दलित नेताओं और बागियों के बीच कडी रस्साकशी

चकई (भागलपुर) : बिहार विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर भाजपा के दो घटक दलों के बीच प्रभुत्ता की लडाई और महागठबंधन की गूंज महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है. प्रदेश में पहले चरण के तहत कल 49 सीटों पर मतदान होगा. चकई में हम (एस) प्रमुख जीतन राम मांझी राज्य में सर्वाधिक कद्दावर दलित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 11, 2015 1:27 PM

चकई (भागलपुर) : बिहार विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर भाजपा के दो घटक दलों के बीच प्रभुत्ता की लडाई और महागठबंधन की गूंज महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है. प्रदेश में पहले चरण के तहत कल 49 सीटों पर मतदान होगा. चकई में हम (एस) प्रमुख जीतन राम मांझी राज्य में सर्वाधिक कद्दावर दलित नेता के पद से लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान को उखाड फेंकने की फिराक में हैं जहां वर्तमान विधायक सुमित सिंह लोजपा की ओर से राजग के आधिकारिक उम्मीदवार विजय सिंह के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं.

सुमित सिंह ‘हम’ के शीर्ष नेता नरेन्द्र सिंह के पुत्र हैं. लोजपा उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे एक भाजपा नेता दिवेश सिंह ने कहा कि यह हमारे लिए सुरक्षित सीट थी लेकिन अब कुछ भी हो सकता है. रणनीतिक चाल के तहत राजद ने चकई से पूर्व विधायक और भाजपा नेता की विधवा को चुनाव मैदान में उतारा है. लोजपा के प्रदेश प्रमुख पशुपति पारस अलौली सीट पर अपने दबदबे को बनाए रखने के लिए कडा संघर्ष कर रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2010 के चुनाव में एक चतुर चाल चलकर अनुसूचित जाति वर्ग से महादलित को मैदान में उतारा था जिसकी कीमत पासवान के भाई को अपनी सीट गंवाकर देनी पडी थी और अब पासवान सर्वाधिक गरीब जातियों के अपने खोए जनाधार को पाने के लिए मांझी की अपील पर निर्भर हैं.

अपने बढते कद की अहमियत बताने के लिए मांझी ने हाल ही में कहा था कि पासवान ने उनसे अलौली में फोन के जरिए जनसभा को संबोधित करने की अपील की क्योंकि वह खुद इसमें शामिल नहीं हो सके थे.

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