संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना आम बहस आज होगी जिसमें दुनिया भर के 150 से अधिक नेता हिस्सा लेंगे. इस बहस में सतत विकास, जलवायु परिवर्तन, शरणार्थी संकट, आतंकवाद और आइएसआइएस से निपटने सहित कई मुद्दों पर प्रमुखता से चर्चा होगी. इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में वैश्विक नेताओं की अप्रत्याशित मौजूदगी नजर आएगी क्योंकि वे विश्व संस्था की स्थापना की 70वीं सालगिरह पर एकत्र होने जा रहे हैं. महासभा की आम बहस शुरु होने के कुछ दिन पहले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पोप फ्रांसिस सहित कई विश्व नेता शहर में पहुंच चुके हैं. ये नेता संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून द्वारा आयोजित संयुक्त राष्ट्र सतत विकास शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने आए जिसमें वर्ष 2015 के विकास के महत्वाकांक्षी एजेंडे को मंजूरी दी गयी.
विश्व के नेता दिसंबर में पेरिस में होने जा रहे जलवायु परिवर्तन करार को मंजूरी देने की तैयारी में हैं और समझा जाता है कि आम बहस में कई नेता जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन में कटौती की देशों की प्रतिबद्धता पर प्रमुखता से चर्चा करेंगे. इसके अलावा सतत विकास, आतंकवाद के खतरे और वैश्विक संकट तथा आइएसआइएस को परास्त करना भी चर्चा के प्रमुख विषय होंगे. वैश्विक नेता लगातार बढ रहे शरणार्थी संकट पर भी बात कर सकते हैं और इसके साथ ही वे इराक और सीरिया के संकटग्रस्त क्षेत्रों में आतंक और अत्याचार से बचने के लिए आ रहे ज्यादा प्रवासियों को अपनाने की विभिन्न देशों से अपील भी कर सकते हैं. विश्व संस्था की 70 वीं वर्षगांठ की ‘‘जनरल डिबेट’ से पहले बान संगठन के कार्यों के बारे में अपनी वार्षिक रिपोर्ट पेश करेंगे.
इस साल के लिए महासभा के अध्यक्ष डेनमार्क के मोगेन्स लाएकेटोफ्ट उद्घाटन भाषण देंगे और इसके बाद ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रोउसेफ संबोधित करेंगी. उनके देश को पहले राष्ट्रीय वक्ता की पारंपरिक भूमिका मिली हुई है. उनके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा मेजबान देश के नेता के तौर पर बैठक को संबोधित करेंगे. बहस के पहले दिन महासभा को संबोधित करने वाले अन्य शीर्ष नेताओं में दुनियाभर के कई नेता शामिल होंगे. यह बहस तीन अक्तूबर तक चलनी है. कई नेता 2030 एजेंडा जारी करने वाले तीन दिवसीय सम्मेलन में पहले ही शिरकत कर चुके हैं. मोदी ने 25 सितंबर को सतत विकास शिखर सम्मेलन को संबोधित किया था. चूंकि भारतीय प्रधानमंत्री मोदी आज यहां से भारत के लिए रवाना हो जाएंगे, इसलिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एक अक्तूबर को ‘जनरल डिबेट’ को संबोधित करेंगी. इससे एक दिन पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री महासभा को संबोधित करेंगे.
पारंपरिक तौर पर, हर साल महासचिव इस संबंध में ड्रॉ निकालते हैं कि संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से महासभा के हॉल की पहली सीट पूरे साल के सत्र के लिए किसे मिलेगी. इस साल बान की-मून ने ड्रा के जरिये तुवालू का नाम चुना. यह दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र का एक विकासशील देश है, जिसमें लगभग 11 हजार लोग रहते हैं. मानवीय गतिविधियों के चलते उपजे जलवायु परिवर्तन के संकट के कारण इस देश के अस्तित्व पर भारी खतरा है. जलवायु परिवर्तन से निपटना सतत विकास के महत्वाकांक्षी 2030 एजेंडे के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है. इस एजेंडे को महासभा ने शुक्रवार को अंगीकार किया. 17 लक्ष्यों ओर 169 प्रयोजनों वाला यह एजेंडा अगले 15 साल में गरीबी मिटाने, असमानता से लडने और चिकित्सीय एवं शैक्षणिक सुविधाओं तक पहुंच बढाने के लिए एक जरुरी आधार है.
अनियंत्रित जलवायु परिवर्तन से सभी अन्य लक्ष्य कमजोर हो सकते हैं. नया एजेंडा लोगों पर केंद्रित, सार्वभौमिक, सुधारात्मक और संकलित है. यह सभी देशों द्वारा सभी लोगों के लिए अगले 15 साल में जनता, ग्रह, समृद्धि, शांति और साझेदारी के पांच महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कदम उठाने की अपील करता है. इस एजेंडे में कहा गया है कि गरीबी का अंत एक ऐसी योजना के साथ-साथ चलना चाहिए, जो कि जलवायु परिवर्तन से निपटते हुए आर्थिक विकास का निर्माण करता हो और विभिन्न सामाजिक जरुरतों की ओर ध्यान दिलाता हो.