज्य के लिए शिक्षा, रोजगार के अवसर तथा कौशल विकास को सक्षम बनाने की ओर ध्यान देना होगा. नीतीश कुमार ने भरोसा दे रखा है कि वह स्टूडेंट क्र ेडिट कार्ड योजना शुरू करेंगे, जिसमें 12वीं के छात्र चार लाख रु पये तक का लोन ले सकेंगे. ब्याज में तीन फीसदी की सब्सिडी भी मिलेगी. साथ ही हर प्रखंड में रोजगार के लिए युवाओं का पंजीकरण होगा. 20-25 साल के युवा बेरोजगारों को स्वयं सहायता भत्ता दिया जायेगा. पांच नये मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा भी उन्होंने की है.
इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के विकास के लिए सवा लाख करोड़ रुपये के स्पेशल पैकेज का एलान किया. इसमें भी युवाओं को आकर्षित करने के लिए शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार सृजन पर खास जोर दिया गया है. प्रधानमंत्री ने विक्र मशिला विश्वविद्यालय को पुनस्र्थापित करने और उसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की घोषणा की है.
इस पर 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे. बोधगया में आइआइएम की स्थापना पर भी 500 करोड़ खर्च किये जायेंगे. अप्रशिक्षित बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण और 25 हजार युवाओं को पावर सेक्टर में प्रशिक्षण देने की भी घोषणा हो चुकी है.
लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव ने कह रखा है कि राजद ज्यादा से ज्यादा संख्या में युवाओं को प्रत्याशी बनायेगा. कांग्रेस भी ऐसी ही तैयारी है.
किस उम्र के कितने वोटर
उम्र वोटर फीसदी
18-19 2413024 2.11
20-29 18052289 15.81
30-39 17451853 15.28
40-49 12446598 10.90
50-59 8150563 7.14
60-69 5076878 4.45
70-79 2340623 2.05
80 से उपर 894830 0.78

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