बिहार चुनाव परिणाम : आखिर क्यों हारी भाजपा?

पटना : बिहारमें चुनावीनतीजेमहागंठबंधन के पक्ष गया है.इसकेसाथ ही भाजपाको मिली करारी हार को लेकरचर्चाशुरूहो गयी है.राज्यकी जनता ने एक बार फिर नीतीशकुमारकोमुख्यमंत्रीके तौर पर चुना है. बिहार चुनाव भाजपा के लिए एक चुनौती माना जा रहा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ-साथएनडीएके प्रमुखकेंद्रीयमंत्रियों ने इस चुनाव मेंएड़ीचोटी का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 8, 2015 12:44 PM

पटना : बिहारमें चुनावीनतीजेमहागंठबंधन के पक्ष गया है.इसकेसाथ ही भाजपाको मिली करारी हार को लेकरचर्चाशुरूहो गयी है.राज्यकी जनता ने एक बार फिर नीतीशकुमारकोमुख्यमंत्रीके तौर पर चुना है. बिहार चुनाव भाजपा के लिए एक चुनौती माना जा रहा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ-साथएनडीएके प्रमुखकेंद्रीयमंत्रियों ने इस चुनाव मेंएड़ीचोटी का जोड़लगायाथा. बावजूद इसकेभाजपा कोहारकामूंहदेखना पड़ा.भाजपाकेहार के पीछे कईकारणों काेजिम्मेदार माना जा रहा हैं. आइये जानते हैं बिहार में क्यों हारी भाजपा…

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान

चुनावी माहौल में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण की समीक्षा संबंधी बयान को महागंठबंधन के प्रमुख नेताओं ने अहम मुद्दा बनाया. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भागवत के आरक्षण पर दिये गये इस बयानको लेकर भाजपा व संघ पर तीखा हमला बोला.महागंठबंधनकेनेता नीतीशकुमारने भी इस मामले पर भाजपा पर जमकरनिशानासाधा. महागंठबंधन के पक्ष में माहौल बनानेमेंभागवत केबयानको अहम मानाजारहा हैं. हालांकिबाद में संघ एवं भाजपा केप्रमुख नेताओंनेभागवत के बयान पर सफाई देते हुए आरक्षणकेमौजूदा प्रावधानमें किसी भी तरहकेबदलाव की संभावना से इनकारकिया.लेकिनइसका बहुत ज्यादाअसरनहींदिखाऔरफायदामहागंठबंधनको मिला.

एनडीए खेमे में कलह

बिहार में सीटों के बंटवारे एवं मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर एनडीए के प्रमुख घटक दलों के बीच शुरुआत से ही गतिरोधदिखाई दिया. जबकि महागंठबंधन में इन मामलों पर गतिरोध कम दिखाई दिया. भाजपा, रालोसपा, लोजपा व हम के प्रमुख नेता आपस में ही लड़ते दिखाई दियेऔर एक दूसरे के खिलाफबयानभी देते रहे.

भाजपा के भीतरभी गतिरोध

बॉलीवुड अभिनेता एवं भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद, आरके सिंह समेत पार्टी के अन्य नेता कई बार एनडीए के खिलाफबयानबाजीकरते दिखाई दिये. इननेताओं के बयानकेबाद पार्टी भी कई बार असहज दिखी. सूत्रों की मानें तो इनके बयानों का असर चुनाव में दिखा और भाजपा के खिलाफ माहौल बना.

भाजपा के कमजोर साथी

एनडीए के प्रमुख घटक दल लोजपा, हम व रालोसपा से भाजपा को बहुत उम्मीदें थी. हालांकि परिणाम कुछ और बयां कर रहे हैं. जबकि महागंठबंधन में स्थिति अलग दिखी. इस गठबंधन में शामिल जदयू, राजद व कांग्रेस को उम्मीद से बेहतर सफलता मिली.

नीतीश की छवि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह ने एनडीए के पक्ष में कई रैलियां की. इस दौरान उन्होंने लालू व नीतीश पर जमकर निशाना साधा. बावजूद इसके नीतीश कुमार के सुशासन बाबू की छविकायमरहीऔर बिहार के विकास के लिए राज्य की जनता नेएक बार फिर नीतीशकुमारको मुख्यमंत्रीकेतौर पर चुना हैं.

भाजपा के चुनावी मुद्दे

चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने गौमांस, तंत्र-मंत्र, बिजली जैसे मुद्दों को उठाकर महागंठबंधन पर हमला बोला था. हालांकि इन मुद्दों से एनडीए के पक्ष में कोई विशेष माहौल बनता नहीं दिखा.

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