लंदन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को यहां भारत में असहिष्णुता और 2002 में हुए गुजरात दंगों के बारे में कडे सवालों का सामना करते हुए आश्वासन दिया कि भारत के किसी भी हिस्से में असहिष्णुता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बीबीसी के एक रिपोर्टर ने भारत में हाल की असहिष्णुता की घटनाओं का हवाला दिया और प्रश्न किया कि भारत क्यों लगातार असहिष्णु स्थल बनता जा रहा है.
मोदी ने जवाब में कहा, ‘‘ भारत बुद्ध की धरती है, गांधी की धरती है और हमारी संस्कृति समाज के मूलभूत मूल्यों के खिलाफ किसी भी बात को स्वीकार नहीं करती है. ‘ उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान के किसी कोने में कोई घटना घटे, एक हो, दो हो या तीन हो… सवा सौ करोड की आबादी में एक घटना का महत्व है या नहीं, हमारे लिए हर घटना का गंभीर महत्व है. हम किसी को टालरेट (बर्दाश्त) नहीं करेंगे. कानून कडाई से कार्रवाई करता है और करेगा. मोदी ने कहा कि भारत एक विविधतपूर्ण लोकतंत्र है जो संविधान के तहत चलता है और सामान्य से सामान्य नागरिकों, उनके विचारों की रक्षा को प्रतिबद्ध है, कमिटेड है.
द गार्डियन समाचार पत्र के एक पत्रकार ने भारतीय प्रधानमंत्री के साथ खडे कैमरन से सवाल किया कि मोदी का देश में स्वागत करते हुए वे कितना सहज महसूस कर रहे हैं, खासकर इस तथ्य को देखते हुए कि उनके (कैमरन के) प्रधानमंत्री पद के पहले कार्यकाल के समय मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर ब्रिटेन आने की अनुमति नहीं दी गई थी. इस पत्रकार ने मोदी से भी सवाल किया कि उनके लंदन आगमन पर यहां सडकों पर ये कहते हुए विरोध प्रदर्शन हुए कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते उनके रिकार्ड को देखते हुए वह वैसे सम्मान के हकदार नहीं है जिसे सामान्य तौर पर विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र के नेता को दिया जाता है. कैमरन ने अपने जवाब में कहा, ‘‘ मुझे मोदी का स्वागत करने में प्रसन्नता है. वह एक विशाल और ऐतिहासिक जनादेश के बाद यहां आए हैं. जहां तक अन्य मुद्दों का सवाल है, उसकी कानूनी प्रक्रियाएं हैं. उनका ब्रिटिश सरकार ने स्वागत किया और मैंने उनके साथ इस बारे में चर्चा की कि दोनों देश साथ मिलकर कैसे काम कर सकते हैं.’
मोदी ने अपने जवाब में कहा, ‘‘ अपना रिकार्ड दुरुस्त कर लीजिए. 2003 में मैं यहां आया था और मेरा बहुत स्वागत, सम्मान हुआ था. यूके ने मुझे कभी यहां आने से नहीं रोका. कोई प्रतिबंध नहीं लगाया. मेरे समायाभाव के कारण मैं यहां नहीं आ पाया, यह अलग बात है. कृपया अपना परसेप्शन (नजरिया) ठीक कर लें. ‘ 2002 के दंगों के बाद अमेरिकी प्रशासन ने मोदी को वीजा देने से इनकार कर दिया था, ब्रिटिश सरकार का लम्बे समय तक उनके प्रति ठंडा रुख रहा था. लेकिन 2014 के चुनाव से पहले भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त गांधीनगर गए और उनसे मिले. यह इस बात का संकेत था कि ब्र्रिटेन उनके साथ अपने रिश्तों में गर्माहट लाना चाहता है. गोमांस सेवन की अफवाह में उत्तरप्रदेश के दादरी में एक व्यक्ति को पीट पीट की मार दिये जाने की घटना के बाद भारत में असहिष्णुता का मुद्दा सुर्खियों में हैं.