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बिहार चुनाव : जानिए सत्ता के लिए चले कौन- कौन से शब्दों के तीर

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में किसी भी हाल में जीत दर्ज करने की होड़ के बीच राजनीतिक दलों ने खूब सियासी और हास्य से भरे जुमलों के तीर अपने विरोधियों पर छोड़े. सियासी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बिहार चुनाव के अंतिम चरण के खत्म होने के बाद इन सियासी बयानों का लगभग पटाक्षेप हो गया […]

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में किसी भी हाल में जीत दर्ज करने की होड़ के बीच राजनीतिक दलों ने खूब सियासी और हास्य से भरे जुमलों के तीर अपने विरोधियों पर छोड़े. सियासी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बिहार चुनाव के अंतिम चरण के खत्म होने के बाद इन सियासी बयानों का लगभग पटाक्षेप हो गया और विभिन्न राजनीतिक दलों के बेहद थकाउ अभियान के बाद चुनाव प्रचार अब खत्म हा चुका है.

पांच चरण में हुए चुनाव में विभिन्न नेताओं ने जम कर वाक युद्ध किया. नेताओं ने अपने विपक्षियों को पटखनी देने के लिए कभी जुमलों का सहारा लिया तो कभी तीखे बोल से विरोधियों को घेरने का प्रयास किया. प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुके इस चुनाव में कई बार नेताओं ने सीधा हमला बोलने से भी गुरेज नहीं किया. चुनाव मैदान में एक-दूसरे से सीधे मुकाबले में खड़े भाजपा के नेतृत्व वाले राजग और दूसरी तरफ जदयू, राजद एवं कांग्रेस के गठबंधन ने जमकर चुनाव अभियान चलाया. इस दौरान कई बार दोनों पक्षों को एक-दूसरे से आगे निकलते हुए तो कई बार पिछड़ते हुए बताया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के स्टार प्रचारक के तौर पर समूचे राज्य में धुआंधार चुनावी जनसभाएं कीं. चुनावी सरगर्मी को चरम पर ले जाते हुए मोदी ने मतदाताओं को लुभाने के लिए अपने चिर-परिचित अंदाज में जोरदार भाषण दिये और अपने विरोधियों को सबसे अधिक क्षति पहुंचाने की कोशिश की जो उनके बोलने की शैली को ‘‘जुमलेबाजी” कहते हैं.

सितंबर की शुरूआत में चुनाव की घोषणा के साथ ही पार्टियों ने अपनी कमर कस ली और जुबानी लड़ाई शुरु हो गयी. जदयू, राजद और कांग्रेस के महागठबंधन को भाजपा नेताओं और खुद मोदी ने ‘महाठगबंधन’ और ‘महाभ्रष्टबंधन’ बताया. सोशल मीडिया पर भी जमकर वाक युद्ध देखने को मिला. इस दौरान फेसबुक और ट्विटर पर नये-नये हैशटैग ट्रेंड करते दिखे. दूसरी ओर महागठबंधन के सदस्यों ने भाजपा को बहुत बार ‘भारतीय जुमला पार्टी’ कहा और आरोप लगाया कि उसने ‘‘खोखले दावों” और ‘‘नकारात्मक प्रचार” के दम पर चुनाव लडा.

अक्तूबर की शुरूआत में जैसे-जैसे अभियान आगे बढ़ा राजद प्रमुख लालू प्रसाद और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी चुनावी मैदान में कूद पडे. लालू ने पटना और जमुई जिलों की अपनी रैलियों में उनको ‘नरभक्षी’ कहा और शाह ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को ‘चारा चोर’ कहा. इसके बाद चुनाव आयोग को चुनावी माहौल को सौहार्दपूर्ण बनाये रखने के लिए हस्तक्षेप करना पडा. नीतीश कुमार ने मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए ‘‘बिहारी बनाम बाहरी” का मुद्दा उठाया. वहीं मोदी ने विपक्ष के दावों की पोल खेलने के लिए बेहद चालाकी से ‘जंगल राज’ का मुद्दा उठा दिया.

तीसरे चरण के चुनाव के कुछ दिन पहले एक तांत्रिक से आशीर्वाद लेते हुए नीतीश का वीडियो जारी होने के बाद मोदी ने उन पर तीखा हमला बोलते हुए उनके लिए ‘लोक तांत्रिक’ शब्द का इस्तेमाल किया. मोदी ने नीतीश, लालू और सोनिया गांधी के अलावा तांत्रिक को महागठबंधन का चौथा अहम सदस्य तक बता दिया. प्रधानमंदी ने अपने विरोधियों को घेरने में चालाकी दिखाई. एक समय तक लालू के गढ़ रहे छपरा में मोदी ने कहा ‘‘लालूजी, आप एक काले या सफेद कबूतर की बली देने या मिर्च का धुआं छोडने के लिए आजाद हैं. अगर आपको यह करना है तो अपनी पार्टी का नाम बदलकर राष्ट्रीय जनता दल से राष्ट्रीय जादू-टोना पार्टी कर दीजिये और पार्टी अध्यक्ष होने के नाते आप विश्व के सबसे बडे तांत्रिक बन जायेंगे.” जंगल राज को परिभाषित करते हुए मोदी ने अपनी एक रैली में राजद को ‘‘रोजाना जंगल राज का डर” बताया था. नीतीश ने मोदी को बाहरी बताने के लिए आमिर खान की फिल्म ‘‘थ्री इडियट्स” के एक गीत ‘‘कहां गया उसे ढूंढो” के तर्ज पर कुछ पंक्तियां सुनायी. प्रधानमंत्री ने इसका जवाब देते हुए जदयू, राजद और कांग्रेस के गठबंधन को ‘थ्री इडियट्स’ की तरह बताया.

शब्दों की लड़ाई ने बिहार के लोगों को खासा प्रभावित नहीं किया. लोगों ने माना कि विरोधियों पर हमला करने के बजाय नेताओं को लोगों की चिंताओं पर ध्यान देना चाहिए. बिहार में विधानसभा की 243 सीटें हैं और कल खत्म हुए चुनाव के परिणाम रविवार को घोषित किये जायेंगे.

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