बागी कहीं मौन, कहीं भीतरघात में जुटे

शाहाबाद के दो पुराने जिलों भोजपुर और बक्सर में विधानसभा की 11 सीटें हैं. 2010 के चुनाव में एनडीए का यहां की सभी सीटों पर कब्जा हो गया था. उसके पहले के चुनाव में राजद और भाकपा (माले) के खाते में जीत दर्ज होती रही. इस लिहाज से इस चुनाव का बड़ा सवाल यही है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 5, 2015 7:29 AM
शाहाबाद के दो पुराने जिलों भोजपुर और बक्सर में विधानसभा की 11 सीटें हैं. 2010 के चुनाव में एनडीए का यहां की सभी सीटों पर कब्जा हो गया था. उसके पहले के चुनाव में राजद और भाकपा (माले) के खाते में जीत दर्ज होती रही. इस लिहाज से इस चुनाव का बड़ा सवाल यही है कि अब क्या होगा? हालांकि बीते चुनाव की तुलना में इस बार राजनीतिक व सामाजिक समीकरण बदले हुए हैं. इस बदलाव ने यहां की सभी सीटों पर रोचक लड़ाई पैदा कर दी है. पढ़िए,एक रिपोर्ट.
शशिभूषण कुंवर
पुराने शाहाबाद के दो जिलों भोजपुर और बक्सर में चुनाव की लड़ाई तीखी हो चली है. एनडीए व महागंठबंधन के अलावा बसपा, सपा और भाकपा (माले)उम्मीदवार लड़ाई को तिकोना बनाने में अपनी ऊर्जा खपा रहे हैं. इस चुनाव में महागंठबंधन व एनडीए ने कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवारों को बदलकर नये को मौका दिया है. इसके चलते संबंधित दलों को विरोध-भीतरघात का भी सामना करना पड़ रहा है.
भोजपुर जिले में विधानसभा की सात सीटें हैं. बड़हरा लेकर तरारी चुनाव की गहमागहमी तेज हो गयी है. इन दोनों जिलों में 28 अक्टूबर को मतदान होना है.

संदेश विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के सीटिंग विधायक संजय सिंह टाइगर हैं. उनके सामने महागंठबंधन में राजद की ओर से अरु ण कुमार हैं, तो सपा ने रंजीत यादव को उतारा है. माले से राजू यादव हैं. जन अधिकार पार्टी ने वीणा देवी को उतारा है. इस क्षेत्र में यादव, राजपूत, भूमिहार के अलावा अति पिछड़ी जातियां निर्णायक हैं. संदेश में विजेंद्र यादव राजद से खफा हुए थे, जिन्हें लालू प्रसाद ने मना लिया है.
बड़हरा में राजद ने सीटिंग विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह का टिकट काटकर सरोज यादव को प्रत्याशी बनाया है. राघवेंद्र प्रताप कई बार विधायक रहे. सरोज पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. इधर, राजद के विधान परिषद सदस्य राधाचरण साह के भाई हाकिम प्रसाद भाजपा में शामिल हो गये हैं. ऐसे में दोनो गंठबंधन को इसका नफा-नुकसान होने की आशंका बनी रहेगी.आरा विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला आमने-सामने का है. अमरेंद्र प्रताप सिंह यहां से लगातार विधायक चुने जाते रहे हैं. उनके खिलाफ राजद ने मोहम्मद नवाज आलम को उतारा है. माले की ओर से क्यामुद्दीन हैं. इस सीट पर सीधी लड़ाई का इतिहास रहा है. इस बार क्या होता है, इसे देखा जाना है.
अगियांव सीट पर जदयू ने प्रभुनाथ राम को उतारा है, तो भाजपा के शिवेश राम फिर से मैदान में हैं. माले की ओर से मनोज मंजिल हैं. इस इलाके में वोटों की तीखी लड़ाई होती रही है. देखना है, इस बार क्या होता है?

