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लालू पुत्र तेज-तेजस्वी का भाग्य कल EVM में होगा बंद

पटना : बिहार चुनाव के लिए तीसरे चरण के छह जिलों की कुल 50 विधानसभा सीटों पर बुधवार को मतदान होना है. ये जिले हैं सारण, वैशाली, भोजपुर, बक्सर, पटना और नालंदा. जहां कल 45,93, 980 मतदाता 808 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. उम्मीदवारों की सर्वाधिक संख्या पटना के कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र में हैं. […]

पटना : बिहार चुनाव के लिए तीसरे चरण के छह जिलों की कुल 50 विधानसभा सीटों पर बुधवार को मतदान होना है. ये जिले हैं सारण, वैशाली, भोजपुर, बक्सर, पटना और नालंदा. जहां कल 45,93, 980 मतदाता 808 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. उम्मीदवारों की सर्वाधिक संख्या पटना के कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र में हैं. वहीं, सबसे कम प्रत्याशी भोजपुर के अगिआंव सुरक्षित में है. उधर, मतदाताओं के लिहाज से सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र दीघा व सबसे छोटा क्षेत्र सारण का अमनौर है. राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो तीसरा और चौथा चरण भाजपा के लिए अहम हैं. आइये विस्तार से जानते है इस चरण के दस अहम सीटों का हाल.

1. महुआ सीट
उम्मीदवार – तेज प्रताप यादव (राजद), रवीद्र राय (हम), जागेश्वर राम (जअपा)
वैशाली के महुआ विधानसभा सीट से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव का मुख्य मुकाबला हम के रवींद्र राय से है जो पिछले चुनाव में जदयू के टिकट पर राजद को हराकर जीते थे. उस दौर के राजद प्रत्याशी जागेश्वर राय आज लालू प्रसाद से नाराज होकर इस बार जन अधिकार पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इनको मिलकार इस बार महुआ विस सीट से कुल 28 दलीय-निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी एवं अपनी बेटी मीसा भारती के साथ तेज प्रताप के लिए क्षेत्र में कैप कर रही हैं.

2. राघोपुर सीट
उम्मीदवार : तेजस्वी यादव (राजद), सतीश कुमार यादव (भाजपा), राकेश रौशन (जअपा)
राघोपुर सीट राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी के कारण हॉट सीट के तौर पर देखा जा रहा हैं. दरअसल, तेजस्वी को राजद सुप्रीमो के उत्तराधिकारी के तौर पर माना जा रहा हैं. इस सीट के लिए लालू प्रसाद खुद चुनावी कमान संभाले हुए है. गौर हो कि तेजस्वी का मुकाबला पिछले चुनाव में राबड़ी देवी को हराने वाले भाजपा के सतीश कुमार से है. पिछली बार वे जदयू से चुनाव लड़े थे. खास बात यह है कि यादव व राजपूत बहुल इस क्षेत्र में दोनों एक ही जाति यादव से आते हैं. इस क्षेत्र में कुल 20 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं.

3. मोकामा
उम्मीदवार : अनंत सिंह (निर्दलीय), नीरज कुमार (जदयू), कन्हैया सिंह (लोजपा), ललन सिंह (जनाधिकार पार्टी)
मोकामा सीट बाहुबली अनंत सिंह को लेकर हॉट सीट माना जा रहा है. पिछले चुनाव में जदयू के टिकट पर विधायक बने अनंत कुमार सिंह ने इस बार निर्दलीय मैदान में उतर कर यहां की लड़ाई को रोचक बना दिया है. इस सीट पर त्रिकोणीय लड़ाई है. जनाधिकार पार्टी के ललन सिंह, बसपा के रामकृष्ण व सीपीआई के राजू प्रसाद भी मैदान में हैं. मोकामा विधानसभा क्षेत्र अनंत सिंह की दबंग छवि को लेकर चर्चित रहा है. पिछले चुनाव में अनंत सिंह ने लोजपा की सोनम देवी 8954 वोटों के अंतर से हराया था. इस बार जदयू ने अनंत सिंह को बेटिकट कर दिया, तो वह निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं. दूसरी तरफ जदयू के विधान पार्षद नीरज कुमार को उम्मीदवार बनाया है. वहीं एनडीए कोटे से लोजपा ने सूरजभान सिंह के भाई कन्हैया कुमार सिंह को टिकट दिया है. इस बार विधानसभा चुनाव में चार मान्यता सहित 15 उम्मीदवार यहां से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. तीनों प्रमुख प्रत्याशी उसी आधार से हैं, जिसकी यहां बहुलता है. पिछली बार चुनाव मे तीसरे स्थान पर रहे देवनारायण सिंह इस बार सपा के टिकट पर मैदान में हैं. वहीं पप्पू यादव की पार्टी ने ललन सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. कभी मोकामा बाहुबलियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहता था. हालांकि आज स्थिति यहां बदली है.

