नीतीश की चिट्ठी, BJP का निशाना
पटना : बिहार विधानसभा की एक तिहाई सीटों पर मतदान संपन्न हो जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने महागंठबंधन के नेता नीतीश कुमार पर उनके ही 23 साल पुराने पत्र के बहाने निशाना साधा है. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने आज बिहार के सभी प्रमुख अखबारों में एक पन्ने का विज्ञापन छपवाया है, […]
पटना : बिहार विधानसभा की एक तिहाई सीटों पर मतदान संपन्न हो जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने महागंठबंधन के नेता नीतीश कुमार पर उनके ही 23 साल पुराने पत्र के बहाने निशाना साधा है. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने आज बिहार के सभी प्रमुख अखबारों में एक पन्ने का विज्ञापन छपवाया है, जिसमें कथित रूप से नीतीश कुमारद्वारा लालू प्रसाद यादव को 1992 में लिखे गये पत्र का पूरा मजमून छापा गया है.
नीतीश के लालू से मतभेद उभरने का मजमून
यह वह दौर था, जब लालू प्रसाद यादव प्रबल बहुमत के साथ सत्ता के शीर्ष पर यानी बिहार के मुख्यमंत्री पद पर थे और अपने बहुप्रचारित सामाजिकन्याय कीराजनीति के लिए देश में एकअलगपहचान बना चुके थे.लालूप्रसाद व नीतीश कुमार दोनों उस समय जनता दल में ही थे, लेकिन लालू के शासन के तरीकों के कारण नीतीश का उनसे मतभेद उभर आया था.
अखबार में प्रकाशित विज्ञापन में यह पत्र लालू प्रसाद यादव को नीतीश कुमार द्वारा लिखा गया बताया गया है. आरंभ में इसकी भूमिका में लिखा गया है कि 1992 में नीतीशजी ने अपनी सरकार के मुखिया लालूजी को पत्र लिख कर उन पर जम कर आरोप लगाए. उनके पत्र के मुख्य अंश पढ कर आप ही तय कीजिए कि उनके आरोप तब सच थे या उनका आज का गंठबंधन?
सामाजिक न्याय केवल एक दबंग समुदाय के लिए
यानी भाजपा का यह विज्ञापन स्पष्ट करता है कि नीतीश के पत्र के प्रमुख अंश ही इसमें प्रकाशित किये गये हैं. पत्र नौ बिंदुओं में विभक्त है. पत्र में इस बात का उल्लेख है कि सामाजिक न्याय की लहर पर सवार राज्य सरकार में पहला शिकार सामाजिक न्याय महज निजी लोकप्रियता बटोरने का एक नारा मात्र बन गया है. पत्र में यह भी उल्लेख है कि अन्य पिछड़े वर्गों में यह धारणा बनी है कि सामाजिक न्याय का लाभ केवल एक दबंग समुदाय के लिए सुरक्षित है. पत्र में मंत्रियों व विधायकों के हवाले से नीतीश को यह कहते हुए उद्धृत किया गया है किसिपाहीपदपर बहाली मेंअनियमितताहुई है.
पत्रमेंउल्लेख हैकिलालूकी घोषणाओं से सांप्रदायिकताके खिलाफ लड़ाई केलिएप्रतिबद्धअन्य पिछड़ेवर्गोंऔर जनता दल कार्यकर्ताओं मेंएक गलत संदेश गया है.
कांग्रेस का शासन भ्रष्ट, उसी राह पर लालू
इसपत्र में नीतीश कुमार को कांग्रेस के शासन को कुशासन व भ्रष्ट बताते हुएउल्लेखितकिया गया,जिसके तहत वे लालू प्रसादको पत्र में कहते हैं किआकांक्षा थी कि आपके शासन में भ्रष्टाचारकेखिलाफ कार्रवाई शुरूहोगी, पर प्राथमिकताबदल गयीं और ये कदम औपचारिकता बन कर रह गए.पत्रके अनुसार,नीतीश कुमार ने लालू काेलिखाथा कि आपकेशासन में सरकारी कार्यालय भ्रष्टाचार के समुद्र बन गयेऔर सड़कनिर्माण मेंभ्रष्ट्राचार को आपकासमर्थन प्राप्त है, यह बात नीचलेस्तर पर प्रचारित होगयीहै.
तबादलेमेंनियमताक पर
नीतीश कुमारकोपत्रमें यह लिखते उद्धृतकिया गया हैकितबादलाव पदस्थापना में नियम व परंपराएं ताक पर रख दी गयी हैं अौर सांसदों व विधायकों से मुझेमालूम हुआ है कि इस विभाग के भ्रष्ट एवं अनियमित कार्यकलापों से आपका नाम जुड़ा होने की बात खुद विभागीय मंत्री के मुंह से खुलेआम कही जा रही है. इसमेंयह लिखा गया हैकि उनका यह जुमला राजनीतिक एवं नौकरशाही के सर्किल मेंमशहूर हो गया है कि मैं एक हाथसे लेता हूं और दूसरे हाथ से आप तक पहुंचा देता हूं.
उद्योगपतियों से साठगांठ
प्रकाशित विज्ञापन के अनुसार, नीतीश कुमार ने लालू यादव को पत्र में लिखा था कि उद्योगपतियों के प्रति आपकी सरकार के रुख सेसवाल पूछे जाने लगा है. इसमेंएक औद्योगिक घराने के टैक्स के मामले का उल्लेख किया गया है. राज्यकी वित्तीयहालात केदिन ब दिनखराब होने की बात भी कही गयी है. आमदनी खर्च का अनुपात बिगड़ने का भी उल्लेख किया गया है.
दिल्ली में राज्य का मजाक
पत्र में नीतीश कुमार को लालू यादव की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए उद्धृत किया गया है. लिखा है : आप जिस वार्षिक योजना व लेकर केंद्र के पास जाते हैं, वह रद्दी की टोकरी के हवाले किये जाने लायक कागजों के पुलिंदा के सिवाय कुछ भी नहीं होता. केंद्र में उसकी खिल्ली उड़ाई जाती है और मात्र राजनीतिक दृष्टिकोण से उसेस्वीकृति मिलती है. इसमें राज्य के अधिकारियों को प्रताड़ित किये जाने का उल्लेख भी है. साथ ही नीतीश को लालू को यह लिखते हुए भी उद्धृत किया गया है कि मंत्रियों की शिकायत है कि उनके विभाग में अनावश्यक हस्तक्षेप किया जा रहा है और मुख्यमंत्री के स्तर पर विभागीय अधिकारियों और निहित स्वार्थी समूहों की राय को तरजीह दी जाती है.