बदले राजनीतिक हालात में मुकाबला दिलचस्प

बेगूसराय जिले की साहेबपुर कमाल विधानसभा सीट प्राय: सुर्खियों में रही है. पहले यह बलिया विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था. परिसीमन के बाद साहेबपुरकमाल विधानसभा क्षेत्र बना. बीते चुनाव में यहां से जदयू की उम्मीदवार थीं परवीन अमानुल्लाह. राजनीतिक परिवार से भले उनका ताल्लुक रहा, पर राजनीति में उनकी सीधी भागीदारी पहली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 16, 2015 5:08 AM
बेगूसराय जिले की साहेबपुर कमाल विधानसभा सीट प्राय: सुर्खियों में रही है. पहले यह बलिया विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था. परिसीमन के बाद साहेबपुरकमाल विधानसभा क्षेत्र बना. बीते चुनाव में यहां से जदयू की उम्मीदवार थीं परवीन अमानुल्लाह. राजनीतिक परिवार से भले उनका ताल्लुक रहा, पर राजनीति में उनकी सीधी भागीदारी पहली बार हुई थी. चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद वह मंत्री बनीं. बाद में उन्होंने जदयू से नाता तोड़ लिया. इस सीट पर श्रीनारायण यादव का दबदबा रहा है.
वह लंबे समय तक मंत्री भी रहे. अब तक छह बार यहां से चुनाव जीते और दो बार कड़ी टक्कर दी है. अब बदले राजनीतिक हालात में इस सीट पर दिलचस्प मुकाबले के आसार हैं. इस बार चुनावी समीकरण बदलने से वोटों का ध्रुवीकरण भी नये सिरे से होगा. फिलहाल एनडीए का उम्मीदवार तय किया जाना बाकी है. चुनिंदा सीटों के बारे में आज पढ़िए यह रिपोर्ट.
बेगूसराय जिले का साहेबपुरकमाल विधानसभा क्षेत्र संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है. हिंदू-मुसलिम बहुलवाले इस विधानसभा क्षेत्र में आपसी भाईचारा चुनाव के समय में गजब का मिशाल प्रस्तुत करता है. इसी का नतीजा है कि साहेबपुरकमाल में आज तक सांप्रदायिक माहौल नहीं बिगड़ पाया है.
इस सीट से छह बार राजद के टिकट पर चुनाव जीतनेवाले श्रीनारायण यादव कई बार बिहार सरकार में कबीना मंत्री रहे. फिर भी इस विधानसभा क्षेत्र का संपूर्ण विकास नहीं हो पाया है. इस विधानसभा क्षेत्र में एक भी डिग्री कॉलेज नहीं है. नौजवानों को उच्च शिक्षा के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. तमाम समस्याओं के बाद भी वर्त्तमान विधायक श्रीनारायण यादव सातवीं पारी खेलने की तैयारी में हैं.
विस्थापितों की समस्या
इस विधानसभा क्षेत्र के तहत बलिया प्रखंड के दर्जनों गांव और छह पंचायतों का संपूर्ण भू-भाग गंगा के कटाव में विलीन हो गये हैं, परंतु आज तक वहां के विस्थापितों के पुर्नवास की कोई व्यवस्था नहीं हो पायी है.
क्षेत्र में वर्षो से सरकारी नलकूप बंद पड़े हैं. किसानों को मंहगे दर पर पानी खरीद कर सिंचाई करनी पड़ रही है. प्रखंड मुख्यालय में निर्मित जलमीनार से 15 वर्ष बाद भी एक बूंद पानी नहीं टपक पाया. आपराधिक घटनाओं को लेकर भी साहेबपुरकमाल विधानसभा का इलाका चर्चा में रहा है. जमीन संबंधी विवाद हो या आपसी वर्चस्व का सवाल, समय-समय पर खूनी संघर्ष भी होते रहे हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के रघुनाथपुर, आहोक, श्रीनगर, बलिया लाल दियारा,नौरंगा, गोखलेनगर विष्णुपुर इलाका हमेशा अपराध एवं अपराधियों की गिरफ्त में रहता है, जिससे लोगों में हमेशा दहशत का माहौल बना रहता है.
