संयुक्त राष्ट्रसंघ यानी यूनाइटेड नेशन्स (यूएन) विश्व की एकमात्र संस्था है, जो सभी देशों में शांति स्थापित करने में सहयोग देती है और सभी राष्टो्रं की उन्नति के लिए प्रयास करती है. 24 अक्तूबर को यूएन डे पर विशेष स्टोरी.
संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना विश्व में शांति स्थापना के लिए किया गया था. उस समय सेकेंड वर्ल्ड वार की समाप्ति हुई थी. इस युद्ध से विजयी और पराजित राष्ट्र दोनों परेशान थे. सभी देश ऐसी संस्था चाहते थे, जो विश्व में शांति स्थापित कर सके. इसकी स्थापना में उस समय के सभी राष्ट्रों ने सहयोग दिया. यही कारण है कि आज यह संस्था अपने कार्यो से सफल है. 24 अक्तूबर 1945 को इसकी स्थापना हुई थी, तब से लेकर आज तक हर वर्ष 24 अक्तूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस मनाया जाता है.
सभी देश करते हैं सहयोग
संयुक्त राष्ट्र के जितने भी सदस्य देश हैं, सभी अपनी क्षमता से इन्हें आर्थिक सहायता देते हैं. इन पैसों से ये जरूरतमंद देशों को सहायता करते हैं. प्राय: सभी देशों में इनकी एक शाखा होती है, जो सभी रिपोर्ट मुख्यालय भेजती है.
इन प्रोफेशनल्स को अनेक तरह की सुविधाएं दी जाती हैं और हेवी सैलरी पर रखा जाता है. आप चाहें तो प्रोफेशनल डिग्री लेकर यूएन से जुड़ सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र मजबूत बनी रहे और इनका पालन सभी राष्ट्र करे.
इसके लिए उस समय के प्रमुख और शक्तिशाली देश को वीटो पॉवर दिया गया था, जो अब तक चला आ रहा है. पांच स्थाई सदस्य के पास वीटो पावर होता है. इनका रिटायरमेंट कभी नहीं होता है.
आखिर क्या है वीटो पावर
जिस समय संयुक्त राष्ट्र बना था, उस समय सभी राष्ट्र एक दूसरे के घोर विरोधी थे. दो देश आपस में तभी जुड़ते थे, जब उनका हित होता था. हित की पूर्ति होते ही वे लोग अलग हो जाते थे और एक दूसरे से लड़ने लगते थे. इसी कारण दो भीषण युद्ध हुए. उस समय के पांच मजबूत देश को वीटो का पावर इसलिए दिया गया, ताकि वे सभी तरह से सहयोग कर सकें. स्थाई सदस्य का कोई एक देश अपनी मर्जी से विश्व संस्था को न चला सके, इसके लिए वीटो पावर दिया गया. अगर किसी एक ने वीटो पावर का प्रयोग कर दिया तो वह आमराय नहीं मानी जायेगी और संयुक्त राष्ट्र वह कार्य नहीं करेगी. उदाहरण के रूप में मान लीजिए कि संयुक्त राष्ट्र भारत को आर्थिक और सैनिक सहायता देना चाहती है. इसके लिए पांचों स्थाई सदस्य की सहमति अनिवार्य है. अगर कोई एक देश इसके लिए तैयार नहीं है, तो भारत को यूएन से किसी तरह की सहायता नहीं मिल सकती है. इसे ही ‘वीटो पावर’ कहते हैं.
बच्चों के विकास में सहयोगी है यूएन
संयुक्त राष्ट्र आज बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा पर भी काफी पैसे खर्च कर रही है. यही कारण है कि अनेक देशों में गरीब बच्चे को संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से सभी तरह की सुविधाएं मिल रही हैं. संयुक्त राष्ट्र का एक ही उद्देश्य है कि एक भी बच्च भूखा न रहे और सभी को उचित शिक्षा मिले. यूएन बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए अनेक तरह के प्रोग्राम भी समय-समय पर कराती है, ताकि उन्हें उचित प्रोत्साहन मिले और वह मन लगा कर अपने कार्यो को पूरा कर सके. यूएन ऐतिहासिक धरोहर की रक्षा भी करती है. अगर किसी देश को पैसे की जरूरत पड़ती है तो वह उसे वर्ल्ड बैंक की सहायता से सहयोग भी करती है. इस समय प्राय: सभी राष्ट्र इनके सदस्य हैं. हाल ही में यूएन मिलेनियम डेवलपमेंट गोल में बिहार की तरफ से पुनम और नाजिया ने संयुक्त राष्ट्र में अपनी बात रख कर एक मिशाल कायम की है और युवाओं के लिए एक रास्ता भी दिखायी है. यूएन मिलेनियम डेवलपमेंट गोल में विश्व के लगभग 12 लाख स्टूडेंट्स को अपनी बात रखने का अवसर मिला.