‘छोटी-मोटी बातें होती हैं, लेकिन समन्वय … ‘

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा है कि देश में छोटी मोटी बातें होती रहती हैं लेकिन इसे बड़ा कर के बताया जाता है. विजयदशमी के मौक़े पर नागपुर में बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि संघ के लोग दिल्ली के एक मस्जिद में गए. निजामुद्दीन गए. साफ़ा पहना के स्वागत किया गया है. संवाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 23, 2015 11:54 AM
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा है कि देश में छोटी मोटी बातें होती रहती हैं लेकिन इसे बड़ा कर के बताया जाता है.

विजयदशमी के मौक़े पर नागपुर में बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि संघ के लोग दिल्ली के एक मस्जिद में गए. निजामुद्दीन गए. साफ़ा पहना के स्वागत किया गया है. संवाद करने गए थे संवाद कर के आए. उनके नाम पर एक कव्वाली भी हुई. ये है हमारा सूत्र. ये हिंदू संस्कृति है. इसका प्रवाह अखंड है.

विजयदशमी के दिन ही साल 1925 में आरएसएस की स्थापना हुई थी.

मोहन भागवत का कहना है, "हम अपने पूर्वजों के गौरव को मन में रख के चलते हैं. छोटी मोटी बातें होती हैं. हम समन्वय में यकीन रखते हैं इससे हमारी संस्कृति नहीं बदलती है."

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उनका कहना था, "भारत ने हमेशा से वसुधैव कुटुंबकम का नाता रखा है. अपने हित की रक्षा करते हुए स्नेहपूर्ण संबंध रखे हैं. अपने हित की रक्षा करते हुए पूरी दुनिया के हित की रक्षा करना भारत का उद्देश्य है."

आरएसएस प्रमुख के छोटी मोटी बातों वाले बयान को कुछ हलक़ों में दादरी कांड से जोड़कर देखा जा सकता है.

दादरी में एक मुस्लिम की हत्या भीड़ ने पीट पीटकर इस अफ़वाह पर मार डाला था कि वो बीफ़ खा रहे थे.

कुछ दिनों पहले बीजेपी से एक सांसद सत्यपाल सिंह ने भी दादरी हत्याकांड को मामूली घटना बताया था.

भागवत ने कहा कि पिछले डेढ़ साल में दुनिया भर में भारत का सम्मान बढ़ा है और अंतरराष्ट्रीय छवि मजबूत हुई है.

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि नए भारत के निर्माण की बात है.

उन्होने कहा कि लोगों को मानसिक दासता छोड़नी होगी.

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