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बनाएं शोध के क्षेत्र में कैरियर

विज्ञान संकाय से पढ़ाई करनेवाले छात्रों के सामने एक तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है- बायोइन्फॉरमेटिक्स. विद्यार्थी की विज्ञान की पढ़ाई के साथ ही अगर शोध में रुचि हो, तो यह क्षेत्र उनके लिए काफी बेहतर साबित हो सकता है. कैरियर के तौर पर बायोइन्फॉरमेटिक्स के विभिन्न आयामों पर एक नजर.. मेडिकल साइंस में विकास […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 7, 2013 12:26 PM

विज्ञान संकाय से पढ़ाई करनेवाले छात्रों के सामने एक तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है- बायोइन्फॉरमेटिक्स. विद्यार्थी की विज्ञान की पढ़ाई के साथ ही अगर शोध में रुचि हो, तो यह क्षेत्र उनके लिए काफी बेहतर साबित हो सकता है. कैरियर के तौर पर बायोइन्फॉरमेटिक्स के विभिन्न आयामों पर एक नजर..

मेडिकल साइंस में विकास के कारण बायोइन्फॉरमेटिक्स के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ता जा रहा है. बायोइन्फॉरमेटिक्स इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और बायोटेक्नोलॉजी से मिल कर बना है. इन दिनों बायोइन्फॉरमेटिक का इस्तेमाल मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के क्षेत्र में खासतौर से किया जाता है. यह एक स्पेशलाइज्ड क्षेत्र है. विशेषज्ञों की मानें, तो इन दिनों बायोइन्फॉरमेटिक्स विशेषज्ञों की मांग आपूर्ति से कहीं ज्यादा है.

कैसा है काम
इस क्षेत्र से जुड़े पेशेवर कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के माध्यम से बायोलॉजिकल डाटा का सुपरविजन और विश्लेषण करते हैं. साथ ही, इनका काम डाटा स्टोरेज करने के साथ-साथ एकत्र किये गये बायोलॉजिकल डाटा को एक-दूसरे के साथ मिलाना भी होता है. इन दिनों बायोइन्फॉरमेटिक्स का इस्तेमाल शोध के क्षेत्र में बहुत हो रहा है. इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए ह्यूमन हेल्थ, एग्रीकल्चर, इन्वायरनमेंट और ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने का भी भरपूर मौका होता है. बायोमॉलिक्यूलर के क्षेत्र में बायोइन्फॉरमेटिक्स का इस्तेमाल दवाओं की क्वालिटी सुधारने के लिए किया जाता है.

क्या है योग्यता
विज्ञान संकाय से 12वीं पास करनेवाले छात्र बायोइन्फॉरमेटिक्स क्षेत्र में प्रवेश ले सकते हैं. यदि इस विषय में अपनी शोध क्षमताओं को और बेहतर करना चाहते हैं, तो ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएट में मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, जेनेटिक्स, माइक्रोबायोलॉजी, केमिस्ट्री, फार्मेसी, वेटेरिनरी साइंस, फिजिक्स और मैथ्स जैसे विषय जरूर होने चाहिए.

रोजगार का क्षेत्र
इन दिनों हर क्षेत्र में तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. विज्ञान का क्षेत्र इसमें सबसे आगे है. इसलिए बायोइन्फॉरमेटिक्स से जुड़े लोगों की मांग इन दिनों तेजी से बढ़ रही है. खासकर जीवीके बायोसाइंसेस, एस्ट्राजेनेका, डॉ रेड्डी लेबोरेट्रीज, इनजेनोविस, जुबिलेंट बायोसंेस, लैंडस्काइ सॉल्यूशंस जैसी बड़ी कंपनियां हैं, जो अच्छा खासा मौका मुहैया करा रही हैं. इस क्षेत्र में सरकारी और निजी मेडिकल संस्थान, अस्पताल आदि में रिसर्च कार्यो के लिए बायोइन्फॉरमेटिक्स के क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों को नियुक्त किया जाता है, लेकिन बायोइन्फॉरमेटिक्स से जुड़े लोगों के लिए फार्माक्यूटिकल उद्योग रोजगार का सबसे बड़ा क्षेत्र होता है.

इस क्षेत्र से जुड़े पेशेवर कुछ खास क्षेत्र में अपना बेहतरीन कैरियर बना सकते हैं, जैसे सीक्वेंस असेंबलिंग, सीक्वेंस एनालिसिस, प्रोटेओमिक्स, फार्माकोजेनोमिक्स, फार्माकोलॉजी, क्नीनिकल फार्माकोलॉजिस्ट, इन्फॉरमेटिक डेवलपमेंट, कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री, बायोएनालिटिक्स, एनालिटिक्स आदि.

विशेषताएं, जो हैं जरूरी
दरअसल, बायोइन्फॉरमेटिक्स का क्षेत्र शोध से जुड़ा हुआ है. इसलिए इस क्षेत्र में कदम रखनेवाले विद्यार्थियों का जिज्ञासू प्रवृत्ति का होने के साथ-साथ उनमें ऑब्र्जेवशन स्किल होनी भी जरूरी है. इस क्षेत्र में सफल होने के लिए टीम भावना का होना भी जरूरी है.

कितना मिलेगा वेतन
बायोइन्फॉरमेटिक्स में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री रखनेवाले विद्यार्थियों को शुरुआत में 12 से 20 हजार रुपये प्रति महीने मिल सकते हैं. सरकारी शोध संस्थानों से काम की शुरुआत करनेवाले विद्यार्थियों को शुरुआती दौर में थोड़े कम वेतन से संतोष करना पड़ता है. लेकिन उन्हें अलग से भी कई तरह के भत्ते मिलते हैं. आमतौर पर एमएनसी में इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को अच्छा वेतन मिलता है.

मुख्य संस्थान

दिल्ली यूनिवर्सिटी , नयी दिल्ली

वेबसाइट : www.du.ac.in

जामिया मीलिया इस्लामिया, नयी दिल्ली

वेबसाइट : www.jmi.nic.in

बंबई यूनिवर्सिटी, मुंबई

वेबसाइट : www.mu.ac.in
कोलकाता यूनिवर्सिटी, कोलकाता

वेबसाइट : www.caluniv.ac.in

हैदराबाद यूनिवर्सिटी, हैदराबाद

वेबसाइट : www.uohyd.ernet.in

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