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20 साल बाद गिरफ्त में गैंगेस्टर
भारत में कई हत्याओं के केस में वांछित है राजेंद्र सदाशिव निखलजे. इसे दुनिया अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के नाम से जानती है. 55 साल के इस गैंगेस्टर को वर्ष 1995 में ही इंटरपोल ने वांटेड की सूची में डाल दिया था, लेकिन पकड़ में अब आया है. मुंबई के रहनेवाले छोटा राजन पर हत्या […]
भारत में कई हत्याओं के केस में वांछित है राजेंद्र सदाशिव निखलजे. इसे दुनिया अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के नाम से जानती है. 55 साल के इस गैंगेस्टर को वर्ष 1995 में ही इंटरपोल ने वांटेड की सूची में डाल दिया था, लेकिन पकड़ में अब आया है. मुंबई के रहनेवाले छोटा राजन पर हत्या और अवैध हथियार रखने और उनके इस्तेमाल के आरोप हैं. उस पर हत्याओं के 16 केस दर्ज हैं. 1988 में छोटा राजन देश छोड़ कर भाग गया था. एक समय में छोटा राजन अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम के साथ काम करता था. वर्ष 1993 में जब डॉन ने मुंबई में शृंखलाबद्ध बम धमाके करवा कर देश को दहला दिया, तो राजन इससे बेहद खफा हुआ और दोनों के रास्ते अलग हो गये. तब से दाऊद और छोटा राजन में छत्तीस का आंकड़ा है.
अलगाव के बाद दोनों गुटों के बीच खूब गोलीबारी और खून-खराबा हुआ. दोनों गैंग के 100 से अधिक गुर्गे मारे गये. एक बार बैंकॉक में छोटा राजन ने दाऊद के एक गुर्गे को झांसा देकर अपने होटल के कमरे में बुलाया और तब तक टाॅर्चर किया, जब तक वह मर नहीं गया. वर्ष 2002 में दाऊद ने इसका बदला लेने की ठानी.
लेकिन, राजन उससे एक कदम आगे निकला. इससे पहले कि दाऊद उसका कुछ बिगाड़ पाता, उसने शरद शेट्टी का खात्मा कर डॉन को बड़ा झटका दे दिया. बहरहाल, अब वह पुलिस की गिरफ्त में है और उसे भारत लाने की तैयारी शुरू हो गयी है
खुफिया एजेंसियों की एक साल से थी राजन पर नजर
सरकार, रॉ और सीबीआइ सभी ने की पुष्टि : पकड़ा गया शख्स छोटा राजन
बाली/नयी दिल्ली : जुलाई, 2014 से इंटरपोल छोटा राजन पर नजर रख रहा था. उससे जुड़ी हर जानकारी को करीब से ट्रैक किया जा रहा था. कहा जाता है कि उसके साथियों ने ही उसका कवर खत्म कर दिया था. इंटरपोल, भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया की पुलिस और जांच एजेंसियों की भी छोटा राजन पर करीबी नजर थी. ऑस्ट्रेलिया की पुलिस ने उसकी पहचान कर ली थी, लेकिन उसे तय करने में समय लगा कि यही अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन है. छोटा शकील ने जब उसे मारने के लिए शार्प शूटर्स भेजे, तो राजन ने ऑस्ट्रेलिया में अपना ठिकाना न्यूकैसल छोड़ एक अनजान जगह चला गया था.
इस बीच, भारत की खुफिया एजेंसियों ने उसके गुप्त ठिकाने का भी पता लगा लिया. ऑस्ट्रेलिया सरकार से आग्रह किया कि उसको गिरफ्तार करने में मदद करें. ऑस्ट्रेलिया की कैनबरा पुलिस ने भारत के आग्रह पर कार्रवाई की और इंडोनेशिया के सबसे लोकप्रिय शहर बाली में उसकी गिरफ्तारी में अहम योगदान दिया. छोटा राजन की गिरफ्तारी के बाद बाली की पुलिस ने कहा कि इंडोनेशिया की पुलिस को ऑस्ट्रेलिया की पुलिस ने छोटा राजन के यहां आने की सूचना दी थी. उसी सूचना के आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया. लेकिन, भारत की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने कहा है कि छोटा राजन की गिरफ्तारी उनके इशारे पर हुई है.
सीबीआइ ने एक बयान जारी कर कहा है, ‘हमारे इशारे पर इंटरपोल ने छोटा राजन को गिरफ्तार किया है.’ इंडोनेशिया की पुलिस ने कहा, ‘रविवार को कैनबरा पुलिस ने हमें एक हत्यारे को लेकर रेड नोटिस जारी किया. हमने उसे एयरपोर्ट पर ही गिरफ्तार किया. हमें ये जानकारी दी गयी कि यह शख्स भारत में 15-20 हत्या के मामले में वांछित है.’
वहीं, ऑस्ट्रेलिया की फेडरल पुलिस ने कहा कि कैनबरा में इंटरपोल ने भारतीय अधिकारियों की गुजारिश पर इंडोनेशियाई अधिकारियों को छोटा राजन के इंडोनेिशया जाने की जानकारी दी और फिर उसी के आधार पर उसकी गिरफ्तारी हुई. ऑस्ट्रेलिया की फेडरल पुलिस ने पिछले महीने इस बात की जानकारी दी थी कि छोटा राजन नाम बदल कर ऑस्ट्रेलिया में रह रहा है.
बैंकॉक के अस्पताल से भाग गया था राजन
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर एमएन सिंह ने कहा है कि छोटा राजन के प्रत्यर्पण तक वह उत्साहित नहीं हैं. यदि वह प्रत्यर्पित होता भी है, तो वह बहुत बूढ़ा, बीमार हो गया है और अपने गिरोह के साथ सक्रिय भी नहीं रहा. सिंह ने कहा, ‘राजन को वर्ष 2000 में गोली लगी थी.
वह अस्पताल में था. मैं तब महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री छगन भुजबल तथा अतिरिक्त गृह सचिव के साथ विदेश मंत्री जसवंत सिंह से मिला था. उनसे अपराध शाखा की एक टीम बैंकाॅक भेजने का अनुरोध किया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया. मैंने क्राइम ब्रांच के तीन निरीक्षकों को वहां भेजा, ताकि राजन को गिरफ्तार कर प्रत्यर्पित किया जा सके. लेकिन एक दिन अचानक खबर आयी कि राजन अस्पताल से भाग गया है, जो स्थानीय पुलिस के सहयोग के बगैर असंभव था.’
देर तक रही गफलत
कौन हुुआ गिरफ्तार : छोटा राजन या सायनाइड मोहन!
छोटा राजन की गिरफ्तारी के बाद तक उसकी पचान को लेकर गफलत बनी रही. भारत ने आधिकारिक तौर पर छोटा राजन की गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की, तो खबर चल पड़ी कि गिरफ्तार शख्स सीरियल किलर ‘सायनाइड मोहन’ है. वर्ष 2003 से 2009 के बीच बड़ी संख्या में महिलाओं को सायनाइड देकर मारनेवाले मोहन कुमार को सायनाइड मोहन के नाम से जाना जाता है. हालांकि, बाद में सीबीआइ, रॉ और गृह मंत्रालय ने भी पुष्टि की कि गिरफ्तार किया गया व्यक्ति छोटा राजन ही है.
कौन है छोटा राजन?
असल नाम : राजेंद्र सदाशिव निखलजे
जन्म तिथि : पांच दिसंबर, 1959
जन्म स्थान : मुंबई (चेंबूर के तिलक नगर में बीता बचपन)
पिता : सदाशिव निकलजे मिल में मजदूर थे
माता : लक्ष्मीबाई सदाशिव निकलजे
भाई : दीपक निकलजे
पत्नी : सुजाता निकलजे
बच्चे : खुशी, अंकिता, निकिता
अपराध जगत में प्रवेश : राजन नायर उर्फ बड़ा राजन की सरपरस्ती में शहकार सिनेमा हॉल के बाहर टिकट ब्लैक करने के साथ-साथ बड़ा राजन के लिए गुंडागर्दी करते हुए
– 55 साल का राजन दो दशक से भारत से बाहर है. 1995 में इंटरपोल ने मोस्ट वांटेड घोषित किया
– 1993 तक दाऊद के साथ काम करने के बाद अलग गैंग बनाया
छोटा राजन को मारने की कोशिशें
– मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वर्ष 2000 में दाऊद के गुर्गों ने छोटा राजन पर बैंकॉक (थाईलैंड) के एक मार्केट में हमला किया था. वह उसमें घायल तो हुआ, लेकिन वहां से भागने में कामयाब रहा.
