23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

दिमाग को खाली छोड़ना खतरनाक हो सकता है

हवा में न सिर्फ खुद को उड़ते देखना, बल्कि कई लोगों को अपने दम पर उड़ाना, यह सपना था पुणो की अपूर्वा गिल्चे का. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की एयरोस्पेस एविएशन से कॉमर्शियल पायलट लाइसेंस (सीपीएल) प्राप्त किया, पर 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी ने उनके सपने के आगे दीवार खड़ी कर दी. परिवार की आर्थिक स्थिति […]

हवा में न सिर्फ खुद को उड़ते देखना, बल्कि कई लोगों को अपने दम पर उड़ाना, यह सपना था पुणो की अपूर्वा गिल्चे का. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की एयरोस्पेस एविएशन से कॉमर्शियल पायलट लाइसेंस (सीपीएल) प्राप्त किया, पर 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी ने उनके सपने के आगे दीवार खड़ी कर दी. परिवार की आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए जनवरी, 2011 में इंडिगो के केबिन क्रू में नौकरी शुरू की. पर सपना तो हवाई जहाज उड़ाने का ही था. जो अंतत: 13 दिसंबर, 2013 को पूरा हुआ.

सीपीएल के लिए परिवार को कितना खर्च करना पड़ा और उसका इंतजाम कैसे किया?
ऑस्ट्रेलिया से कॉमर्शियल पायलट लाइसेंस (सीपीएल) और इंस्ट्रमेंट रेटिंग के लिए मेरे परिवार ने लाखों रुपये खर्च किये. शुरुआत में कुछ पर्सनल लोन लिया, फिर एजुकेशन लोन लिया. इसके साथ ही पापा के सबसे अच्छे दोस्त और मेरे कजन ने भी काफी मदद की.

यह कोर्स कितनी अवधि का होता है?
इसकी आधिकारिक अवधि 18 महीनों की होती है. जब मैंने इस कोर्स में प्रवेश लिया, तो इस सेक्टर की काफी मांग थी. इसलिए फ्लाइंग स्कूल में विद्यार्थियों की भरमार हो गयी थी. साथ ही खराब मौसम जैसे कई अन्य कारणों की वजह से कोर्स पूरा होने में लंबा समय लगा. इतना ज्यादा लोन और आर्थिक मंदी के कारण लोन चुकाने में काफी दिक्कत भी हुई. मेरे पिता ने अपनी सारी कमाई और बचत मेरी पढ़ाई पर खर्च कर दी थी. इस समय मेरे कजंस ने बहुत मदद की. पिछले 10 महीनों से मैं को-पायलट के रूप में उड़ान भर रही हूं. अब स्थिति सुधरी है.

ऑस्ट्रेलिया से आपकी वापसी कब हुई?
मई, 2009 में भारत वापस आयी. आने से पहले ही भारत में आयी आर्थिक मंदी से वाकिफ थी.

आर्थिक मंदी के कारण लोन का बोझ आप लोगों पर कितना भारी पड़ रहा था?
शुरू में बहुत परेशानी हुई, लेकिन पापा की हिम्मत ने हौसला दिया. परिवार को भी मुझ पर विश्वास था. मुङो यकीन था कि यह खराब वक्त निकल जायेगा. मैंने एक वर्ष तक हर एयरलाइंस में आवेदन किया. इस दौरान खुद को व्यस्त रखने के लिए कुछ शॉट टर्म कोर्स भी किये, क्योंकि खाली दिमाग सबसे खतनाक होता है.

केबिन क्रू की तरफ कैसे रुख किया?
जब नौकरी की तलाश कर रही थी, उसी बीच पिता जी का रिटायरमेंट हुआ. तब मैंने निश्चय किया कि सीपीएल के लिए इंतजार करने के बजाय पैसा कमाऊंगी. मैं हमेशा हवाई जहाज के आसपास रहना चाहती थी. एक दिन अखबार में इंडिगो एयरलाइंस में केबिन क्रू का वॉक -इन-इंटरव्यू का विज्ञापन देखा और वहां चली गयी.

सीपीएल के बाद केबिन क्रू का काम.. मन में कैसा एहसास था?
शुरुआत में इस स्थिति को हजम करना कठिन था, पर बाद में मैंने इसका पूरा आनंद लिया. मैंने सोचा कि कम से कम अब कॉकपिट में तो आ गयी हूं. वहां मैंने दो वर्ष तक काम किया.

आप केबिन क्रू से कॉकपिट कैसे पहुंचीं?
काफी समय बाद मेरे पास पायलट बनने के लिए इंडिगो से लिखित परीक्षा का कॉल लेटर आया. कॉकपिट की नौकरी के दौरान इस परीक्षा की तैयारी के लिए स्टडी लीव भी दी. 13 दिसंबर, 2012 वह दिन है, जब मैंने पहली बार को-पायलट के रूप में हवाई जहाज में प्रवेश किया. वह मेरी ऑब्जरवेशन फ्लाइट थी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें