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नफरत के बीज को खाद-पानी न दें

।। दक्षा वैदकर।।एक आध्यात्मिक किताब में मैंने बहुत सुंदर बात पढ़ी. हमारा शरीर जिन चीजों से बना है, हम उसी चीज की बाहर तलाश करते हैं. उदाहरण के तौर पर जब शरीर में पानी का बैलेंस बिगड़ता है, हमें प्यास लगती है. वायु का बैलेंस बिगड़ता है, हम ऑक्सीजन के लिए तड़पते हैं. ठीक उसी […]

।। दक्षा वैदकर।।
एक आध्यात्मिक किताब में मैंने बहुत सुंदर बात पढ़ी. हमारा शरीर जिन चीजों से बना है, हम उसी चीज की बाहर तलाश करते हैं. उदाहरण के तौर पर जब शरीर में पानी का बैलेंस बिगड़ता है, हमें प्यास लगती है. वायु का बैलेंस बिगड़ता है, हम ऑक्सीजन के लिए तड़पते हैं. ठीक उसी तरह हमारी आत्मा सात चीजों यानी पवित्रता, शांति, शक्ति, ज्ञान, प्यार, खुशी और आनंद से मिल कर बनी है.

बस जिंदगी की यात्रा में ये चीजें कहीं धूमिल हो गयी हैं, इसलिए हम इनकी तलाश बाहर करते हैं. मान लें कि सुबह हम सफेद शर्ट पहन कर घर से बाहर निकले. रास्ते में धूल-मिट्टी, गाड़ी का ग्रीस शर्ट पर लगा. खाना खाते वक्त ध्यान नहीं दिया, वह भी शर्ट पर गिर गया. क्या रात को आपका शर्ट सफेद दिखेगा? नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि हमने दिनभर यात्रा की, तरह-तरह के काम किये. अब आपको जरूरत है कि अपने शर्ट के वास्तविक रंग को याद करें और उसकी गंदगी को साफ करें. तब तक साफ करें, जब तक शर्ट दोबारा सफेद न दिखने लगे. ठीक उसी तरह हमारी आत्मा भी है. जीवन की यात्र में हमने इसे भी गंदा कर दिया है. अपनी आत्मा का वास्तविक स्वरूप पहचानें और रोज उसे साफ करें.

वर्तमान में क्या हो रहा है यह मैं आपको बताती हूं. हमारे चेहरे पर धूल लगी है. हम आईने में देखते हैं और आईने की धूल साफ करने लगते हैं. धूल कैसे साफ होगी? वह तो आपके चेहरे पर लगी है. आपको खुद को साफ करना होगा. इसलिए दूसरों को सुधारना, उनमें गलतियां निकालना बंद करें.

पूरी धरती का बोझ अपने दिमाग पर लेकर न चलें. किसी ने आपको कुछ गलत बोल दिया, आप रात भर नहीं सो पाते. एक हफ्ते पुरानी घटना की वजह से ऑफिस में काम नहीं कर पाते. इस तरह के विचार आपका सिर भारी कर देते हैं. इन्हें तुरंत हटाएं. ये विचार आपकी अंदरूनी खूबसूरती को कम करते हैं. आपको गुस्सैल व चिड़चिड़ा बनाते हैं. यदि आप शांति, सुख, आनंद, प्यार चाहते हैं, तो आपके पास जो गुस्सा, क्रोध, बुरे विचार हैं, उन्हें आपको छोड़ना ही पड़ेगा क्योंकि एक बार में हाथ में एक ही चीज आती है.

बात पते की..

-दिल में किसी के प्रति नफरत ले कर आप मंदिर, मसजिद भी चले जायेंगे, तो आपको शांति नहीं मिलने वाली. नफरत छोड़ दें, तो शांति घर में ही है.

-नफरत का बीज अगर पनपे, तो उसे बार-बार याद कर के खाद-पानी न दें. उसे इग्नोर करें. वह बीज खुद-ब-खुद खराब हो जायेगा.

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