।।दक्षा वैदकर।।
जब भी मैं अपने किसी साथी को किसी गलती के लिए डांटती, वह मुझसे नाराज हो जाता. मैं इस बात से इतनी परेशान हो जाती कि दोबारा उस कर्मचारी को न डांटने की कसम खा लेती. दरअसल, मैं यह चाहती ही नहीं थी कि कोई मुझसे नाराज रहे. मैं अच्छा लीडर बनना चाहती थी, लेकिन मैं यहां गलत थी. इसका अहसास मुङो एक सीनियर मैनेजर ने कराया.
उन्होंने समझाया कि जब आप किसी को डांटते या फटकारते हैं, तो इस बात के लिए आपको तैयार रहना चाहिए कि सामनेवाला व्यक्ति आपसे कुछ समय तक नाराज रहेगा. अच्छा लीडर बनने के लिए यह जरूरी नहीं कि आप सबसे मेहनती, सबसे स्मार्ट व सबके चहेते हों. इसके लिए तो सिर्फ यह आवश्यक है कि आप कठोर रहें, बेस्ट रिजल्ट पाने के लिए कठोर बनें, चाहे इस वजह से आप अस्थायी रूप से अलोकप्रिय हो जाएं. लीडरशिप का मतलब लोकप्रियता की स्पर्धा जीतना नहीं है.
हॉलीडे इन्स के जेम्स स्कॉर कहते हैं ‘कुछ लोग बहुत खराब लीडर होते हैं, क्योंकि उन्हें इस बैसाखी की जरूरत होती है कि हर व्यक्ति उन्हें पसंद करे.’ लॉम्बार्डी की फिलॉसफी यह थी ‘मैं खिलाड़ियों के प्रेम के बजाय उनका विश्वास जीतना अधिक महत्वपूर्ण मानता हूं.’ मनोवैज्ञानिक हैम गिनोट ने कहा था, ‘एक अच्छे पिता को अपने बच्चों को पसंद करना चाहिए, परंतु उसे इस बात की प्रबल आवश्यकता महसूस नहीं होनी चाहिए कि उसके बच्चे उसे हर मिनट पसंद करें.’
याद रहे, कई बार फटकार लगाना जरूरी होता है. बस इन बातों को ध्यान में रखें. पहला, फटकार लगाने से पहले तथ्यों को जांच लें. दूसरा, सामनेवाले को स्पष्टता के साथ बतायें कि उसकी गलती क्या है. कभी भी किसी को ज्यादा देर तक फटकार न लगाएं. यह बुरा प्रभाव डाल सकती है. फटकार ज्यादा से ज्यादा एक मिनट की होनी चाहिए. एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि एक मिनट से कम वक्त की फटकार को इनसान भूल जाता है और इससे अधिक देर तक लगायी गयी फटकार गलत प्रभाव भी डाल सकती है.
बात पते की..
-जब भी किसी को डांटें, उसे थोड़ी देर अकेला छोड़ दें. यह उम्मीद न करें कि वह तुरंत आकर आपको सॉरी कहे या आपसे बात करने लगे.
-डांटते वक्त सामने वाले को यह जरूर बताएं कि आप उसे किस गलती के लिए डांट रहे हैं. आपकी डांट में सारी बातें स्पष्ट होनी चाहिए.