तरारी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने अखिलेश प्रसाद सिंह को, लोजपा से सुनील पांडेय, रणवीर सेना के प्रमुख रहे ब्रह्मेश्व मुखिया के पुत्र इंदू भूषण भी मैदान में हैं. माले के सुदामा प्रसाद भी मैदान में हैं. यहां से निवर्तमान विधायक सुनील पांडेय हैं. वह पिछला चुनाव जदयू के टिकट पर जीते थे.
जगदीशपुर में राजद के राम विशुन सिंह जबकि रालोसपा के संजय मेहता मैदान में हैं. यहां राजद ने भाई दिनेश का टिकट काट दिया है. वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं. भाई दिनेश की जगह पूर्व मंत्री भगवान सिंह राजद कके उम्मीदवार होने वाले थे. पर उन्हें भी बेटिकट कर दिया गया. अब वह पप्पू यादव के साथ हैं. इस सीट से सपा ने े उदय शंकर सिंह को तथा माले ने चंद्रदीप सिंह को प्रत्याशी बनाया है. चंद्रदीप सिंह पूर्व विधायक हैं.
शाहपुर में भाजपा ने मुन्नी देवी का टिकट काटकर उनके निकट संबंधी विश्वेश्वर ओझा को प्रत्याशी बनाया है. मुन्नी देवी की जीत में ओझा की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है. राजद की ओर से राहुल तिवारी है. राहुल पूर्व मंत्री व समाजवादी शिवानंद के पुत्र हैं.
बक्सर जिले में विधानसभा की चार सीटें हैं. ब्रह्मपुर में भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी ठाकुर के पुत्र विवेक ठाकुर को जबकि राजद ने शंभूनाथ यादव को प्रत्याशी बनाया है. भाजपा ने यहां से निर्वतमान दिलमानो देवी का टिकट काट दिया था. इस क्षेत्र से चार बार विधायक रहे अजीत चौधरी राजद के बागी प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं. यहां पर मुकाबला त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में हैं. सामाजिक स्तर पर ध्रुवीकरण होने से चुनाव का परिणाम कुछ भी हो सकता है. इस तथ्य को जानते हुए दोनों ओर से वोटों के बिखराव को रोकने की कोशिश होगी.
बक्सर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने पूर्व मंत्री सुखदा पांडेय का टिकट काट दिया है. यह सीट दशक बाद कांग्रेस के खाते में गयी है. बक्सर में कांग्रेस ने संजय कुमार तिवारी को उम्मीदावर बनाया है. इधर, भाजपा ने प्रदीप दूबे को प्रत्याशी बनाया है. यह क्षेत्र ब्राह्मण बहुल है. दोनों ही गंठबंधन के उम्मीदवार इसी समाज से आते हैं. निर्दलीय शिवजी पांडेय बक्सर का बेटा होने का नारा देकर मैदान में हैं. महागंठबंधन के पक्ष में माई समीकरण है, तो अति पिछड़ा समाज से आने वाले सुरेश राजभर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार हैं. साथ ही उनको अनुसूचित जाति के मतों को भी गोलबंद होने का लाभ मिलेगा.
डुमरांव विधानसभा सीट से महागंठबंधन ने पूर्व मंत्री ददन पहलवान को प्रत्याशी बनाया है. उनका मुकाबला रालोसपा के उम्मीदवार रास बिहारी सिंह से होगा. ददन के पक्ष में माई समीकरण है, तो एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में उसका आधार वोट है. राजपुर (सुरिक्षत) सीट पर जदयू से संतोष निराला उम्मीदवार हैं, जबकि भाजपा से विश्वनाथ राम चुनाव मैदान में हैं. यहां पर राजपूत मत निर्णायक है. इस क्षेत्र में अजय मुखिया का भी प्रभाव हैं . पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू ने इस सीट पर लोजपा को परास्त कर किया था. तब के राजनीतिक-सामाजिक समीकरण अलग थे. लोजपा और राजद के बीच तब तालमेल था. अब परिस्थितियां पूरी तरह उलट चुकी हैं. ऐसे में चुनावी परिदृश्य दिलचस्प हो गया है. भोजपुर औश्र बक्सर जिले की इन 11 सीटों पर रोचक लड़ाई छिड़ी हुई है. देखना है,वोटर इस लड़ाई को क्या शक्ल देते हैं.
इनपुट: आरा से मिथिलेश व बक्सर से विजय शंकर.

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