– इसी साल अप्रैल में दाऊद और छोटा शकील का वॉइस टेप खुफिया एजेंसियों के हाथ लगा. इसमें दाऊद, छोटा शकील को छोटा राजन को मारने के ऑर्डर दे रहा था.
छोटा शकील ने दी थी धमकी : इसी साल छोटा शकील ने छोटा राजन के सहयोगी से कहा था, ‘राजन खुद को देश का वफादार बताता है. वह पिछली बार तो बच गया, इस बार ऐसा नहीं होगा.
हमारे पास ताकत है और वह भाग रहा है. तुम हमारी मदद करोगे, तो फायदे में रहोगे.’ राजन के सहयोगी ने छोटा शकील को बता दिया कि वह ऑस्ट्रेलिया के न्यूकैसल में रह रहा है. छोटा शकील ने इसके बाद मध्य-पूर्व के एक देश से कुछ शार्प शूटर्स को इस निर्देश के साथ ऑस्ट्रेलिया भेजा कि छोटा राजन किसी भी कीमत पर बचना नहीं चाहिए. लेकिन, राजन को दाऊद और शकील की योजना की जानकारी मिल गयी और वह वहां से भाग गया.
शकील क्यों बना राजन की जान का दुश्मन!
मुंबई : दाऊद, छोटा राजन और छोटा शकील के इशारों पर अंडरवर्ल्ड का काला धंधा चलता था. दाऊद सबसे खतरनाक डॉन बना, तो छोटा राजन उसका दायां हाथ. कुछ ऐसा हुआ कि दोनों जानी दुश्मन बन बैठे. इसलिए शकील और राजन भी एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन गये.
14 सितंबर, 2000 को बैंकाॅक में छोटा शकील ने छोटा राजन के आदमी रोहित वर्मा के घर पर रात साढ़े नौ बजे हमला करवाया. वहां राजन भी मौजूद था, लेकिन वह बच गया. हमले में रोहित वर्मा, उसकी बेटी, पत्नी और नौकरानी की मौत हो गयी.
पुलिस में थे छोटा राजन के वफादार
मुंबई. मुंबई पुलिस की एक जांच में पिछले दिनों खुलासा हुआ कि चार पुलिसवाले अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के लिए काम कर रहे थे. इस खबर ने पुलिस महकमे को सन्न करके रख दिया. आरोप है कि खाकी वर्दीवाले ये चार लोग पुलिस से जुड़ी बेहद अहम और गोपनीय जानकारियां छोटा राजन को देते थे.
खाकी से गद्दारी की इनकी पोल एक कांस्टेबल ने खोली. बताया जाता है कि मुंबई पुलिस में छोटा राजन के लिए काम करनेवाले पुलिसवालों की जानकारी सबसे पहले तत्कालीन पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया को एक पुलिस कांस्टेबल से ही मिली, जो मुंबई के आर्थर रोड में बंद छोटा राजन के गुर्गों को सेशन कोर्ट ले जानेवाली टीम का हिस्सा था.
राजन ने किया था इंस्पेक्टर पर हमला
मुंबई : पांचवीं तक पढ़े राजन ने 1974 में जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया था. तिलकनगर (मुंबई-चेंबूर) इलाके के सहाकर सिनेमा के बाहर बड़ा राजन गैंग के गुर्गों के साथ टिकट ब्लैक करनेवाला राजन उस वक्त चर्चा में आ गया था, जब उसने बड़ा राजन के साथ मिल कर वर्ष 1979 में चेंबूर की एक ग्लास फैक्टरी के पास तिलक नगर पुलिस थाने के इंस्पेक्टर एस शर्मालकर पर हमला कर दिया था. राजन का गैंग जुुआखाना और मटका मालिकों से हफ्ता भी वसूला करता था.
उस दौरान यही इनकी कमाई का अहम जरिया था. टिकटों की कालाबाजारी से अपराध की दुनिया में दस्तक देने के बाद राजेंद्र सदाशिव निखलजे ने बड़ा राजन के साथ गैरकानूनी धंधे की बारीकियां सीखीं. बड़ा राजन की मौत के बाद निखलजे को छोटा राजन की हैसियत मिल गयी. छोटा राजन ने कुछ वक्त के लिए दाऊद इब्राहीम और अरुण गवली के साथ भी काम किया.
