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Grond Report : स्मार्ट सिटी नहीं, बुनियादी सुविधाएं चाहते हैं मुजफ्फरपुर के लोग

मुजफ्फरपुर :बिहारका मुजफ्फरपुर जिला उन तीन शहरों में से एक है जिन्हें स्मार्ट सिटी बनाने के लिए चुना गया है, लेकिन यहां के लोग गड्ढों, जलभराव और उफनते नालों जैसी समस्याओं से दो चार हो रहे हैं और उनका मानना है कि राजनीतिक ‘बड़े सपने बेचने की बजाय’ बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने पर ध्यान दें […]

मुजफ्फरपुर :बिहारका मुजफ्फरपुर जिला उन तीन शहरों में से एक है जिन्हें स्मार्ट सिटी बनाने के लिए चुना गया है, लेकिन यहां के लोग गड्ढों, जलभराव और उफनते नालों जैसी समस्याओं से दो चार हो रहे हैं और उनका मानना है कि राजनीतिक ‘बड़े सपने बेचने की बजाय’ बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने पर ध्यान दें तो बेहतर होगा.

राजधानी पटना के बाद यह बिहार के सबसे महत्वपूर्ण जिलों में से एक है. मुजफ्फरपुर उत्तरी बिहार के ऐतिहासिक तिरहुट क्षेत्र में पड़ता है और विधानसभा की 11 सीटें इसके तहत आती हैं. बिहार में चौथे चरण में कल मुजफ्फरपुर सहित सात जिलों की 55 सीटों पर मतदान होना है. हाल ही में बेला औद्योगिक क्षेत्र में बिस्किट बनाने की दो छोटी इकाइयां लगाने वाले 34 वर्षीय अनुपम सिंह ने कहा, बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी होने की बजाय मुजफ्फरपुर को पहले बुनियादी सुविधाओं की जरुरत है. उन्होंने कहा, मेरा मतलब, जरा आप यहां सड़कों की हालत को देखें, कचरे के अंबार और उफनते नालों का क्या. जलभराव की समस्या भी हमारे शहर की बड़ी परेशानियों में से एक है. मुजफ्फरपुर, बिहारशरीफ और भागलपुर को बिहार में स्मार्ट सिटी बनाने के लिए चुना गया है, लेकिन मोदी सरकार के इस अभियान को लेकर यहां लोग बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं हैं.

कुरहानी विधानसभा सीट के तहत आने वाले एक गांव के निवासी, रेलवे में काम करने वाले 23 वर्षीय अरुण कुमार का कहना है कि वह नहीं जानते कि स्मार्ट सिटी क्या है लेकिन वह यह जानते हैं कि उनके शहर या गांव को क्या चाहिए?. उन्होंने कहा, मोदीजी मुजफ्फरपुर में एक बड़ी चुनावी रैली के लिए आए थे. मैंने उनका भाषण सुना. मैंने अब तक निर्णय नहीं लिया है कि मैं वोट किसे दूंगा, लेकिन मैं अपने प्रत्याशी से चाहता हूं कि वह कॉलेज और अस्पताल बनाने के बारे में बात करे ताकि हमें स्वास्थ्य संबंधी आपातस्थिति में पटना या दिल्ली ना जाना पड़े. अभी क्षेत्र में लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के लिए श्री कृष्णा मेमोरियल कॉलेज और अस्पताल एवं सदर अस्पताल पर निर्भर करना पड़ता है. इसके अलावा यहां 1899 में बना एलएस कॉलेज, एमआईटी मुजफ्फरपुर, राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थान और जिल्ला स्कूल एवं कई निजी शिक्षण संस्थान हैं.

मुजफ्फरपुर को देशभर में लीची शहर के तौर पर जाना जाता है लेकिन हर साल होने वाला दिमागी बुखार इन्सेफलाइटिस राज्य की रातों की नींद हराम कर देता है. मुजफ्फरपुर से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद दिल्ली में एक आईटी व्यवसाय शुरु करने वाले कुमार का कहना है कि वह प्रस्तावित स्मार्ट सिटी योजना को लेकर रोमांचित हैं. लेकिन स्वास्थ्य, शिक्षा और आधारभूत ढांचे को सर्वोपरि महत्ता देनी चाहिए. उन्होंने कहा, हम हर साल दिमागी बुखार से लड़ते हैं. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बाद मुजफ्फरपुर में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं. लेकिन जहां तक मुझे याद है कि यह स्वास्थ्य संबंधी समस्या कभी भी चुनावी मुद्दा नहीं बना है. हम स्मार्ट सिटी की बात कर रहे हैं लेकिन शहर के लिए प्रस्तावित हवाईअड्डा अभी भी ठंडे बस्ते में हैं.

मुजफ्फरपुर से भाजपा के मौजूदा विधायक सुरेश शर्मा स्मार्ट सिटी के विकास का एक चुनावी मुद्दे के रुप में समर्थन करते हैं. वह जदयू के पूर्व विधायक विजेंदर चौधरी के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं. शर्मा मुजफ्फरपुर को स्मार्ट सिटी में बदलने को अपनी प्राथमिकता मानते हैं.

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