पटना : बिहार चुनाव के मद्देनजर भाजपा के गाय वाले विज्ञापन पर विरोधों के बाद चुनाव आयोग ने मामला दर्ज कराया है. इसके साथ ही चुनाव आयोग ने बुधवार को ही आज के मतदान के कारण किसी भी प्रकार के विज्ञापन छपवाने पर रोक लगा दी और कहा कि बिना अनुमति के कोई भी विज्ञापन मतदान वाले दिन नहीं छपवाया जाए. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके साथियों के गोमांस खाने संबंधी बयानों पर स्पष्टीकरण मांगते हुए भाजपा की ओर से बुधवा को जारी विज्ञापन के बाद चुनाव आयोग ने कल राज्य में अंतिम चरण के मतदान के दिन अखबारों में राजनीतिक इश्तहार छपवाने पर रोक लगा दी. इससे पहले विरोधियों ने भाजपा पर सांप्रदायिक नफरत फैलाकर चुनाव का ध्रुवीकरण करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. भाजपा ने अपने कदम का बचाव करते हुए कहा कि उसमें कुछ गलत नहीं है लेकिन चुनाव आयोग ने बुधवार शाम को एक अधिकारप्राप्त मीडिया समिति से पूर्व मंजूरी के बिना कल अखबारों में किसी पार्टी या उम्मीदवारा द्वारा विज्ञापनों के प्रकाशन पर रोक लगा दी.
चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा कि आयोग ने पहली बार प्रिंट मीडिया के लिए इस तरह का दिशानिर्देश जारी किया है. उच्चतम न्यायालय के 2004 के एक आदेश के बाद रेडियो और टीवी विज्ञापनों पर इस तरह की पाबंदी लगायी गयी थी और 2013 में सोशल मीडिया को भी इसमें शामिल किया गया था. भाजपा के आज प्रकाशित इश्तहार में नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उनसे सवाल किया गया है, ‘मुख्यमंत्री जी आपके साथी हर भारतीय की पूज्य गाय का अपमान बार-बार करते रहे और आप चुप रहे.’ किशनगंज, सहरसा और अन्य क्षेत्रों में स्थानीय अखबारों में यह विज्ञापन प्रकाशित हुआ है जहां कल विधानसभा चुनाव के पांचवें और अंतिम चरण के लिए मतदान होगा. विज्ञापन में गाय के गले से लगी एक महिला की तस्वीर है जिसमें राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद, उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के गोमांस को लेकर पूर्व में दिये गये बयानों का उल्लेख किया गया है.
भाजपा के विज्ञापन में मुख्यमंत्री से कहा गया है कि वह वोट बैंक की राजनीति बंद करें और अगर गोमांस पर अपने साथियों के बयानों से सहमत हैं तो जवाब दें. विज्ञापन में लालू प्रसाद के ‘हिंदू भी बीफ खाते हैं’ वाले बयान का जिक्र किया गया है. रघुवंश प्रसाद के इस बयान को इसमें वर्णित किया गया है कि ‘वेद-पुराणों में क्या सब लिखा है, ऋषी-महर्षि भी (गोमांस) खाते थे पुराने जमाने में.’ कर्नाटक के मुख्यमंत्री के इस बयान का उल्लेख किया गया है कि ‘अगर मैं बीफ खाना चाहूं तो कोई नहीं रोक सकता.’ हिंदी में प्रकाशित विज्ञापन में ‘बीफ’ शब्द को लाल रंग से विशेष रूप से रेखांकित किया गया है. विज्ञापन के अंत में लिखा है, ‘जवाब नहीं तो वोट नहीं.’
अखबारों में भाजपा की ओर से गोमांस पर जारी विज्ञापन पर कडा ऐतराज जताते हुए महागठबंधन ने बुधवार को चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया और भाजपा पर बिहार चुनाव में सांप्रदायिक नफरत फैलाकर ध्रुवीकरण करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए पार्टी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गयी. इसी शिकायत पर चुनाव आयोग ने मामला दर्ज किया है. हालांकि भाजपा ने अपने इस कदम का बचाव किया और वरिष्ठ पार्टी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘गोमांस के मुद्दे पर हमारे विज्ञापन में कुछ गलत नहीं है. सबसे पहले हमने यह मुद्दा नहीं उठाया था. लालू ने ऐसा किया. हमने केवल जवाब दिया.’
उधर चुनाव आयोग ने कहा कि उसने ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करने का निर्देश दिया था जिनसे नफरत, दुर्भावना या द्वेष का माहौल बनने की आशंका हो. उसके निर्देश के बावजूद इस तरह की प्रवृत्ति के कुछ विज्ञापन संज्ञान में आये हैं जो बुधवार को बिहार के अखबारों में प्रकाशित हुए हैं. आयोग ने अनुच्छेद 324 के तहत मिले संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए कहा, ‘गुरुवार को मतदान के दिन इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो और किसी भडकाउ या नफरत फैलाने वाले विज्ञापन की वजह से कोई अप्रिय घटना नहीं घटे, यह सुनिश्चित करने के लिए आयोग निर्देश देता है कि कोई राजनीतिक दल या उम्मीदवार या अन्य कोई संगठन या व्यक्ति अखबारों में कल तब तक विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा जब तक कि प्रस्तावित सामग्री को मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति (एमसीएमसी) से पूर्व सत्यापित नहीं करा लिया जाता.’