दाऊद का विरोध करने पर मिला ‘हिंदू डॉन’ का तमगा
कभी दाऊद के करीबी रहे छोटा राजन को काफी वक्त तक उसकी टक्कर का गैंगेस्टर माना गया. इस वजह से कुछ लोगों ने उसे दाऊद के जवाब के तौर पर ‘हिंदू डॉन’ का तमगा भी दे दिया.
हुई गिरफ्तारी या कराया सरेंडर!
छोटा राजन की गिरफ्तारी के बीच एक खबर यह भी है कि एक रणनीति के तहत उससे सरेंडर कराया गया है. इसमें भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (70) ने अहम भूमिका निभायी है. इसका सबसे बड़ा उद्देश्य दाऊद इब्राहीम को शरण देनेवाले पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआइ को बेनकाब करना है. सूत्रों की मानें, तो सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने दाऊद के खिलाफ सबूत जुटाने में एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है. लोग दिन-रात काम कर रहे हैं
कहा तो यहां तक जा रहा है कि आधिकारिक रूप से गिरफ्तारी से पहले ही (बुधवार को) छोटा राजन को हिरासत में ले लिया गया था. उसे हिरासत में लिये जाने के साथ ही मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने खुशी डेवलपर्स (छोटा राजन की कंस्ट्रक्शन कंपनी) और छोटा राजन के भाई दीपक निखलजे के मुंबई स्थित आवासों और कंपनियों के कार्यालयों में छापेमारी की थी.
वीके सिंह की भूमिका!
सीएनएन-आइबीएन ने कहा है कि विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह की छोटा राजन की गिरफ्तारी में अहम भूमिका रही. गिरफ्तारी से पूर्व वह इंडोनेशिया में थे. यह भी कहा गया है कि इस कुख्यात गैंगेस्टर को धर दबोचने में जनरल सिंह ने दोनों देशों के बीच समन्वय किया.
इस बीच, सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया कि दो दिन पहले उन्होंने सिंह को फोन किया था. उस दौरान वह इंडोनेशिया में किसी से बात कर रहे थे. ऐसा लगता है कि वह छोटा राजन की गिरफ्तारी की योजना पर ही काम कर रहे थे.
दाऊद से दोस्ती और दुश्मनी का सफर
मुंबई का छोटा राजन यानी राजेंद्र सदाशिव निखलजे बचपन में ही दादागिरी करने लगा था. राजन नायर उर्फ बड़ा राजन के लिए टिकटें ब्लैक करता था. राजेंद्र की दिलेरी से बड़ा राजन इतना प्रभावित था कि उसे अपने साथ रख लिया. सोने की तस्करी से भी जोड़ लिया. इसके बाद से ही राजेंद्र को ‘छोटा राजन’ कहा जाने लगा.
अस्सी के दशक तक छोटा राजन सुपारी लेकर खून करने में माहिर हो चुका था. बड़ा राजन ने दाऊद से मिल कर पठानों के खिलाफ जिहाद छेड़ा. इसी दौरान उसका खत्मा हो गया. ऐसे में छोटे राजन को एक ताकतवर सहारे की जरूरत पड़ी. तब दाऊद ने उसे अपना कंधा दिया.
यही नहीं, दाऊद ने बहुत पहले ही छोटा राजन की प्रेमिका सुजाता को अपनी मुंहबोली बहन बना लिया था. इसलिए दोनों के बीच भावात्मक रिश्ते भी बन गये.
वर्ष 1988 में दाऊद को पुलिस के दबाव में मुंबई से दुबई भागना पड़ा. मुंबई की सारी कमान उसने छोटा राजन को सौंप दी. इस दौरान अरुण गवली और उसका गिरोह भी मुंबई में पैर पसार रहा था.
गवली, दाऊद और छोटा राजन की जान का दुश्मन बन गया. जब दाऊद को यह डर सताने लगा कि कहीं उसके गुर्गे उससे ज्यादा ताकतवर न हो जायें, तो दाऊद ने उन्हें आपस में लड़वा दिया. यह दौर था 1992 का. उसने मुंबई में शिव सेना पार्षद खीम बहादुर थापा की हत्या करवा दी, जो छोटा राजन का करीबी था. इसी तरह दाऊद के कहने पर शूटरों ने राजन के करीबी तैय्यब भाई को भी मरवा दिया. इसके साथ ही दाऊद और छोटा राजन के रिश्तों में भी दरार आने लगी. परेशान छोटा राजन दाऊद से मिलने दुबई पहुंच गया.