4. वैशाली सीट
उम्मीदवार : वृशिण पटेल (हम), राजकिशोर सिंह (जदयू), अमिय भूषण (भाजपा के बागी)
जदयू के वरिष्ठ नेता एवं नीतीश सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे वृशिण पटेल हम के टिकट पर यहां से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. नीतीश से अनबन होने के कारण उन्होंने जदयू से नाता तोड़ कर जीतनराम मांझी की पार्टी हम की सदस्यता ग्रहण की थी. इनके खिलाफ जदयू ने राजकिशोर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं भाजपा के बागी अमित भूषण यहां त्रिकोणीय मुकाबले में जुटे हैं.

5. पटना साहिब
उम्मीदवार : नंदकिशोर यादव (भाजपा), संतोष मेहता (राजद)
भाजपा का गढ़ माना जाने वाले पटना साहिब क्षेत्र में नये गठजोड़ व जातीय ध्रुवीकरण के बीच एनडीए और महागंठबंधन के बीच लड़ाई है. राजद के टिकट पर संतोष मेहता पहली बार अपने गुरु भाजपा के नंद किशोर यादव को टक्कर देंगे. वहीं सीपीआईएमएल के उम्मीदवार अनय कुमार, बसपा के अरशद अयूब भी मैदान में हैं. शहरी क्षेत्र के अन्य विधानसभा क्षेत्रों की तरह पटना साहिब विधानसभा भी भाजपा की परंपरागत सीट रही है. इस सीट पर भाजपा के वरिष्ठ नेता नंद किशोर यादव हर बार बड़ी जीत हासिल करते रहे हैं. उनके लिए यह प्रतिष्ठा की सीट रही है. पिछले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के परवेज अहमद को 65 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से पराजित किया था. लगातार छठी बार जीत हासिल करने पर एक बार फिर नंदकिशोर यादव को भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा है. उनकी घेरेबंदी के लिए महागंठबंधन ने पटना नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर संतोष मेहता को उम्मीदवार बनाया है. इस बार पटना साहिब का चुनाव दिलचस्प हो गया है. कड़े मुकाबले की बात भी कही जा रही है. लेकिन इस दावे में कितना दम है, इसका खुलासा तो आठ नवंबर हो होगा.

6. फुलवारी
उम्मीदवार : श्याम रजक (जदयू), राजेश्वर मांझी (हम)
फुलवारी से जदयू के श्याम रजक को हम के राजेश्वर मांझी टक्कर देंगे. इस बार महागंठबंधन और एनडीए के बीच बने नये समीकरण से यहां का चुनाव रोचक हो गया है. माना जा रहा है कि जीतनराम मांझी की पार्टी हम के उम्मीदवार जदयू के उम्मीदवार श्याम रजक को कड़ी टक्कर देंगे. इसके साथ ही इस सीट से सपा के उदय कुमार, लोआद की बबीता देवी व निर्दलीय शंकर कुमार भी चुनाव लड़ रहे हैं. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित फुलवारीशरीफ सीट का प्रतिनिधित्व मंत्री सह जदयू विधायक श्याम रजक लंबे अरसे से करते रहे हैं. फरवरी 2005 को छोड़ दें तो वे 1995 से लगातार इस क्षेत्र से विधायक चुने जाते रहे हैं और पांचवी बार फिर मैदान में उतरे हैं. उनके खिलाफ एनडीए कोटे से पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हम सेक्यूलर से राजेश्वर ओझा को उम्मीदवार बनाया गया है. राजेश्वर मांझी पुनपुन प्रखंड के एक पंचायत से सरपंच रहे हैं. वहीं राजद छोड़कर भाजपा में आये उदय मांझी ने भी पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर थर्ड फ्रंट के सपा प्रत्याशी के रुप में लड़ाई छेड़ दी है. जातीय गणित के हिसाब से इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की आबादी सबसे अधिक है. इसके बाद यादव और मुसलिम मतदाता भी बड़ी संख्या में है. इस बार मंत्री श्याम रजक को अपने कार्यकाल का हिसाब किताब जनता के बीच देना पड़ रहा है. हालांकि जदयू खेमा मान रहा है कि बेहतर के रुप मे उनका प्रत्याशी है. बड़ा सवाल यह है कि किसे कितना और कितना नुकसान पहुंचेगा.

