प्रभात खबर डॉट कॉम के सर्वे से जानिए, क्या है बिहार चुनाव को लेकर आम जनता का मूड?
पंकज पाठक बिहार विधानसभा चुनाव पर इस बार आम जनता क्या सोचती है, उनका मूड क्या है? यह सवाल भले ही शब्दों के आधार पर छोटा हो लेकिन इसका जवाब जानने के लिए कई ओपिनियन पोल हो रहे हैं. जनता किन मुद्दों के आधार पर मतदान करेगी महागंठबंधन और एनडीए के साथ अन्य राजनीतिक पार्टियां […]
पंकज पाठक
बिहार विधानसभा चुनाव पर इस बार आम जनता क्या सोचती है, उनका मूड क्या है? यह सवाल भले ही शब्दों के आधार पर छोटा हो लेकिन इसका जवाब जानने के लिए कई ओपिनियन पोल हो रहे हैं. जनता किन मुद्दों के आधार पर मतदान करेगी महागंठबंधन और एनडीए के साथ अन्य राजनीतिक पार्टियां इसे समझने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. एक तरफ पैकेज की राजनीति जोर पकड़ रही है, तो दूसरी तरफ डीएनए और जातीय समीकरण की चर्चा है. राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने तरीके से जनता को लुभाने में लगी हैं. जनता के मूड को समझने की कोशिश प्रभात खबर डॉट कॉम ने भी की. हमने जनता से कुछ सवाल पूछे हमारा पोल दूसरे मीडिया हाउस की तुलना में थोड़ा अलग है. हम इसे अलग इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि हमारे पोल में न सिर्फ बिहार की जनता बल्कि पूरी दुनिया के किसी भी कोने से लोग अपनी राय रखने के लिए आजाद हैं. प्रभात खबर डॉट कॉम पर किये गये इस पोल पर हमें कई प्रतिक्रियाएं मिली और इन प्रतिक्रियाओं के दम पर हम न सिर्फ जनता के मूड को समझने की कोशिश करेंगे, बल्कि बिहार चुनाव को लेकर सभी की राय से एक दिशा तक पहुंचने की कोशिश करेंगे.
गठबंधन को लेकर सवाल
बिहार में जनता परिवार के एक होने की खबर आयी. खबर थी कि पूरा जनता परिवार एक होकर एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ेगा. सभी एक दल एक दल में शामिल होंगे. पार्टी का झंडा एक होगा, नारा एक होगा. लेकिन चुनाव के नजदीक आते-आते तस्वीर थोड़ी साफ हुई और एक महागंठबंधन तैयार हुआ. इस महागंठबंधन का नेता के रूप में नीतीश कुमार को आगे किया गया. उनके ही नेतृत्व में बिहार चुनाव लड़ने की योजना बनी. नीतीश भी इस फैसले से खुश हुए और छोटी-मोटी बयानबाजी के बीच उन्होंने अपने 10 साल के काम के दम पर जनता के बीच जाने की घोषणा कर दी. हमने भी इस मौके का लाभ उठाया और जनता के मूड को जानने की कोशिश की. हमने सवाल पूछे(ध्यान रहे कि यह सवाल उस वक्त पूछा गया था जब समाजवादी पार्टी और एनसीपी भी महागंठबंधन में शामिल थी).
क्या बिहार में नीतीश कुमार को मिलेगा गंठबंधन का फायदा ?
49 प्रतिशत लोगों ने माना कि हां इस गंठबंधन का फायदा नीतीश कुमार को मिलेगा, जबकि 46 प्रतिशत लोगों का कहना था कि इस महागंठबंधन से नीतीश को लाभ नहीं होगा. 5 प्रतिशत लोगों ने कहा कि फिलहाल इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता.
पैकेज की राजनीति पर सवाल
बिहार की राजनीति में पैकेज की घोषणा ने एक नयी जंग छेड़ दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरा की रैली में 1.25 करोड़ के पैकैज की घोषणा कर दी. उन्होंने कहा कि मैं लोकसभा चुनाव के दौरान किया हुआ वादा निभा रहा हूं. नीतीश ने पैकेज को रि पैकेजिंग बताते हुए 2.70 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की. इस पैकेज की राजनीति ने मतदाताओं को संशय में डाल दिया. पैकेज की राजनीति पर हमने भी आम लोगों की राय जाननी चाहिए (ध्यान रहे कि यह सवाल हमने तब पूछा था जब नीतीश ने पैकेज का एलान नहीं किया था). हमने सवाल पूछा :
क्या भाजपा को बिहार में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित विशेष पैकेज का लाभ मिलेगा?
पैकेज की राजनीति पर जनता मुग्ध होती नजर आयी. लगभग 79 प्रतिशत लोगों ने माना कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित किये गये विशेष पैकेज का लाभ भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में मिलेगा. लगभग 17 प्रतिशत लोग यह मानने को तैयार नहीं थे कि इस पैकेज के दम पर भाजपा राजनीतिक लाभ ले पायेगी, जबकि 4 प्रतिशत लोग इस पर अभी कुछ कहने की स्थिति में नहीं थे.
मुद्दे की तलाश
राजनीतिक पार्टियों के पास चुनाव के दौरान कौन-कौन से मुद्दे हैं. राजनीतिक पार्टियों का एजेंडा और जनता के बीच लोकप्रिय होने का रास्ता इन मुद्दों से होकर गुजरता है. राजनीतिक पार्टियां ऐसे मुद्दों को उठाने की कोशिश करती है, जिसे लेकर जनता जागरूक और सजग है, ताकि उन्हें लगे कि उनके हित की बात की जा रही है. हमने मुद्दों की बात छेड़कर राजनीतिक दलों के लिए भी ऐसा एजेंडा सेट करने की कोशिश की, जो जनहित के हों.
ऐसे तो इस चुनाव में कई मुद्दे हैं, लेकिन हमने इन्हें सीमित करके जनता से सवाल पूछे.
आपकी नजर में इनमें से किस मुद्दे को बिहार चुनाव में राजनितक दलों को मुद्दा बनाना चाहिए?
हमने इसमें तीन ऑप्शन रखे 1. विकास 2. कानून व्यवस्था एवं भ्रष्टाचार 3. जातिगत जनगणना
हमारे इस सवाल पर लोगों ने खूब वोट किया. लोगों ने इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों को बताया कि सबसे बड़ा मुद्दा विकास का है. इसे लगभग 81 प्रतिशत लोगों ने माना. 13 प्रतिशत लोगों ने कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार को बिहार चुनाव में राजनीतिक मुद्दा माना और 6 प्रतिशत लोग जातिगत जनगणना के आकड़े को लेकर गंभीर नजर आये.
हमने इन सवालों के दम पर बिहार चुनाव को लेकर आम जनता के मूड को समझने की कोशिश की. हम यह सिलसिला आगे भी जारी रखेंगे, ताकि आपतक बिहार चुनाव को लेकर जनता यानी की खुद आप और आपके आसपास के लोग क्या सोच रहे हैं, इसे हम सामने ला सकें.