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विशेष दर्जे से नहीं, विशेष पैकेज से विकास: जेटली

पटना : केंद्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से इनकार कर दिया है. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को दो टूक कहा कि स्पेशल स्टेट्स का दौर समाप्त हो गया है. 14वें वित्त आयोग में जितना लिखा गया है, उतना तो हम दे ही रहे हैं. साथ ही बिहार […]

पटना : केंद्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से इनकार कर दिया है. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को दो टूक कहा कि स्पेशल स्टेट्स का दौर समाप्त हो गया है. 14वें वित्त आयोग में जितना लिखा गया है, उतना तो हम दे ही रहे हैं. साथ ही बिहार को पिछड़ेपन से निकालने के लिए विशेष पैकेज के रूप में 1.65 लाख करोड़ रुपये और दे रहे हैं. भाजपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेंस में जेटली ने कहा कि महागंठबंधन हताश लोगों का जमावड़ा है. कांग्रेस पार्टी जहां अपने अस्तित्व बचाने के लिए चुनाव लड़ रही है, जबकि राजद के पारिवारिक समूह में जहां एक पीढ़ी चुनाव नहीं लड़ सकती है, वहीं दूसरी पीढ़ी को खड़ा करने के लिए वे हर कीमत चुनाने को तैयार हैं.

जदयू भी अपनी अवसरवादी राजनीति के लिए आखिरी दावं खेल रहा है. केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि जदयू ने भाजपा के साथ गंठबंधन किया था. ताकत हमारी थी अौर ड्राइवर सीट पर वे थे. उनकी प्राथमिकता थी कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को कैसे जेल भेजा जाये. फिर उनकी पार्टी के वोट बैंक को तोड़ कर अपने में मिलाया जाये और भाजपा से अलग हो जाये. नीतीश कुमार ये दोनों दावं खेल कर फंस गये. लालू प्रसाद जमानत पर बाहर आ गये और इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा मजबूत हो गयी. नीतीश कुमार न लालू का वोट ले पाये और न ही नरेंद्र मोदी को ही रोक पाये.

जदयू के पास कांग्रेस की गोद में बैठने के सिवा कोई दूसरा चारा नहीं बचा. मजबूरी में राजद को भी साथ लेना पड़ा. महागंठबंधन तीनों की मजबूरी है. यह गंठबंधन मन एक रहने या फिर विचार एक होने से पैदा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि राजद को साथ लेने से जदयू ने डेवलपमेंट एजेंडा को साइड कर दिया है और बड़े तबके में गुडविल खो दिया. यूथ बिहार के चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं. पुराना जातीय सामाजिक एजेंडा था, उनसे ऊपर उठ कर देखते हैं.

पहले भी किया था इनकार
जेटली से पहले इस वर्ष 31 जुलाई को लोकसभा में केंद्रीय योजना राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि किसी भी राज्य को विशेष दर्जा देने का प्रस्ताव नहीं है. विशेष पैकेज पर विचार किया जायेगा.

ऐसे चला था अभियान
04 अप्रैल 2006 : बिहार वि धानसभा से सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित. केंद्र से वि शेष दर्जे की मांग.
31 मार्च 2010 : बिहार विधान परिषद से बिहार को विशेष दर्जा देने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित.
14 जुलाई 2011 : जदयू के एक शिष्टमंडल ने सवा करोड़ लोगों के हस्ताक्षर
04 नवंबर 2012 : विशेष दर्जा की मांग पर गांधी मैदान में अधि कार रैली. मुख्यमंत्री ने केंद्र को चेतावनी दी
17 मार्च 2013 : नयी दिल्ली के रामलीला मैदान में जदयू की अधिकार रैली.
15 मई 2013 : पिछड़ापन का मानक तय करने के लिए कमेटी गठित की.
26 सितंबर 2013 : कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक. बिहार को माना सबसे पि छड़ा

पीएम ने खुद किया था वादा अब मांगें माफी
पटना. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से इनकार करने संबंधी केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पर महागंठबंधन के नेताओं ने पलटवार किया है. जदयू कार्यालय में साझा प्रेस काॅन्फ्रेंस में सांसद पवन वर्मा ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने तो कह दिया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा. लेकिन, उन्हें यह याद नहीं है कि उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने ही लोकसभा चुनाव के समय यह वादा किया था कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जायेगा. अब आज यह अप्रासंगिक कैसे हो गया? जिस प्रकार अरुण जेटली ने सार्वजनिक रूप से कहा कि बिहार को स्पेशल स्टेट्स का दर्जा नहीं मिलेगा तो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने वादे के पूरा नहीं होने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए. वे शुक्रवार को बिहार आ रहे हैं. वे बिहार के लोगों से से सार्वजनिक रूप से माफी मांगे.

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