प्राथमिक शिक्षा बोर्ड करायेगा एक साल का ब्रिज कोर्स
कोलकाता: स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए सरकार ने प्राथमिक व सेकेंडरी स्कूलों के अन्ट्रेंड शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की मुहिम शुरू कर दी है. इसके लिए प्राइमरी शिक्षकों के लिए प्राथमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा शीघ्र एक साल का ब्रिज कोर्स शुरू किया जा रहा है. नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन (एनसीटीइ) ने बोर्ड को […]
कोलकाता: स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए सरकार ने प्राथमिक व सेकेंडरी स्कूलों के अन्ट्रेंड शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की मुहिम शुरू कर दी है. इसके लिए प्राइमरी शिक्षकों के लिए प्राथमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा शीघ्र एक साल का ब्रिज कोर्स शुरू किया जा रहा है. नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन (एनसीटीइ) ने बोर्ड को इसकी स्वीकृति दे दी है.
वर्तमान में स्कूलों में पढ़ा रहे लगभग 30 हजार शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जायेगी. सभी अप्रशिक्षित शिक्षकों को यह ब्रिज कोर्स ओडीएल मोड़ से करना पड़ेगा. इसके लिए एनसीटीइ ने नेताजी सुभाष ओपन यूनिवर्सिटी को कोर्स करवाने के लिए अधिकृत किया है. इसके अलावा भारी संख्या में शिक्षकों को ट्रेनिंग देने के लिए बीएड. कॉलेजों का इंफ्रास्ट्रक्चर उपयोग में लाने के लिए कहा गया है.
इन संस्थानों में रविवार, गर्मी व पूजा की छुट्टियों में कक्षाएं ली जायेंगी जिससे शिक्षकों को स्कूल की ड्यूटी देने में कोई परेशानी न हो. एक साल के ब्रिज कोर्स के बाद शिक्षकों को प्रमाण पत्र दिया जायेगा. इस कोर्स के लिए प्राथमिक शिक्षा बोर्ड, नेताजी ओपेन यूनिवर्सिटी व स्कूल शिक्षा विभाग को एक नया निर्देश भेजा गया है. इसकी तैयारी के लिए फार्म जमा करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है.
शिक्षकों ने सीएम को सौंपा ज्ञापन
राज्य के सभी प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है. राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत सरकार पाठ्यपुस्तकें देने की घोषणा तो कर रही है, लेकिन राज्य के कई हिंदी माध्यम स्कूलों में अब तक पाठ्य पुस्तकें नहीं दी गयी हैं. स्कूलों में भी राजनैतिक हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है, जिससे शिक्षा का परिवेश बिगड़ रहा है.
ऐसी ही शिकायतों के साथ सैगेसियस टीचर्स एंड एंप्लाइज एसोसिएशन की ओर से गुरुवार को धर्मतला में धरना-प्रदर्शन कर सभा की. एसोसिएशन की ओर से एक ज्ञापन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सौंपा गया. उनकी अनुपस्थिति में उनके विशेष सचिव (शिक्षा) सुमन पाल को शिक्षक संगठनों ने यह ज्ञापन सौंपा. इस विषय में एसोसिएशन के अध्यक्ष देवव्रत मुखर्जी ने कहा कि राजनीतिक हस्तक्षेप से शिक्षकों की सुरक्षा खतरे में है. स्कूलों में शिक्षा की स्थिति सुधारने के लिए मूलभूत सुविधाएं बढ़ाने की मांग की गयी.
साथ ही शिक्षकों को सीपीएफ की जगह जीपीएफ देने की मांग की गयी. व सेवानिवृत्त शिक्षकों को पेंशन शीघ्र देने की मांग सरकार से की गयी है. उनका कहना है कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में प्रशासक का पद हटाकर लोकतांत्रिक प्रणाली से बोर्ड के अध्यक्ष, सचिव व अन्य सदस्यों का चुनाव किया जाये, जिसमें अनुभवी वरिष्ठ शिक्षक भी भाग ले सकें. लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनाव होने पर स्कूल शिक्षकों की 33 प्रतिशत भागीदारी हो सकती है.
सभा में एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी अश्विनी कुमार राय ने कहा कि अगर शिक्षा की प्रारंभिक नींव मजबूत हो, तो समाज को बदला जा सकता है. आज समाज में इतने अपराध बढ़ रहे हैं, इसका कारण यही है कि शिक्षा में नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है. स्कूलों में भी शिक्षकों का घेराव हो रहा है. पास-फेल प्रथा हटाने से शिक्षा का स्तर कमतर होता जा रहा है.
शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है. उनका कहना है कि हाल ही में सरकार ने एडेड स्कूलों को 30 अप्रैल तक गवर्नमेंट स्पांसर्ड स्कूलों में तब्दील करने की घोषणा की है, इससे स्कूलों में राजनैतिक हस्तक्षेप और बढ़ जायेगा. ऐसा होने पर स्कूल की मैनेजिंग कमेटी में भी सरकार द्वारा मनोनीत सदस्यों का ही कब्जा होगा, इससे गणतांत्रिक पद्धति खत्म हो जायेगी. इन्हीं मांगों को लेकर शिक्षकों ने सभा की. कार्यक्रम में हावड़ा जिला के सचिव अश्विनी कुमार सिंह, संगठन के सचिव हरीश चंद्र मंडल व विभिन्न जिलों से आये शिक्षक भी मौजूद रहे.