आरक्षण विवाद और बीजेपी-RSS संबंध : समय रहते संदेश देने की कोशिश

पटना : भारतीय जनता पार्टी से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के रिश्तों पर अकसर सवाल पूछे जाते हैं. भाजपा और संघ भी हमेशा अपने अपने तरीके से इस सवाल का जवाब देते हैं, जो बहुत बार स्टीरियो टाइप से लगते हैं. लेकिन, इनके रिश्तों पर ताजा चर्चा बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हो रही है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 19, 2015 7:13 PM

पटना : भारतीय जनता पार्टी से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के रिश्तों पर अकसर सवाल पूछे जाते हैं. भाजपा और संघ भी हमेशा अपने अपने तरीके से इस सवाल का जवाब देते हैं, जो बहुत बार स्टीरियो टाइप से लगते हैं. लेकिन, इनके रिश्तों पर ताजा चर्चा बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हो रही है. बिहार चुनाव में महागंठबंधन के नेता नीतीश कुमार व लालू प्रसाद यादव अपने चुनाव अभियान में बारबार यह कहते घूम रहे हैं कि बीजेपी व नरेंद्र मोदी के बॉस तो संघ प्रमुख मोहन भागवत हैं और जब उन्होंने कहा दिया है, तो भाजपा जैसे ही राज्यसभा में मजबूत सि्थति में आयेगी आरक्षण हटा देगी. वहीं, भाजपा के बड़े से लेकर छोटे नेता तक चुनाव अभियान में इस मुद्दे पर सफाई दे रहे हैं कि ऐसा कुछ नहीं होगा.

अमित शाह का बयान

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज पटना में प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि संघ प्रमुख ने ऐसा नहीं कहा है और न ही ऐसा होने वाला है.उन्होंने आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था को बनाये रखनेकीबात कही. भाजपा के नेता सामाजिक न्याय के प्रति अब अपने गहरे समर्पण को व्यक्त कर रहे हैं. क्योंकि सामाजिक न्याय ही वह नारा था, जिसके सहारे लालू प्रसाद ने बिहार में डेढ़ दशक तक एकछत्र राज्य किया और फिर नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए ने भी यहां सोशल इंजीनियरिंग की, जिसका दोनों दलों ने लाभ भी उठाया.


शाह से पहले संघ का बयान

अमित शाह से पहले संघ के स्थानीय नेतृत्व ने भी बयान दिया था कि सरसंघचालक ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर पूर्व क्षेत्र के कार्यवाह डॉ मोहन सिंह ने रविवार को बयान जारी कहा कि सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने आरक्षण के संबंध में जो बयान दिया था, उसे तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया. आरक्षण के बारे में संघ के विचार के बारे में भ्रम का माहौल बनाया जा रहा है. संघ इसकी निंदा करता है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मानता है कि सामाजिक न्याय और समरसता के लिए आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था को आवश्यक रूप से जारी रहना चाहिए. आरक्षण की सुविधा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़े और अन्य पिछड़े वर्गों को मिले और संविधान निर्माताओं का उद्देश्य सफल हों.


भाजपा जुड़ी है संघ के नाभिनाल से

समय समय पर ऐसा होता है कि भाजपा स्वयं को हालात के अनुरूप पृथक संगठन के रूप में प्रस्तुत करता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि संघ से ही भाजपा का जन्म हुआ है. संघ के ही लोग अब भी भाजपा में रीढ़ होते हैं और उसी प्रक्रिया से शीर्ष पर पहुंचते हैं. अटल बिहारी वाजपेयी हों या नरेंद्र मोदी ये लोग संघ के प्रचारक जीवन से ही भाजपा के शिखर पुरुष बने. संघ के प्रचारक ही भाजपा की राज्य इकाई से लेकर केंद्रीय इकाई तक में संगठन मंत्री होते हैं, जो अध्यक्ष के समानांतर या कहें उसके बाद सर्वाधिक ताकतवर पद होता है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी संगठन मंत्री को ही इस्तीफा देते हैं. ध्यान रहे कि संजय जोशी ने ही संगठन मंत्री के रूप में लालकृष्ण आडवाणी से जिन्ना विवाद के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफा लिया था. इसलिए संघ के विचार मंथन से पड़ने वाले असर से भाजपा स्वयं को जुदा नहीं कर सकती है. ऐसे में वह जानती है कि इस मुद्दे पर लोगों के पास समय रहते अपना संदेश पहुंचाया जाये, जो उन्हें जंचे और नुकसान से बचा जाये.

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