7. शाहपुर
उम्मीदवार : विशेश्वर ओझा (भाजपा), राहुल तिवारी (राजद), तेज नारायण यादव (जनअधिकार पार्टी)
भाजपुर के शाहपुर विधानसभा सीट भाजपा के पास है, पिछले चुनाव में भाजपा की मुन्नी देवी यहां से जीती थीं. इस बार उनके पति के बड़े भाई विशेश्वर ओझा को पार्टी ने मैदान में उतारा है. हालांकि टिकट कटने के बाद भी मुन्नी देवी के बागी रुप अख्तियार नहीं करने की खबर है. लिहाजा ओझा के लिए मुन्नी देवी बाधा नहीं है. राजद ने यहां पूर्व मंत्री और समाजवादी नेता शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी उर्फ मंटू तिवारी को टिकटक दिया है. राहुल पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं जनअधिकार पार्टी के तेज नारायण यादव को प्रत्याशी बनाया है. उन्हें यादव मतों का ज्यादा भरोसा है. इसी सीट से कुल 14 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं.

8. ब्रह्मपुर
उम्मीदवार : विवेक ठाकुर (भाजपा), शंभुनाथ यादव (राजद), अजीत चौधरी (बसपा)
ब्रह्मपुर सीट पर महागंठबंधन और एनडीए दोनों को बागी नेताओं की चुनौतियां मिल रही हैं. भाजपा ने सीटिंग एमएलए दिलमणी देवी का टिकट काट कर विवेक ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है. दोनों एक ही जाति से हैं. लिहाजा जातीय समीकरण के तहत पार्टी ने बड़ा खतरा नहीं उठाया है. लेकिन दिलमणी देवी और उनके समर्थकों के बागी तेवर का उसे सामना करना पड़ रहा है. टिकट कटने से नाराज दिलमणी देवी जदयू का दामन थाम लिया है और उसके पक्ष में खुल कर प्रचार कर रही हैं. वहीं महागंठबंधन में राजद ने पूर्व विधायक अजीत चौधरी की जगह शंभु यादव को उम्मीदवार बनाया है. उन्हें लालू प्रसाद के करीबी होने का फायदा मिला है. पेशे से व्यवसायी शंभु यादव की जमीनी तौर पर क्षेत्र में अच्छी पकड़ है. वहीं अजीत चौधरी बसपा के टिकट से उन्हें चुनौती दे रहे हैं. वह मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं.

9. तरारी
उम्मीदवार : गीता पांडेय (लोजपा), अखिलेश प्रसाद सिंह (कांग्रेस), सुदामा प्रसाद (माले)
भाजपुर जिले मे तरारी एक मात्र विधानसभा सीट है जो पिछले चुनाव में जदयू की झोली की गयी थी. यहां से उसक उम्मीदवार के तौर पर सुनील पांडेय चुनाव जीते थे. इस बार वह जेल में हैं. लिहाजा खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. दूसरी ओर महागंठबंधन में यह सीट जदयू ने कांग्रेस को दे दी है. यानी पिछला चुनाव जीतने वाले नेता और पार्टी दोनों इस बार मैदान से गायब हैं. सुनील पांडेय ने इस बार इस सीट से अपनी प}ी गीता पांडेय को मैदान में उतारा है. उन्हें लोजपा ने टिकट दिया है. कांग्रेस ने अखिलेश सिंह को उम्मीदवार बनाया है. जिले में कांग्रेस को मिली यह अकेली सीट हैं. माले ने सुदामा प्रसाद को यहां टिकट दिया है.

10. दीघा

उम्मीदवार : संजीव चौरसिया (भाजपा), राजीव रंजन प्रसाद (जदयू)
पटना जिले के दीघा विधानसभा सीट से इस बार जदयू के राजीव रंजन प्रसाद व भाजपा के डा. संजीव चौरसिया के बीच टक्कर है. पिछली बार इस सीट से भाजपा-जदयू गंठबंधन से जदयू की उम्मीदवार पूनम देवी ने लोजपा के सत्यानंद शर्मा को हराया था. बदले समीकरण ने इस सीट की लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. सीपीआईएमएल के रणविजय कुमार और निर्दलीय धनंजय कुमार, मनोरंजन कुमार भी मैदान में डटे हैं. पिछली बार जदयू की पूनम देवी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी. उन्होंने लोजपा के सत्यानंद शर्मा को 60 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. बदली हुई परिस्थिति के चलते उनका टिकट कट गया. वह जीतनराम मांझी के नेतृत्व वाले हम के साथ हो गयी थीं. इस बार क्षेत्र से भाजपा व जदयू दोनों ने नये उम्मीदवार उतारे हैं. भाजपा से पूर्व विधान पार्षद गंगा प्रसाद चौरसिया को, जबकि जदयू से प्रदेश के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद को टिकट मिला है. रंजन प्रसाद पहले भी पटना मध्य सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. इस लिहाज से देखें, तो दीघा में मुकाबला कांटे का और दिलचस्प है. जदयू ने कायस्थ उम्मीदवार देकर भाजपा के एक बड़े आधार में सेंध लगाने की कोशिश की है. वहीं, भाजपा को अपने कैडर वोटरों पर पूरा भरोसा हैं.

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