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यह चिंता न करें कि लोग क्या कहेंगे

दक्षा वैदकरएक लड़की ने अपनी समस्या बतायी है. वह कहती है, मैं एक लड़के से प्यार करती हूं. उसे अपने पैरेंट्स से भी मिला चुकी हूं. पैरेंट्स को भी उस लड़के में कोई खोट नजर नहीं आती, सिवाय इस बात के कि वह लड़का हमारी कास्ट का नहीं है. मैंने बहुत मनाया, लेकिन घर वाले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 12, 2015 12:58 AM

दक्षा वैदकर
एक लड़की ने अपनी समस्या बतायी है. वह कहती है, मैं एक लड़के से प्यार करती हूं. उसे अपने पैरेंट्स से भी मिला चुकी हूं. पैरेंट्स को भी उस लड़के में कोई खोट नजर नहीं आती, सिवाय इस बात के कि वह लड़का हमारी कास्ट का नहीं है. मैंने बहुत मनाया, लेकिन घर वाले नहीं मान रहे. धमकी देते हैं कि तूने गलत तरह से शादी कि तो हम जहर खा कर मर जायेंगे. मैंने तय कर लिया है कि शादी करूंगी, तो उसी से.

ऐसे किस्से कई घरों में इन दिनों सुनने को मिलते हैं. बच्चे किसी और से शादी करना चाहते हैं और पैरेंट्स विरोध कर रहे हैं. कई मामलों में बच्चों की पसंद सच में ठीक नहीं होती. वे प्यार में अंधे हो जाते हैं और किसी को भी जीवनसाथी चुन लेते हैं. ऐसे में परिवारवालों का विरोध करना जायज भी माना जा सकता है, लेकिन कई बार बच्चों की शादी परिवार वाले उनकी पसंद से केवल इस डर से नहीं करते कि दुनियावाले क्या सोचेंगे? दूसरी कास्ट में शादी कर दी? आज हजारों, लाखों, करोड़ों लोग अपनी पूरी जिंदगी यही सोचते हुए निकाल देते हैं कि सामनेवाला क्या सोचेगा या दुनिया क्या सोचेगी. यही सोच-सोच कर ऊपर वाले की दी हुई इस खूबसूरत जिंदगी को वे जी नहीं पाते हैं और वो एक दिन खत्म भी हो जाती है. लोग क्या कहेंगे, ताने मारेंगे वो हम पर, ये सोच कर हम अपने बच्चों की खुशियों का गला घोंटते हैं.

हम यह जानते हैं कि जीवन उन बच्चों को साथ जीना है. अगर हम किसी से जबरदस्ती शादी करवा भी देंगे, तो उन्हें जबरदस्ती एक-दूसरे से प्यार करने पर मजबूर नहीं कर सकते. हो सकता है कि शादी के बाद भी वे अपने प्यार से मिलना जारी रखें. इस तरह तो हम कई जिंदगियां बर्बाद कर देंगे. पैरेंट्स को यह समझना होगा कि आज उनकी उम्र 50, 55 या 60 साल तक हो चुकी है. उन्हें समाज व लोगों का सामना करते हुए 10, 15 या ज्यादा-से -ज्यादा 20 साल जीवन जीना है, लेकिन जिन बच्चों की वे जबरदस्ती शादी करा रहे हैं. उनके सामने 40-50 साल पड़े हैं. अगर वे एक-दूसरे को पसंद ही नहीं करते, तो आपके गुजर जाने के बाद वे किसे दोष देंगे?
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in

बात पते की..
पैरेंट्स की खुशी अपने बच्चों की खुशी में ही होनी चाहिए. समाज वाले तब बिल्कुल ताना नहीं मारेंगे, जब आप खुद अपने बच्चों के साथ खड़े रहेंगे.
जब आप अपने बच्चों का दिल दुखाये बिना उनकी बात मान लेते हैं, उन पर विश्वास जताते हैं, तो वे भी बदले में आपको उतना ही सम्मान व प्रेम देते हैं.
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