नयी दिल्ली: करारी हार से हिली भाजपा ने आज शाम चार बजे अपनी पार्टी की सर्वोच्च नीति-निर्माण इकाई संसदीय बोर्ड की बैठक बुलायी है जिसमें वह आत्म-मंथन करेगी. प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे. इस बैठक के पहले आज सुबह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली में संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की है. दोनों के बीच मुलाकात लगभग दो घंटे तक चली. बिहार में हार के बाद भाजपा की ओर से बयान जारी करके कहा गया है कि नतीजों का विश्लेषण किया जाएगा और सुधार के कदम उठाए जाएंगे.
इधर , कुछ नेताओं का मानना है कि विजयी महागठबंधन का ‘‘सामाजिक तालमेल’ राजग की करारी हार का कारण हो सकता है. दूसरी ओर, बदतर प्रदर्शन के बाद पार्टी में असंतोष के स्वर भी सुनाई दिए. आक्रामक अभियान चलाने की रणनीति को लेकर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी निशाने पर रहे. बिहार में भाजपा की अगुवाई वाली राजग की बडी हार तय देखने के बाद पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने शाह के आवास पर उनसे मुलाकात की.
हुकुमदेव नारायण यादव और अश्विनी चौबे सहित बिहार के कुछ नेताओं ने कहा है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का आरक्षण के बारे में दिए गए बयान से पार्टी को नुकसान हुआ जबकि एक धडे में इस तरह की भी सोच है कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम नहीं बताने से भी नीतीश कुमार को फायदा मिला. भाजपा के कुछ नेताओं को लगता है कि जीतने वाले गठबंधन का ‘सामाजिक संयोजन’ राजग की हार का कारण हो सकता है.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में चुनाव की तारीखों के एलान के बाद 26 चुनावी सभाएं कीं, लेकिन इसमें 14 सीटों पर भाजपा हार गयी. इससे पहले पीएम ने चार परिर्वतन रैली भी की थी. कुल मिला कर पीएम ने 30 सभाएं कीं लेकिन रैलियों में जुटी भीड़ वोट में नहीं बदल सकी.
पीएम ने दो अक्तूबर को बांका से चुनाव प्रचार की शुरुआत की थी व दो नवंबर तक कुल 26 चुनावी सभाओं को संबोधित किया था. बांका जिले में विधानसभा की पांच सीटें हैं, जिनमें एक को छोड़ कर सभी सीटें महागंठबंधन के खाते में चली गयी. दूसरे दौर के चुनाव प्रचार की शुरुआत पीएम ने औरंगाबाद से की थी. यहां भी भाजपा हार गयी. बिहार चुनाव में एनडीए के खाते में मात्र 58 सीटें आयीं.
ये हो सकते हैं हार के कारक जिनपर बैठक में चर्चा संभव
– आरक्षण पर संघ प्रमुख भागवत का बयान
– नीतीश के डीएनए पर सवाल उठाना
– गोमांस को लेकर अनावश्यक बयानबाजी
– लालू को शैतान कह कर हमला करना
– नीतीश पर बिना तथ्यों के हमला करना
– प्याज, दाल की कीमतों में भारी वृद्धि
– नीतीश के मुकाबले राज्य में एनडीए के पास कोई दमदार चेहरा का न होना
– नीतीश सरकार के कामकाज के प्रति लोगों की सकारात्मक राय