बुनियादी सुविधाएं है ही नहीं
संजय गोयनका उपाध्यक्ष, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन बिहार में उद्योग और व्यवसाय के लिए सबसे पहले तो जरूरी है कि इसके लिए माहौल बनाया जाये. इसकी महत्ता को राजनीतिक नेतृत्व (कोई एक दल नहीं, सभी) और ब्यूरोक्रेट्स गंभीरता से समङों. उद्योग ऐसा क्षेत्र है, जो सबसे ज्यादा रोजगार का सृजन करता है. बिहार की कृषि की […]
संजय गोयनका
उपाध्यक्ष, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
बिहार में उद्योग और व्यवसाय के लिए सबसे पहले तो जरूरी है कि इसके लिए माहौल बनाया जाये. इसकी महत्ता को राजनीतिक नेतृत्व (कोई एक दल नहीं, सभी) और ब्यूरोक्रेट्स गंभीरता से समङों. उद्योग ऐसा क्षेत्र है, जो सबसे ज्यादा रोजगार का सृजन करता है. बिहार की कृषि की स्थिति ऐसी नहीं है कि वह बड़ी आबादी को रोजगार दे सके. एक बड़ा उद्योग लगता है, तो न केवल रोजगार मिलता है, बल्कि उससे जुड़ी कई छोटी-छोटी औद्योगिक इकाइयां भी फलती-फूलती हैं.
बिहार में पिछले कुछ वर्षो में औद्योगिक निवेश का वातावरण बना जरूर है, लेकिन वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट के संदर्भ में अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है. अपने राज्य में बुनियादी आधारभूत संरचना तो कमजोर है हीं, रुल्स-रेग्यूलेशन के कारण इतनी दिक्कत होती है कि पूछिए मत.
रोड व रेल नेटवर्क उद्योगों के अनुकूल नहींहै. बिजली की स्थिति थोड़ी सुधरी है, लेकिन इसकी क्वालिटी अभी भी बहुत खराब है. बिजली आती-जाती रहती है. ट्रिपिंग होता है. यह सब किसी उद्योग के लिए बेहतर स्थिति नहीं है. उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाला महात्मा गांधी सेतु आज किस हाल में है. इस पुल से आप दस टन माल से ज्यादा नहीं ले जा सकते. आज के जमाने में जब दूसरे राज्य में 50 टन का माल कैरी होता है, बिहार में यह हाल है.
पिछले सात-आठ सालों में 10-12 हजार करोड़ का निवेश बिहार में आया है. यह अच्छी बात है. लेकिन, हमलोग कब तक छोटी-छोटी औद्योगिक इकाइयों में उलङो रहेंगे. जितना बिहार में आठ-दस साल में निवेश हुआ, उतना तो दूसरे राज्यों में एक-डेढ़ साल में होता है. कोई बड़ी इंडस्ट्री बिहार में नहीं आयी, जिसका निवेश हजारकरोड़ रुपये में हो. आज यहां 500 करोड़ की दस इंडस्ट्री भी नहीं है.
क्योंकि हमलोग वह जरूरी सुविधाएं और वे माहौल नहीं दे पा रहे हैं, जो दूसरे राज्यों में मिलता है. वर्ल्ड बैंक ने जो कुछ रिपोर्ट में लिखा है, वह गलत नहीं है. 5000 करोड़ की कोई इंडस्ट्री आयेगी, तो वह सिर्फ रोजगार ही नहीं देगी, बल्कि लघु व मध्यम उद्योगों को भी साथ लायेगी.
ऐसा नहीं है कि बिहार में औद्योगिक निवेश का माहौल नहीं है. वह है. बिहार के लोग भी मेहनती हैं. यहां युवाओं की बड़ी तादाद है, जो तेज दिमाग वाले हैं. लेकिन, बिहार औद्योगिक रूप से तरक्की नहीं कर रहा है, तो यह चिंता की बात है.जरूरी है कि औद्योगिक निवेश के अनुकूल मानसिकता तैयार हो. इस दिशा में सबको पहल करनी होगी. यदि बिहार के नौजवानों की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा देनी है, तो औद्योगिक और कारोबार के निवेश के अनुकूल माहौल बनाना होगा. इस दिशा में गंभीरता से सोचना होगा. तभी बिहार में उद्यमिता का भी विकास होगा. उम्मीद की जाये कि यह चुनाव में मुद्दा बनेगा.