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असरदार होती है सार्वजनिक तारीफ

।। दक्षा वैदकर।।इन दिनों शॉपिंग मॉल में सभी के सामने प्रपोज करने का चलन बहुत बढ़ गया है. यू-ट्यूब पर ऐसे वीडियो बड़ी संख्या में हैं. मेरी एक दोस्त को भी उसके दोस्त ने ऐसे ही मॉल में गाना गा कर, घुटने के बल बैठ कर प्रपोज किया. अभी उन दोनों की शादी को तीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 7, 2013 3:01 AM

।। दक्षा वैदकर।।
इन दिनों शॉपिंग मॉल में सभी के सामने प्रपोज करने का चलन बहुत बढ़ गया है. यू-ट्यूब पर ऐसे वीडियो बड़ी संख्या में हैं. मेरी एक दोस्त को भी उसके दोस्त ने ऐसे ही मॉल में गाना गा कर, घुटने के बल बैठ कर प्रपोज किया. अभी उन दोनों की शादी को तीन साल हो चुके हैं, लेकिन वह दोस्त हर मुलाकात में इस वाकये की बात बड़ी खुश हो कर बताती है. मैंने उससे यूं ही पूछा कि यदि जीजाजी मॉल में प्रपोज करने के बजाय कहीं अकेले में करते, तो क्या तुम इतनी खुश नहीं होती?

वह बोली, अकेले में प्रपोज करना बहुत आसान है. इससे सामनेवाला खुश तो होता है, लेकिन बहुत ज्यादा खुश नहीं. यदि आप चाहते हैं कि सामनेवाला आपकी तारीफ को जिंदगीभर याद रखे, तो तारीफ सभी के सामने की जानी चाहिए. दोस्त की यह बात मुङो बहुत अच्छी लगी. तब मैंने समझा कि सार्वजनिक रूप से प्रशंसा करना जरूरी है. मीटिंग में, खाने की टेबल पर, पार्टी में, मंच पर आप अपनों की तारीफ कर सकते हैं. मंच से एक बात याद आ गयी.

दरअसल, यह उन दिनों की बात है, जब मैं जॉब के लिए दूसरे शहर शिफ्ट हो रही थी. पापा मेरे इस निर्णय से ज्यादा खुश नहीं थे. वे डर रहे थे कि घर से दूर बेटी कैसे रहेगी? मुझसे निर्णय बदलवाने के लिए उन्होंने मुझसे बातचीत थोड़ी कम कर दी थी. उन्हीं दिनों मुङो एक संस्था से फोन आया, वे पत्रकारिता में बेहतरीन काम करने के लिए मेरा सम्मान करना चाह रहे थे. मैंने उसे स्वीकारा. जिस दिन सम्मान था, उसके अगले दिन मेरी ट्रेन थी. मैंने पापा से कहा कि मम्मी घर में व्यस्त हैं, क्या आप मेरे साथ प्रोग्राम में चलेंगे? उन्होंने हामी भरी और चुपचाप मेरी स्कूटी पर बैठ गये. सम्मान समारोह में जब मुङो मंच पर बुलाया गया, तो सम्मान पाने के बाद मैंने माइक संभाला और मंच से अपनी सारी उपलब्धियों का श्रेय अपने पापा को दिया. यह भी कहा कि मेरे पापा ने मेरा आत्मविश्वास इतना बढ़ा दिया है कि मैं दूसरे शहर जा रही हूं अपनी अलग पहचान बनाने. इतने सारे लोगों के सामने, अपनी बेटी के मुंह से अपनी तारीफ सुन कर पापा गदगद हो गये और उन्होंने सभी के सामने मुझे गले लगा लिया.

बात पते की..

अकेले में की गयी तारीफ उतनी प्रभावी नहीं होती, जितनी कि सार्वजनिक रूप से की गयी होती है. जहां तक हो सके सभी के सामने तारीफ करें.

पत्नी अच्छा खाना बनाती हों, बच्चे ड्रॉइंग अच्छी करते हों, पति ड्राइव अच्छी करते हों, तो उनकी तारीफ दिल खोल कर करें, उन्हें अच्छा लगेगा.

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