दाऊद ने उसे बताया कि तैय्यब की लापरवाही के कारण सोने से लदे दो जहाज पकड़े गये. दाऊद ने राजन को ऑफर दिया कि वह दुबई में ही रहे और उसके साथ दुबई और मुंबई का कारोबार संभाले. लेकिन, राजन ने इससे इनकार कर दिया. वह मुंबई लौट आया.
भारत में जब बाबरी मसजिद को ढाह दिया गया, तो दाऊद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के करीब आ गया. उसने मुंबई में बम धमाकों की तैयारी शुरू कर दी. इसके लिए उसे अपने समुदाय का एक कमांडर चाहिए था. धीरे-धीरे दाऊद ने राजन को किनारे कर अबु सलेम और मेमन बंधुओं को आगे किया. राजन को समझते देर न लगी कि कोई बड़ी साजिश चल रही है. अपने साथियों की हत्याओं से बौखलाये राजन ने मौका मिलते ही दाऊद के पांच गुर्गों की हत्या करवा दी.
इधर, वर्ष 1993 में दाऊद ने आइएसआइ के इशारों पर अबु सलेम, मेमन बंधुओं की मदद से मुंबई में कई धमाके करवाये, जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो गयी. राजन इससे बौखला गया. इस बीच, पूरा अंडरवर्ल्ड सांप्रदायिक आधार पर बंट गया. छोटा राजन ने दाऊद के साथ उसके साथियों को भी बरबाद करने की कसम खा ली. माना जाता है कि छोटा राजन ने भारत की खुफिया एजेंसी रॉ और आइबी को दाऊद के बारे में जरूरी जानकारियां देकर उनकी मदद भी की.
दो साल के अंदर राजन ने दाऊद के 17 लोगों को मरवा दिया. इन सभी के मुंबई ब्लास्ट में शामिल होने की खबर थी. इसके बाद दाऊद ने छोटा राजन का काम तमाम करने की ठानी. लंबे समय तक राजन और दाऊद गिरोह के बीच मुंबई में तस्करी, जमीन और वेश्यावृत्ति के धंधे में ताकत दिखाने की जंग चलती रही.
छोटा राजन को लाने में आड़े नहीं आयेगा प्रत्यर्पण संधि
नयी दिल्ली : भारत ने कहा है कि इंडोनेशिया के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं होने की स्थिति में भी वहां गिरफ्तार किये गये अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को वापस लाने के लिए अन्य कई तरीके हैं. विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) अनिल वाधवा ने यहां कहा, ‘हमें किसी को दूसरे देश में प्रत्यर्पित करने के लिए औपचारिक प्रत्यर्पण संधि की जरूरत नहीं है. आज के समय में कई अन्य तरीके और प्रणालियां हैं. पहले ऐसा हो चुका है.’
भारत और इंडोनशिया ने वर्ष 2011 में प्रत्यर्पण संधि पर दस्तखत किये थे, लेकिन इंडोनेशिया ने अभी तक करार पर मुहर नहीं लगायी है. वाधवा ने कहा कि प्रत्यर्पण समझौते को प्रभाव में लाने के लिहाज से भारत और इंडोनेशिया को संधि को मंजूरी देते हुए पत्रों का आदान-प्रदान करना होगा और अगले सप्ताह उपराष्ट्रपति एम हामिद अंसारी की इंडोनेशिया यात्रा के दौरान यह हो सकता है. अंसारी एक से छह नवंबर तक इंडोनेशिया और ब्रूनेई की यात्रा पर रहेंगे.
छोटा राजन की गिरफ्तारी बड़ी सफलता : वाइपी सिंह
कुछ पूर्व शीर्ष पुलिस अफसरों ने छोटा राजन की गिरफ्तारी को बड़ी सफलता करार दिया. वहीं, कुछ ने घटनाक्रम को दाऊद इब्राहीम को पकड़ने के प्रयासों के लिहाज से भी देखा. पूर्व आइपीएस अधिकारी वाइपी सिंह के मुताबिक, एक समय दाऊद के करीबी रहे छोटा राजन की गिरफ्तारी खुफिया दृष्टिकोण से कानूनन अपेक्षित कदम हो सकता है, लेकिन उन्हें यह अधिक अहमियतवाला नहीं लगता.
