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कालाधन पर प्रधानमंत्री मोदी का आह्वान, वैश्विक सहयोग पर जोर

अंतालिय : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार और कालेधन की समस्या से निपटने पर जोर देते हुये आज कहा कि विदेशों में रखी अवैध धन संपत्ति को उनके संबंधित देशों को लौटाने के संबंध में वैश्विक सहयोग बढाने की जरुरत है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत घरेलू स्तर पर भ्रष्टाचार व कालेधन के सृजन […]

अंतालिय : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार और कालेधन की समस्या से निपटने पर जोर देते हुये आज कहा कि विदेशों में रखी अवैध धन संपत्ति को उनके संबंधित देशों को लौटाने के संबंध में वैश्विक सहयोग बढाने की जरुरत है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत घरेलू स्तर पर भ्रष्टाचार व कालेधन के सृजन पर पर अंकुश लगाने के लिये सार्वजनिक खरीद पर जल्द ही एक नया कानून लाया जायेगा. मोदी ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में अत्यधिक गोपनीयता की बाधाओं को भी दूर किया जाना चाहिये.

उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में बेहतर सहयोग के लिये सभी देशों को कर सूचना के स्वत: आदान प्रदान पर आधारित एक साझा रिपोर्टिंग मानक अपनाना चाहिये. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में भ्रष्टाचार और कालाधन के लिये कोई स्थान नहीं है. उन्होंने इन बुराइयों को खत्म करने के लिये उठाये जा रहे कदमों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि विदेशों में रखी अघोषित धन संपत्ति से निपटने के लिये एक नया कानून बनाया गया है जबकि घरेलू स्तर पर भी अवैध संपत्ति के खिलाफ अभियान शुरु किया गया है.

जी- 20 शिखर सम्मेलन के एक कार्य सत्र में हस्तक्षेप करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अवैध धन को जहां से वह आया हो उसे उस देश को लौटाने के मामले में हमें बड़े अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरुरत है. हमें इस समस्या से निपटने के लिये अत्यधिक बैंकिंग गोपनीयता जैसे प्रतिबंधों, जटिल कानूनी और नियामकीय ढांचे की समस्या से भी निपटना होगा.’ मोदी ने कहा, ‘‘हमने बिना हिसाब किताब वाली घरेलू धन संपत्ति के खिलाफ भी प्रभावी अभियान शुरु किया है. हम जल्द ही सार्वजनिक खरीद पर एक कानून बनायेंगे.’ दुनिया भर में खुली और अधिक क्षमतावान वित्तीय प्रणाली स्थापित करने के लिये जी20 के प्रयासों की सराहना करते हुये उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि और स्थायित्व के लिये यह जरुरी आधार है.’

भारत में उन्होंने कहा कि सरकार और केंद्रीय बैंक दोनों ही वित्तीय और बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिये कदम उठा रहे हैं. मोदी ने कहा कि विकासशील देशों में वित्तीय समावेश कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देने अथवा बैंकिंग क्षेत्र के कामकाज में उंची पूंजी आवश्यकता अडचन नहीं बननी चाहिये. उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग और प्रभावी निरीक्षण से सही मायनों में पूंजी जरुरत को कम किया जा सकता है.’ इसके अलावा बैंकिंग सुविधाओं की सुरक्षा के लिये साइबर सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है.

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ को कोटा आधारित संस्थान बना रहना चाहिये और इसे कर्ज पर लिये संसाधनों पर निर्भर नहीं होना चाहिये. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि 2010 के सुधारों को अमेरिका की ओर से जल्द से जल्द अनुमोदन मिलेगा. गौरतलब है कि अमेरिकी संसद ने अभी तक इसका अनुमोदन नहीं किया है. मोदी ने कर-आधार के क्षरण और मुनाफे का स्थानांतरण बीईपीएस के बारे में प्रस्ताव के पैकेज को तय अवधि के भीतर पूरा करने के लिये तुर्की की सरकार की सराहना की. उन्होंने कहा कि स्वत: सूचना आदान प्रदान की पहलों को अमल में लाने के लिये सामूहिक प्रयास किये जाने की जरुरत है.

उन्होंने कहा कि भारत में मेरी सरकार में भ्रष्टाचार और कालेधन के लिये कोई जगह नहीं है. हमने विदेशों में रखी अवैध धन संपत्ति से निपटने के लिये एक नया कानून बनाया है. हमने कई द्विपक्षीय कर संधियां भी की हैं. ताजा स्थिति के अनुसार 18 मार्च 2015 तक भारत सहित दुनिया के 58 देशों ने वर्ष 2017 तक स्वत: सूचना आदान प्रदान के तहत सूचनायें साझा करने की प्रतिबद्धता जताई है. इसके अलावा 36 और देशों ने 2018 तक ऐसा करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है. इनमें ऐसे देश भी शामिल हैं जो कि अब तक इससे फायदा उठा रही थी. मोदी ने कहा जी20 को भ्रष्टाचार की समस्या से निपटने को प्राथमिकता देनी चाहिये. प्रधानमंत्री ने आतंकवादियों को धन पहुंचाने के खिलाफ सहयोग और गहरा करने तथा इसके खिलाफ अधिक प्रभावी कदम उठाने पर जोर दिया.

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