रेल सह सड़क पुल का मामला अधर में
मुंगेर गंगा नदी पर रेल-सड़क पुल का कार्य अधर में है. कछुए की गति से काम चलने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पर रहा है. इसे लेकर स्थानीय लोग समय-समय पर आवाज भी बुलंद करते रहे हैं, लेकिन कोई प्रगति नहीं होती. इससे लोगों में मायूसी है. 25 दिसंबर, 2002 को इस रेल-सड़क पुल का शिलान्यास किया गया था. 13 साल बीत गये, लेकिन पुल और सड़क का कार्य पूरा नहीं हो पाया है.
राजनीतिक गरमाहट ने बढ़ायी बेचैनी
विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही साहेबपुरकमाल विधानसभा में राजनीतिक तापमान में काफी गरमाहट आ गयी है. चुनाव आचार संहिता लागू होते ही विभिन्न दलों के प्रबल दावेदार अपने क्षेत्र को छोड़ कर पटना व दिल्ली में टिकट के जुगाड़ मं ेरात-दिन लगे हुए हैं. कोई भी दावेदार अपने को किसी से कम नहीं मान रहा है. प्रत्येक दल से आधा-आधा दर्जन प्रबल दावेदार पटना में कैंप कर रहे हैं.
इस सीट पर राजद का कब्जा है, लेकिन महागंठबंधन दूसरे घटक दल इस सीट पर सहज तरीके से अपना दावा छोड़ने के मूड में नहीं हैं. सामान्य स्थिति में यह सीट सीटिंग के आधार पर राजद के खाते में जानी चाहिए. हालांकि अभी तय नहीं हो पाया है कि महागंठबंधन के तहत यह सीट किसके खाते में जायेगी. इस सीट से राजद के श्रीनारायण यादव, डॉ तनवीर हसन, कांग्रेस से शमसूल जोहा, जदयू से भी कई लोग अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं. इधर, एनडीए में भाजपा इस सीट को अपने कब्जे में लेना चाहती है. इस सीट से पूर्व मंत्री जमशेद अशरफ, सुरेंद्र विवेक, अमर कुमार समेत अन्य कई लोग भी टिकट के लिए दिल्ली और पटना में जमे हुए हैं. हमेशा से इस सीट पर अति पिछड़ा और अल्पसंख्यक के साथ-साथ यादव वोटर निर्णायक भूमिका में रहे हैं.
चर्चा में रहता है साहेबपुरकमाल
साहेबपुरकमाल विधानसभा सीट हमेशा सुर्खियों में रही है. इसी का नतीजा है कि स्थानीय के साथ-साथ बाहरी लोग भी इस सीट से विधायक बनने की तमन्ना रखते हैं. साहेबपुरकमाल विधान सभा सीट से वर्ष 2010 में परवीन अमानुल्लाह चुनाव जीती थीं. इससे पूर्व 2005 के अक्तूबर के चुनाव में जमशेद अश्रफ इस सीट से विधायक बने थे.
पुन: 2005 के फरवरी में हुए उपचुनाव में श्रीनारायण यादव चुनाव जीत कर विधायक बने थे. इस बार परिस्थितियां बदल चुकी हैं. अब सीधा मुकाबला महागंठबंधन व एनडीए उम्मीदवार के बीच माना जा रहा है. पर एनडीए में यह सीट किस दल के खाते में जाती है, यह तय नहीं है.
जीत का बनता रहा रिकॉर्ड
वर्ष 2014 में जदयू की विधायक परवीन अमानुल्लाह के इस्तीफा देने के बाद उप चुनाव में राजद प्रत्याशी श्रीनारायण यादव ने भाजपा प्रत्याशी अमर कुमार को 16 हजार वोटों से पराजित कर दिया था.
इस तरह उन्होंने 1980 ,1990 और 1995, 2000 एवं 2005 एवं 2014 के उपचुनाव में साहेबपुरकमाल विधानसभा सीट से जीत दर्ज की. इस तरह से राजद प्रत्याशी श्रीनारायण यादव कुछ छह बार इस विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. यादव कुल चार बार बिहार सरकार के मंत्री रह चुके हैं.
पुल का मुद्दा रहेगा प्रमुख
इस चुनाव में साहिबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र के दो बड़े मुद्दे होंगे. इनमें एक है विष्णुपुर आहोक व चौकी के बीच गंडक नदी पर पुल निर्माण. इस नदी पर पुल निर्माण को लेकर कई बार आंदोलन हुए.
नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने आश्वाशन भी दिया, मगर पुल नहीं बना. इस पुल के बनने से इस विधानसभा क्षेत्र की बहुत बड़ी आबादी को राहत मिलेगी. उन क्षेत्रों में विकास की रफ्तार भी तेज होगी. दूसरा मुद्दा है बलिया को जिला बनाने का. यह मांग लंबे समय से होती रही है. राजनीतिक दलों ने भी इसे खूब उछाला. लोगों का मानना है कि बलिया जिला बनने की सभी अहर्त्तओं को पूरा करता है. इस बार चुनाव में सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से लोग इस पर सवाल करेंगे.
मतदाता 2,33,557
इस बार विधानसभा चुनाव में साहेबपुरकमाल सीट पर 2 लाख 33 हजार 557 वोटर अपने जनप्रतिनिधि का चुनाव करेंगे. इनमें 1,25,323 पुरुष, 1,08,226 महिला वोटर शामिल हैं.
किस दल को मिले कितने वोट
विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव
पार्टी 2010 2005 पार्टी वोट
जदयू 46391 46987 भाजपा 45628
राजद 35280 28992 राजद 62553
कांग्रेस 9578 —– भाकपा 19084
भाकपा 4553 —– निर्दलीय 1720
कब-कौन जीता, हारा
वर्ष जीते हारे
2014 (उपचुनाव) श्रीनारायण यादव (राजद) अमर कुमार (भाजपा)
2010 परवीन अमानुल्ला (जदयू) श्रीनारायण यादव (राजद)
2005 (अक्तूबर) जमशेद असरफ (जदयू) श्रीनारायण यादव (राजद)
2005 (फरवरी) श्रीनारायण यादव (राजद) जमशेद असरफ (लोजपा)
2000 श्रीनारायण यादव (राजद) तनवीर हसन (जदयू)
1995 श्रीनारायण यादव (राजद) कृष्ण मोहन यादव (निर्दलीय)
बलिया अनुमंडलीय अस्पताल की हुई स्थापना
इस विधानसभा क्षेत्र में विकास के कई कार्यो को धरातल पर उतारा गया. बलिया में अनुमंडल कार्यालय तथा अनुमंडल अस्पताल का निर्माण कर हुआ. बाढ़ से बचाव के लिए गंगा और गंडक नदी के बांध को सुदृढ़ किया गया. इसके अलावा डंडारी प्रखंड, बलिया में पावर ग्रिड, साहेबपुरकमाल, भवानंदपुर समस्तीपुर एवं चौकी में पावर सबग्रिड की स्वीकृति. साहेबपुरकमाल प्रखंड में इंटर कॉलेज की स्थापना तथा बलिया में व्यवहार न्यायालय की स्वीकृति इनमें शामिल हैं.
जलजमाव से मुक्त नहीं हुए खेत
इस विधानसभा क्षेत्र की लगभग 2000 एकड़ कृषि भूमि में जलजमाव की समस्या अब तक बनी हुई है. इससे किसानों को हर साल बड़ा नुकसान होता है. पिछले चुनाव में भी यह मुद्दा उठा था और करीब-करीब सभी दलों ने इस समस्या के समाधान का भरोसा दिया था, लेकिन कोई काम नहीं हुआ.
हजारों किसानों को जलजमाव के कारण खेती योग्य अपनी जमीन रहने के बाद भ रोजी-रोटी के लिए दूसरा जुगाड़ करना होता है. इसे लेकर कईबार आंदोलन हुए. प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को अजिर्यां दी गयीं. सब ने यह स्वीकारा कि यह यहां की बड़ी समस्या है.
इससे हजार किसान परिवार दो जून की रोटी के लिए भी मुंहताज हैं, मगर इस समस्या का समाधान कैसे और कब होगा, इसे लेकर न तो प्रशासन ने कभी ठोस पहल की, न जनप्रतिनिधि या राजनीतिक दलों ने. इसके अलावा अब भी सैंकड़ों ऐसे गांव हैं, जहां पक्की सड़क और बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का आश्वाशन पूरा नहीं हुआ है.

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