सिंह ने कहा, ‘मुझे लगता है कि मैं इसे थोड़े संशय के साथ देखूंगा, क्योंकि राजन छोटा सरगना है और दाऊद बड़ा. भारतीय खुफिया एजेंसियों ने निश्चित रूप से दाऊद को पकड़ने के लिए राजन का इस्तेमाल किया होगा.’
उन्होंने कहा, ‘छोटा राजन की गिरफ्तारी के साथ यह विशेष अवसर गंवा दिया गया. खुफिया दृष्टिकोण से यह अनिवार्य था कि राजन को खुला घूमने देना चाहिए था, ताकि उसके लोगों और उसकी जानकारी का इस्तेमाल आतंकी संदिग्ध दाऊद को पकड़ने में किया जा सके.’
सीबीआइ के पूर्व निदेशक जोगिंदर सिंह ने कहा कि राजन से दाऊद का अता-पता जाना जा सकता है. पता लगाया जा सकता कि भारत में उसकी कौन-सी संपत्तियां हैं.
उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व महानिदेशक विक्रम सिंह ने कहा कि राजन खुलासे कर सकता है. कहा, ‘हमारी खुफिया एजेंसियों के पास उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. मैं इसे बड़ी सफलता मानता हूं.’
पूछताछ से सुलझ सकते हैं कई मामले
छोटा राजन की गिरफ्तारी पर बोले पूर्व पुलिस अधिकारी
मुंबई : गैंगेस्टर छोटा राजन की इंडोनेशिया में गिरफ्तारी ‘महत्वपूर्ण’ घटना है और उससे होनेवाली पूछताछ से अंडरवर्ल्ड और उसके गिरोह से जुड़े आपराधिक मामलों से संबंधित अभी तक के अज्ञात तथ्यों की जानकारी मिल सकती है. वर्तमान और पूर्व पुलिस अधिकारियों ने ऐसा दावा किया है.
शहर से अंडरवर्ल्ड को मिटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त एमएन सिंह ने कहा कि गैंगेस्टर को देश में वापस लाये जाने तक वह उत्साहित नहीं होंगे. वकालत कर रहे आइपीएस अधिकारी वाइपी सिंह ने कहा, ‘राजन की गिरफ्तारी जांच एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह अंडरवर्ल्ड-पुलिस-राजनीतिक गंठजोड़ के संबंध में अज्ञात तथ्यों को उजागर कर सकता है.’
सिंह ने कहा कि यदि भारतीय एजेंसियां उससे पूछताछ करती हैं, तो पत्रकार ज्योतिर्मय डे की 11 जून, 2011 को हुई हत्या के पीछे के षड्यंत्र की जानकारी और 1990 की दशक के आरंभ में अन्य पत्रकार पर हुई गोलीबारी के संबंध में सूचना मिल सकती है. आशंका है कि डे की हत्या छोटा राजन के इशारे पर हुई थी.
अपराध शाखा के एक अधिकारी ने पहचान गुप्त रखने का अनुरोध करते हुए कहा कि भारत और विदेशों में छोटा राजन के अपने लोगों की हत्याओं से उसके संबंध के बारे में भी पुलिस और अन्य एजेंसियों को जानकारी मिल सकती है. उन्होंने कहा कि ऐसा एक मामला राजन के करीबी गैंगेस्टर फरीद तनाशा का है, जिसकी दो जून, 2010 को हत्या कर दी गयी थी.
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि दाऊद इब्राहीम के भाई इकबाल कासकर पर वर्ष 2010 में दक्षिण मुंबई में हुए जानलेवा हमले का मामला भी सुलझ सकता है.
राजन गिरोह के वित्तीय पहलुओं पर रोशनी डालते हुए एक आइपीएस अधिकारी ने बताया कि शहर के कई छोटे-बड़े बिल्डर, जिन पर अपराध जगत से जुड़े होने का संदेह है, इसकी तपिश झेल सकते हैं. उन्होंने बताया कि मुंबई अपराध शाखा के पास ऐसे बिल्डरों की सूची है, जिनके संबंध राजन गिरोह से हो सकते हैं.
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