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युवाशक्ति भी तय करेगी परिणाम
सूरज प्रकाश पंजाब से युवाशक्ति को किसी भी देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण बताया जाता है. कहा जाता है कि जिस देश के पास युवाओं की ताकत सबसे ज्यादा होगी, वही देश महाशक्ति बन सकता है. भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा युवा हैं, लेकिन इसके बावजूद अब तक भारत विकसित देशों की सूची में […]
सूरज प्रकाश
पंजाब से
युवाशक्ति को किसी भी देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण बताया जाता है. कहा जाता है कि जिस देश के पास युवाओं की ताकत सबसे ज्यादा होगी, वही देश महाशक्ति बन सकता है.
भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा युवा हैं, लेकिन इसके बावजूद अब तक भारत विकसित देशों की सूची में शामिल नहीं हो पाया है. इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि हमारा देश युवाशक्ति का सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है.
युवा अब लोकतंत्र की दिशा और दशा भी तय करने लगे हैं. जी हां, अब जो चुनाव हो रहे हैं, उनमें युवाओं की भी भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण है, क्योंकि युवा मतदाताओं की संख्या भी काफी ज्यादा है.
जिस ओर उनका रुख होगा, जाहिर-सी बात है उसी दिशा में जीत की लहर दौड़ सकती है. शायद यही वजह है कि चुनाव प्रचार के दौरान भी राजनेता युवाओं को भी संबोधित कर रहे हैं और उनकी घोषणाओं में युवाओं के लिए भी बहुत कुछ छिपा है.
युवा मतदाताओं की संख्या को देखते हुए ही राजनीतिक दलों ने अपनी आगे की योजनाएं भी तैयार की हैं, ताकि उनका भी साथ मिलता रहे. उसी प्रकार से उम्मीदवारों में भी युवा चेहरों को स्थान दिया जा रहा है, ताकि उनका भी प्रतिनिधित्व हो सके.
केंद्र की राजग सरकार में कई मंत्री युवा हैं. इसकी वजह यही है कि प्रधानमंत्री जानते हैं कि लोकतंत्र में युवा चेहरों को भी स्थान देना जरूरी है, क्योंकि युवा सोच से भी देश के विकास में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है.
उसी प्रकार से बिहार में भी कई राजनीतिक दलों ने युवाओं को इस बार टिकट देने का मन बना लिया है, जो एक दूरदर्शी कदम कहा जा सकता है.
युवाओं के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे खुद से राजनीति में रुचि नहीं लेते. वे इन मुद्दों पर चर्चा जरूर करते हैं, लेकिन जब सक्रिय तौर पर राजनीति में शामिल होने की बात आती है, तो वे अपने पांव पीछे खींच लेते हैं.
यही वजह है कि चुनाव से पहले या फिर चुनाव के समय सोशल साइट्स या फिर कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में राजनीतिक मुद्दों पर जितनी चर्चा होती है, उसके अनुसार चुनाव में युवाओं को वोट नहीं पड़ता. उतनी संख्या में युवा प्रतिनिधि चुनाव लड़ने के लिए खड़े नहीं होते.
राजनीति को युवाओं के बीच बढ़ावा देने के लिए यह जरूरी है कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्र संघ चुनाव को भी बढ़ावा दिया जाये.
वैसे पटना विश्वविद्यालय और मगध विश्वविद्यालय में तो छात्र संघ बने हुए हैं. उसी प्रकार से बिहार के कई कॉलेजों में भी छात्र संगठन बने हुए हैं, जो समय-समय पर विभिन्न मांगों को लेकर विश्वविद्यालय व सरकार पर दबाव बनाते रहते हैं, लेकिन कई बार ठीक प्रकार से मार्गदर्शन नहीं मिलने के कारण वे लक्ष्य से भटक जाते हैं.
हिंसा आदि मार्ग पर चलने के कारण उनका आंदोलन पटरी से उतर जाता है. इसके विपरीत परिणाम सामने आने लगते हैं.
समय आ गया है युवाओं की ताकत को पहचान कर उसे सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाये.
अब जब बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सभी राजनीतिक दल पूरे जोर-शोर से तैयारियों में जुट चुके हैं, ऐसे में सभी दलों को चाहिए कि वे तैयारी के लिए युवाशक्ति का जितना उपयोग कर रहे हैं, युवाशक्ति को वे उतना ही प्रतिनिधित्व भी दें. इसका फायदा उन्हें चुनाव में जरूर मिलेगा.
उसी प्रकार से सभी प्रत्याशियों को उन घोषणाओं और वादों की सूची तैयार कर लेनी चाहिए, जो वे युवाओं से करेंगे.ये वादे एवं घोषणाएं ठोस होनी चाहिए एवं इन्हें क्रियान्वित करने के लिए उनके पास सक्षम योजना भी होनी चाहिए, ताकि चुनाव जीतने के बाद वे इन पर अमल कर सकें. युवाशक्ति इस बार चुनाव की दशा और दिशा तय करने जा रही है, इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता.
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