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बिहार चुनाव : मोदी-नीतीश के होर्डिंग हटने से पटना की रौनक फीकी

पटना : बिहार चुनाव के तीसरे चरण कीसमाप्ति के साथ ही राजधानी पटना की सड़कें सूनी हो गयी हैं. कॉरपोरेट अंदाज में लड़े गये बिहार के इस पहले चुनाव में राजनेताओं के होर्डिंग्स व पॉलिटिकल एड कामर्सियल एड की चमक पर भारी पड़ रहे थे. शहर के अति व्यस्त इलाका आयकर गोलम्बर, बोरिंग रोड, डाकबंगला […]

पटना : बिहार चुनाव के तीसरे चरण कीसमाप्ति के साथ ही राजधानी पटना की सड़कें सूनी हो गयी हैं. कॉरपोरेट अंदाज में लड़े गये बिहार के इस पहले चुनाव में राजनेताओं के होर्डिंग्स व पॉलिटिकल एड कामर्सियल एड की चमक पर भारी पड़ रहे थे. शहर के अति व्यस्त इलाका आयकर गोलम्बर, बोरिंग रोड, डाकबंगला चौराहे, फ्रेजर रोड, बेली रोड या शहर के बाहरी इलाके हर ओर एनडीए के नेता नरेंद्र मोदी व अमित शाह व महागंठबंधन के नेता नीतीश कुमार व लालू प्रसाद के बड़े बड़े होर्डिंग व बैनर लगे हुए थे. अब सब हट गये हैं. इससे अचानकशहर थोड़ा उदास नजर लग रहा है.

इस बार के बिहार विधानसभा चुनावमें राजधानी में दिग्गजों का जैसा जमावड़ा दिखा, वैस कभी नहीं.उसकाएक अहम कारण इस चुनाव को परिवर्तनकारी माना जाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी से लेकरकई केंद्रीयमंत्रीबिहारमें लगातारभ्रमणकरतेदिखे.इसी कड़ी में राजधानी स्थित एयरपोर्टसे लेकर रेलवे स्टेशन के बीच पड़ने वाली मुख्य सड़कों के साथही अहम इलाकों के मार्गों पर एनडीए एवं महागंठबंधन के प्रमुख नेताओं के पोस्टर लोगों के लिए आर्कषण का केंद्र बने हुए थे. पर, अब उन्हें हटा लिया गया है.

ध्यान रहे कि किसी शहर में रात के समय में रोशनीकासबसेबड़ा स्रोत स्ट्रीटलाइटहोती हैं, जिसका प्रबंध सरकारेंवनगर निगम करते हैं.उसके बादकामर्सियल एडवहोर्डिंगभी नयी अर्थव्यवस्था में लाइट की अच्छे स्रोत होते हैं. पर, पटना में बीते डेढ महीने से इन सब पर भारी पॉलिटिकल होर्डिंग व एड पड़ रहा था. उनके कटआउट की लाइट से रात में शहर गुलजार हो जाता था. पटना में ऐसा पहले कभी दिखा नहीं था. इसके कारण भी मौजूद हैं. दोनों गठजोड़ के लिए यह करो या मरो का सवाल बना हुआ है. दोनों गठजोड़ ने कॉरपोरेट स्टाइल ने कॉरपोरेट प्रबंधकों के हाथ अपने चुनाव अभियान की कमाज सौंपी. इससे सोशल पॉलिटिक्स कुछ कॉरपोरेट रूप लेता दिखा. जाहिर है सड़कों पर भी इसका असर दिखेगा.

पटना में चुनाव खत्म होने के कटआउट व होर्डिंग हटाये जाने का अहम कारण चुनाव आयोगसेजुड़ी राजनीतिक दल की मजबूरियां व उन महंगे होर्डिंग पर आने वाले खर्च को भी माना जारहाहै. बहरहाल, पटना वासियों के लिए यह चुनावप्रचार अपूर्व था वउनकी स्मृति में लंबे समय तक अपनी जगह बनाये रखेगा.

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