पाकिस्तान ने खुद को बार-बार धोखेबाज साबित किया है : अमेरिकी सांसद

वाशिंगटन: आंतकवाद एवं परमाणु अप्रसार पर कांग्रेस की एक उपसमिति की अध्यक्षता करने वाले एक शीर्ष अमेरिकी सांसद का कहना है कि पाकिस्तान ने खुद को बार बार ‘‘धूर्त और धोखेबाज” साबित किया है. साथ ही उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति से इस्लामाबाद के साथ किसी भी प्रकार के असैन्य परमाणु करार पर हस्ताक्षर नहीं करने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 21, 2015 1:25 PM

वाशिंगटन: आंतकवाद एवं परमाणु अप्रसार पर कांग्रेस की एक उपसमिति की अध्यक्षता करने वाले एक शीर्ष अमेरिकी सांसद का कहना है कि पाकिस्तान ने खुद को बार बार ‘‘धूर्त और धोखेबाज” साबित किया है. साथ ही उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति से इस्लामाबाद के साथ किसी भी प्रकार के असैन्य परमाणु करार पर हस्ताक्षर नहीं करने की अपील भी की है.

कांग्रेस के सदस्य टेड पो ने ओबामा को लिखे एक पत्र में कल कहा कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय या किसी भी अन्य प्रासंगिक बहुपक्षीय मंच पर असैन्य परमाणु समझौते का समर्थन करने के मामले में अमेरिका द्वारा किसी भी प्रकार का विचार विमर्श किए जाने की बात करें तो पाकिस्तान का मौजूदा और पुराना रिकॉर्ड उसे अयोग्य बना देता है. आतंकवाद, परमाणु अप्रसार और व्यापार की उपसमिति के अध्यक्ष पो ने अपने पत्र में ओबामा से अपील की कि वह अमेरिका और पाकिस्तान के बीच असैन्य परमाणु समझौते के संबंध में किसी भी प्रकार की वार्ता नहीं करें.
उन्होंने कहा, ‘‘ पाकिस्तान ने बार बार स्वयं को धूर्त और धोखेबाज साबित किया है.” पो ने आरोप लगाया ‘‘ यह देश न केवल अफगानिस्तान में अमेरिकी बलों और उनके हितों पर हमला करने वाले आतंकवादी संगठनों को आश्रय देता है बल्कि उसने ईरान जैसे देशों के साथ पूर्व में किए गए परमाणु सौदों के मामले भी अपनी ईमानदारी साबित नहीं की है.”
पो ने कहा, ‘‘ मैं लंबे समय से इस देश को दी जाने वाली सैन्य मदद बंद करने की अपील कर रहा हूं. यह देश हमारा धन लेता है और इसे हमारे ही हितों के खिलाफ इस्तेमाल करता है.” उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सरकार बार बार यह दिखाती रही है कि उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। ऐसे में पाकिस्तान के साथ एक असैन्य परमाणु समझौता गैर जिम्मेदाराना और खतरनाक होगा.
उन्होंने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों में से एक हित यह सुनिश्चित करना है कि पाकिस्तान के पास एक सुरक्षित परमाणु शस्त्रागार और ढांचागत सुविधाएं हों. पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम और इसके विकास और भारत एवं अन्य देशों को डराने की उनकी क्षमता को रोकना भी एक अहम अमेरिकी उद्देश्य है.
पो ने राष्ट्रपति से कहा, ‘‘ यदि आप अमेरिकी भारतीय असैन्य परमाणु सहयोग पर विचार करते हैं, तो यह तुलना न्यायसंगत नहीं हो सकती।” उन्होंने कहा, ‘‘ भारत का परमाणु प्रसार का कोई रिकॉर्ड नहीं रहा है. पाकिस्तान को अब भी चीन, उत्तर कोरिया, ईरान और लीबिया के साथ अपने परमाणु : और मिसाइल: सौदों के बारे में बहुत कुछ उजागर करना है. भारत ने अन्य देशों के साथ परमाणु सहयोग को छिपाने की कोशिश नहीं की क्योंकि उसके पास छुपाने के लिए कुछ नहीं था। पाकिस्तान चीन के साथ संयंत्र सौदों का बचाव करने की लगातार कोशिश कर रहा है. भारत अपने सैन्य एवं असैन्य कार्यक्रमों को अलग रखने को लेकर प्रतिबद्ध है जबकि पाकिस्तान ऐसा नहीं करता है.”

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