बिहार चुनाव का पाचवां चरण : सबसे रोचक, सबसे निर्णायक
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के चार चरणों का चुनाव संपन्न हो गया है, अब गुरुवार को सिर्फ पांचवे फेज का मतदान होगा. मंगलवार शाम बिहार चुनाव का दो माह लंबा प्रचार अभियान थम गया. पांचवें चरण में सर्वाधिक 57 सीटों पर मिथिलांचल, कोसी व सीमाचंल के इलाके में मतदान होगा. यह चरण इस मायने […]
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के चार चरणों का चुनाव संपन्न हो गया है, अब गुरुवार को सिर्फ पांचवे फेज का मतदान होगा. मंगलवार शाम बिहार चुनाव का दो माह लंबा प्रचार अभियान थम गया. पांचवें चरण में सर्वाधिक 57 सीटों पर मिथिलांचल, कोसी व सीमाचंल के इलाके में मतदान होगा. यह चरण इस मायने में खास है कि दो राजनीतिक धड़ों के बीच बराबरीकामुकाबलाहोनेकीस्थितिमें उसेनिर्णायकमोड़ तक यही इलाका पहुंचाता रहा है. यानी देश की राजनीति में जो हैसियत यूपी-बिहार की है, वही हैसियत बिहार में इस इलाके की है.
वर्तमान में महागंठबंधन के पास ज्यादा सीटें
इस चरण में वर्तमान में विधानसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, जदयू के पास 22, राजद के पास छह व कांग्रेस के पास तीन सीटें हैं. यानी मौजूदा महागंठबंधन के पास निवर्तमान विधानसभा में 31 सीटें हैं, वहीं भाजपा के पास 20 सीटें हैं, जबकि उनके दूसरे सहयोगियों की मौजूदगी नहीं है. यानी एनडीए के पास 20 सीटें हैं. यानी सत्ता में वापसी के लिए महागंठबंधन को अपनी पकड़ यहां न सिर्फ बनाये रखनी होगी, बल्कि मजबूत भी करनी होगी. वहीं, एनडीए को सत्ता में आने के लिए यहां महागंठबंधन की जमीन पर अपने पैर फैलाने होंगे.
लोकसभा में भाजपा व गैर भाजपा ताकतें बराबर
2014 के लोकसभा चुनाव में इस इलाके की आठ लोकसभा सीटों में से चार भाजपा विरोधी ताकतों ने जीती थी. अररिया से राजद के तसलीमुद्दीन व मधेपुरा से पप्पू यादव जीते थे. पप्पू अब अलग पार्टी बना चुके हैं और तीसरे मोर्चे के घटक हैं. इसके अलावा कटिहार से एनसीपी के तारिक अनवर व किशनगंज से कांग्रेस के असरुल हक चुनाव जीते थे. भाजपा दरभंगा, झंझारपुर व मधुबनी सीट, जबकि उसकी सहयोगी लोजपा खगड़िया सीटें जीत पायी थी. यानी यहां के चुनावी समर को उपर तौर पर लोकसभा के स्तर पर ही देखें तो चरम मोदी लहर में भी यहां भाजपा व गैर भाजपा ताकतें बराबर थी.
अब पप्पू व ओवैसी फैक्टर
इस इलाके में इस बार पप्पू यादव व असदुद्दीन ओवैसी फैक्टर भी है. पप्पू अपनी जनअधिकार पार्टी को थर्ड फ्रंट का घटक बना कर तो ओवैसी अपनी पार्टी एआइएमआइएम के बैनर तले अपने लोगों काे चुनाव लड़ा रहे हैं. पहले 24 सीटों पर लड़ने का दावा करने वाले ओवैसी ने अपने को मात्र सीमांचल की छह सीटों तक सीमित रखा है और इस रूप में उनका प्रभाव व दायर सीमित हो जाता है, जिसे महागंठबंधन के लिए सुकून वाली स्थिति माना जाता है, लेकिन पप्पू का गंठबंधन लगभग सारी सीटों पर लड़ रहा है. यह चुनाव परिणाम ही बतायेगा कि पप्पू यहां अपना प्रभाव बढाने में कितने सफल रहे और किस धड़े को हानि लाभ पहुंचाते हैं.