भारत और पाक के बीच तनाव से UN चिंतित

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कश्मीर के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पर चिंता व्यक्त की और कहा कि वह दोनों पक्षों द्वारा अनुरोध किए जाने पर मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं. बान के उप प्रवक्ता फरहान हक से जब संवाददाताओं ने भारत और पाकिस्तान के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 21, 2015 8:46 AM

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कश्मीर के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पर चिंता व्यक्त की और कहा कि वह दोनों पक्षों द्वारा अनुरोध किए जाने पर मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं.

बान के उप प्रवक्ता फरहान हक से जब संवाददाताओं ने भारत और पाकिस्तान के बीच गतिरोध के बारे में पूछा और कहा कि क्या संयुक्त राष्ट्र प्रमुख परमाणु सशस्त्र दक्षिण एशियाई पडोसियों के बीच मतभेदों को सुलझाने में मदद करने के लिए मध्यस्थता का प्रस्ताव रखेंगे, उन्होंने कहा, ‘‘ आप जानते हैं कि कश्मीर के मुद्दे पर महासचिव ने अतीत में क्या कहा है और वह अब भी इस मुद्दे को लेकर चिंतित है लेकिन हमारे पास इस पर कुछ नया कहने के लिए नहीं है.’ हक ने कहा, ‘‘ जहां तक मध्यस्थता की बात है, तो आप जानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र के मध्यस्थता करने का तरीका यह है कि इसके लिए दोनों पक्षों को अनुरोध करना आवश्यक है. ‘

सुरक्षा परिषद की सहायक संस्थाओं की अपरादर्शिता को लेकर भारत ने जताई चिंता

अल-कायदा प्रतिबंध समिति को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ‘सबसे ज्यादा अपारदर्शी’ सहायक संस्था करार देते हुए भारत ने उन व्यक्तियों और संगठनों को अधिसूचित किए जाने के मापदंडों में कमी पर चिंता जताई है, जिनपर प्रतिबंध लागू हैं. लोकसभा सांसद भर्तृहरि महताब ने कल यहां सुरक्षा परिषद के ‘‘कामकाज के तरीकों’ पर एक खुली बहस के दौरान कहा, ‘‘पारदर्शिता के बारे में हो रही इस बहस में हमें यह उल्लेख करना चाहिए कि सुरक्षा परिषद की सहायक संस्थाओं में सबसे ज्यादा अपारदर्शी संस्था 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति है.’

उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति या संगठन को प्रतिबंध लगाने के लिए अधिसूचित किए जाने या न किए जाने के मापदंड से जुडी कोई जानकारी साझा नहीं की जाती. उन्होंने कहा, ‘‘हमें संदेह है कि शायद इस संदर्भ में कोई मापदंड है ही नहीं। 15 सदस्यों में से किसी भी सदस्य को बिना कोई कारण दिए वीटो इस्तेमाल करने का अधिकार दिया जा सकता है और इसके लिए अधिकतर सदस्यों को सूचित करना भी आवश्यक नहीं है.’

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