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बिहार विधानसभा चुनाव: भारतीय जनता पार्टी के लिए है सीटिंग सीटों पर नयी चुनौती, राजग गंठबंधन में जारी है मतभेद

2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 91 सीटें जीती थीं. तब उसका जदयू के साथ गंठबंधन था. इस चुनाव में पुरानी तसवीर बदल चुकी है. जाहिर है कि इसका असर अलग-अलग सीटों पर भी पड़ेगा. सवाल यह है कि इन सीटों पर मुकाबला किस दल से होगा. महागंठबंधन ने इन सीटों का बंटवारा कर […]

2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 91 सीटें जीती थीं. तब उसका जदयू के साथ गंठबंधन था. इस चुनाव में पुरानी तसवीर बदल चुकी है. जाहिर है कि इसका असर अलग-अलग सीटों पर भी पड़ेगा. सवाल यह है कि इन सीटों पर मुकाबला किस दल से होगा. महागंठबंधन ने इन सीटों का बंटवारा कर लिया है. उसके हिसाब से अलग-अलग घटक दल अपने उम्मीदवार देंगे.
सबसे ज्यादा राजद के 43 उम्मीदवार होंगे तो कांग्रेस के 23. जदयू के खाते में 19 सीटें हैं. एक दर्जन से ज्यादा ऐसी भी सीटें हैं जिस पर छोटे दलों और निर्दलय उम्मीदवारों ने भाजपा को टक्कर दी थी. इस बार भी इन सीटों पर उनके उम्मीदवार होंगे. तब मुकाबला तिकोना होगा. पिछले चुनाव में जीत-हार का फर्क बदले माहौल में कितना असर डालेगा, इसे देखा जाना बाकी है. पढ़िए इन सीटों के बारे में रिपोर्ट.
अजय कुमार
2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जिन 91 सीटों पर जीत हासिल की थी, इस बार वहां की 43 सीटों पर राजद, 19 पर जदयू और 23 पर कांग्रेस के साथ मुकाबला होने जा रहा है. विधानसभा में भाजपा विधायकों की मौजूदा संख्या 85 है. पिछले दिनों उप चुनाव में कुछ सीटें हाथ से निकल जाने, एक विधायक के निधन और एक के इस्तीफे के बाद यह संख्या बचती है. महागंठबंधन की ओर से तालमेल में इन सीटों का आंकड़ा 85 का बैठता है.
20 हजार से अधिक वोटों से जीते थे 24 भाजपा उम्मीदवार
भाजपा ने पिछले चुनाव में दस हजार से अधिक पर बीस हजार से कम वोटों के अंतर से जिन सीटों पर जीत हासिल की थी, उसकी संख्या 34 है जबकि 20 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से उसके उम्मीदवारों ने 24 स्थानों पर मुकबला जीता था. पांच हजार से कम वोटों के अंतर से जीतने वाले उम्मीदवारों की संख्या दस थी.
कुछ ऐसे भी उम्मीदवार थे जिन्होंने एक हजार से भी कम वोटों के अंतर से बाजी मारी थी. केवटी विधानसभा की सीट पर भाजपा के अशोक यादव ने राजद के फराज फातमी को केवल 29 वोटों के अंतर से पराजित किया था.
मधुबनी में रामदेव महतो ने राजद के ही नैयर आजम को 588, बीहपुर में इंजीनियर शैलेंद्र ने राजद के बुलो मंडल को 465 वोटों से पराजित किया था. बाद में बुलो मंडल ने संसदीय चुनाव में राजद के टिकट पर भागलपुर सीट से जीत हासिल की थी. प्राणपुर की सीट पर एनसीपी की इशरत परवीन को केवल 716 वोटों से पराजय का सामना करना पड़ा था. उन्हें विनोद सिंह ने हराया था.
एक हजार से कम वोटों से जीत दर्ज करने वाले भाजपा उम्मीदवारों की संख्या चार थी. इस बार चुनाव में भाजपा की जीती हुई सीटों पर राजद, कांग्रेस और जदयू तीनों साङो तौर पर लड़ेंगे. भाजपा ने कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशी भी बदल दिये हैं. इस बार भी ज्यादातर सीटों पर भाजपा को राजद से सीधा मुकाबला करने की चुनौती है.
दूसरे नंबर पर राजद के 42 और लोजपा के थे 17 उम्मीदवार
भाजपा की इन जीती सीटों पर राजद 42 स्थानों पर, लोजपा 17, कांग्रेस नौ, भाकपा (माले) चार, एनसीपी तीन, बसपा दो, निर्दलीय तीन और भाकपा के दो उम्मीदवार दूसरे स्थान पर थे. पिछले चुनाव के जो सामाजिक आधार थे, वे अब बदल चुके हैं. जदयू और राजद साथ-साथ हैं, जबकि भाजपा को लोजपा, रालोसपा और हम का साथ मिला है. नीतीश और लालू दोनों अपने सामाजिक आधार को एकजुट करने में लगे हैं.

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