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भारत एशिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने निर्यात को बढ़ावा देने में निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (इपीजेड) की प्रभावशीलता को पहचाना और कांडला में एशिया का पहला (इपीजेड) 1965 में स्थापित किया. नियंत्रणों और अंतरालों की बहुलता के कारण महसूस की गयी विभिन्न त्रुटियों को दूर करने, विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के […]

भारत एशिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने निर्यात को बढ़ावा देने में निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (इपीजेड) की प्रभावशीलता को पहचाना और कांडला में एशिया का पहला (इपीजेड) 1965 में स्थापित किया. नियंत्रणों और अंतरालों की बहुलता के कारण महसूस की गयी विभिन्न त्रुटियों को दूर करने, विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के अभाव और अस्थिर वित्तीय व्यवस्था तथा भारत में बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए अप्रैल, 2000 में विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसइजेड) नीति की घोषणा की गयी.

भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण विधेयक, एसइजेड अधिनियम-2005 पारित किया, ताकि निवेशकों में विश्वास पैदा किया जा सके और सरकार की स्थायी एसइजेड नीतिगत व्यवस्था के प्रति वचनबद्धता का संकेत दिया जा सके. इसके अलावा इसका उद्देश्य एसइजेड व्यवस्था में स्थिरता दिखाना था, ताकि बड़े पैमाने पर आर्थिक गतिविधियों और एसइजेड की स्थापना के जरिये रोजगार के अवसर पैदा किये जा सकें.

इसके लिए हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद एसइजेड विधेयक का व्यापक प्रारूप तैयार किया गया. एसइजेड अधिनियम के मुख्य उद्देश्य अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों का संचालन, वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहन, स्वदेशी और विदेशी स्नेतों से निवेश को प्रोत्साहन, रोजगार के अवसरों का सृजन और आधारभूत सुविधाओं का विकास करना है.

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