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पढ़िए, एग्जिट पोल चुनाव परिणाम से कितने दूर, कितने पास

आशुतोष के पांडेय पटना : बिहार विधानसभा चुनाव समाप्ति के बाद से एग्जिट पोल का आना लगातार जारी है. सवाल यह उठता है कि एग्जिट पोल का परिणाम क्या असल परिणाम के आस-पास और करीब होता है या फिर यह चंद घंटे के लिए खुश होने का बहाना. पोल में किसी पार्टी को बहुमत तो […]

आशुतोष के पांडेय

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव समाप्ति के बाद से एग्जिट पोल का आना लगातार जारी है. सवाल यह उठता है कि एग्जिट पोल का परिणाम क्या असल परिणाम के आस-पास और करीब होता है या फिर यह चंद घंटे के लिए खुश होने का बहाना. पोल में किसी पार्टी को बहुमत तो किसी को बहुमत के करीब दिखाया जाता है. प्रभात खबर डॉट कॉम ने ऐसे ही सर्वे की सच्चाई को गहराई से मापने का प्रयास किया. जो परिणाम निकला वह काफी चौकाने वाला है.

लोकसभा का सर्वे अनुमान

2009 के लोकसभा चुनाव में टूडेज चाणक्या के सर्वे में यूपीए को 250 सीटें मिलने का अनुमान था जबकि एनडीए को 183. परिणाम यूपीए के पक्ष में आया और यूपीए को 262 सीट और बीजेपी को मात्र 116 सीटों पर सफलता मिली. एक और सर्वे एजेंसी सी वोटर ने लोकसभा 2014 में कहा की यूपीए को 89 और एनडीए को 202 सीटें मिलेंगी. रिजल्ट कुछ यूं रहा जिसमें एनडीए को 340 सीटें मिली.

क्या होगा बिहार में

5 नवंबर की शाम जब से बिहार में विधानसभा चुनाव में मतदान का शोर थमा है तब से लोगों की जिज्ञासाएं चरम पर है. इसलिए तत्काल बाद आए विभिन्न एजेन्सियों के एग्जिट पोल के निष्कर्ष मीडिया में सुर्खियां बने. अब इन आंकड़ों को पार्टियां और लोग अपने-अपने नजरिए से देख रहे हैं. हम सर्वे एजेंसियों के अतीत को टटोलें तो इनके द्वारा दिए गए निष्कर्ष कई बार असल तस्वीर के काफी करीब होते हैं. टूडेज चाणक्या ने 2010 के बिहार विधानसभा में जो अनुमान लगाया था उसके मुताबिक जदयू गंठबंधन जिसमें उस समय बीजेपी शामिल थी उसे 145 सीटें दी थी. जब रिजल्ट आया तो जदयू और बीजेपी गंठबंधन को 206 सीटें मिली जबकि राजद को मात्र 22 सीटें.

दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ का अनुमान

राज्यों के चुनाव के एग्जिट पोलों पर विस्तार से नजर डालें तो दिल्ली, राजस्थान, और मध्य प्रदेश के साथ छतीसगढ़ के परिणाम में सर्वे का अनुमान परिणाम के काफी करीब पहुंचा था. इन राज्यों में जो चुनाव हुए थे उसमें इंडिया टूडे-ओआरजी, टाइम्स नाउ सी वोटर, आईबीएन 7, सीएसडीएस और एबीपी नीलसन और टूडेज चाणक्य ने चार राज्यों में सबसे आगे बीजेपी को बताया था और कांग्रेस को नंबर दो पर .

2015 में दिल्ली चुनाव के लिए सी वोटर ने कहा कि वहां बीजेपी को 37, आप को 26 और कांग्रेस को 7 सीटें मिलेंगी. चुनाव परिणाम आप के पक्ष में रहा और बीजेपी को मात्र तीन सीटें मिली जबकि आप को 67 सीटों पर जीत हासिल हुई.

वहींजम्मकश्मीर में सीवोटर के सर्वे ने कहा कि बीजेपी को 27 से 33, कांग्रेस को 4 से 10 और नेशनल कांफ्रेस को 8 से 14 और पीडीपी को 32 से 38 सीटें मिलेगी और अन्य को 2 से आठ सीटें मिलेगी. चुनाव परिणाम में जहां पीडीपी को 28 सीटें मिली वहीं बीजेपी को 15 और कांग्रेस को 12 सीटों पर जीत हासिल हुई जबकि नेशनल कांफ्रेस को 15 सीटें मिलीं.

सर्वे का सच

ठीक उसी तरह मध्य प्रदेश में सभी एग्जिट पोल बीजेपी को दुबारा सत्ता में वापसी दर्शा रहे थे. उस समय भी टूडेज चाणक्या का सर्वे पूरी तरह सटीक रहा. चाणक्या ने बीजेपी को 161 और कांग्रेस को 58 सीट दिया था. जबकि बाकी सर्वे में बीजेपी को 128 से 138 और कांग्रेस को 80 से 92 सीट दे रहे थे. 230 सदस्सीय विधानसभा में बीजेपी को 165 सीटें मिली वहीं कांग्रेस को 58 सीटों पर जीत पायी.

छतीसगढ़ के आंकड़ों को देखें तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर की बात सभी सर्वे में बतायी गयी थी. वहीं दूसरी ओर इंडिया टूडे और ओआरजी तथा चाणक्या के सर्वे में बताया गया कि भाजपा को 53 और कांग्रेस को 33 सीट मिलने का अनुमान है. चुनाव परिणाम जब आया तो उसमें बीजेपी को 45 सीटें मिली वहीं कांग्रेस 39 पर सिमट कर रह गयी.

राजस्थान को देंखे तो वहां सभी एजेंसियों के नतीजे असल परिणाम से काफी दूर रहीं और किसी ने भी कांग्रेस की हार की कल्पना नहीं की. राजस्थान में बीजेपी को 162 और कांग्रेस को सिर्फ 21 सीटें मिली. राजस्थान की लहर का कोई भी सर्वेक्षण सटीक अनुमान नहीं लगा पाया. यह बात तय है कि मतदान पूर्व और बाद में किए जाने वाले सर्वे थोड़ा बहुत यह बता पाते हैं कि सियासत में सत्ता की चाबी किसके हाथ में रहेगी और हाल के दिनों में कई सर्वे एजेंसियां इसमें सफल भी रही हैं.

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