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काश! ये दिमाग देश गढ़ने में लगते

।। अनुज सिन्हा ।।(वरिष्ठ संपादक प्रभात खबर)पटना में हुए बम विस्फोट के बाद झारखंड और बिहार को पूरे देश में आतंकवाद के नये केंद्र के रूप में देखा जा रहा है. नरेंद्र मोदी की पटना में रैली होती है और उसमें विस्फोट होता है. जांच में पता चलता है कि सारी योजना रांची में बनी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2013 3:40 AM

।। अनुज सिन्हा ।।
(वरिष्ठ संपादक प्रभात खबर)
पटना में हुए बम विस्फोट के बाद झारखंड और बिहार को पूरे देश में आतंकवाद के नये केंद्र के रूप में देखा जा रहा है. नरेंद्र मोदी की पटना में रैली होती है और उसमें विस्फोट होता है. जांच में पता चलता है कि सारी योजना रांची में बनी थी. रांची से ही बम पटना ले जाये गये थे. बाद में भी रांची से बम बरामद होते हैं. कुछ गिरफ्तारियां होती हैं. इंडियन मुजाहिदीन (आइएम) के शीर्ष नेताओं से इनके संपर्क का पता चलता है. इसी क्रम में इस बात का प्रमाण मिलता है कि बोधगया में जो विस्फोट हुए थे, उनमें भी आइएम की रांची टीम का हाथ था. इससे जाहिर होता है कि आतंकियों ने झारखंड को अपना सुरक्षित जोन समझ रखा था. अगर पटना में विस्फोट नहीं होता तो शायद इस बात का पता भी नहीं चलता कि झारखंड और बिहार में आतंकियों की जड़ें कहां तक पहुंच चुकी हैं.

झारखंड में पहले भी कुछ ऐसी घटनाएं घटी थीं, जिससे यह लगा था कि इस राज्य पर, यहां के युवकों पर आतंकियों की नजर है. लेकिन इस बार की घटना ने शक को पुख्ता किया है. सबसे चिंता की बात यह है कि आतंकियों ने झारखंड-बिहार जैसे शांत राज्य के प्रतिभाशाली युवकों को अपनी चपेट में ले लिया है. उन्हें भटका दिया है. जिस कमरे से नौ बम बरामद किये गये, वह कमरा था मुजीबुल अंसारी का. वह गांव से यूपीएससी की तैयारी करने रांची आया था. जो आइएएस-आइपीएस बनना चाहता था, वह बम बनाने लगा. उज्जैर खुद एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर है. तकनीकी तौर पर अच्छा जानकार. इसी प्रकार पकड़ा गया एक युवक टॉपरों की सूची में था. ये सब इंडियन मुजाहिदीन के गहरे संपर्क में रहे हैं. इसी संगठन का प्रमुख यासीन भटकल, जो गिरफ्तार हो चुका है, इंजीनियरिंग में स्नातक है. इससे जाहिर होता है कि आतंकी संगठन प्रतिभावान युवकों को फंसा रहे हैं, गुमराह कर रहे हैं और उन्हें अपने संगठन से जोड़ रहे हैं. ये युवक अगर नहीं भटकते, तो देश को मजबूत करने में अपनी भूमिका अदा कर सकते थे. आइएएस-आइपीएस बन कर काम करते तो देश इन पर गर्व करता. इनके परिजनों का सिर गर्व से ऊपर उठ गया होता. जिस तकनीक का उपयोग ये लोग बम बनाने में, देश के लोगों को मारने में कर रहे हैं, अगर उसी तकनीक का वे सही दिशा और सही काम में इस्तेमाल करते तो देश मजबूत होता, तरक्की के रास्ते पर थोड़ा सा आगे जरूर बढ़ता.

युवाओं का आतंकवाद की ओर भटकना, उसका समर्थन करना, उसका हिस्सा बनना अगर चिंतित करता है, तो राहत देनेवाली बात यह है कि एक बड़ा वर्ग ऐसी घटनाओं के खिलाफ खड़ा है. पटना में विस्फोट करते जो लड़का मारा गया, यह कहते हुए उसका शव लेने उसके पिता-भाई नहीं गये कि जो बेटा आतंकी हो गया, उससे उनका कोई संबंध नहीं रहा. उसके परिजनों ने जो कहा, उसे पूरा कर दिखाया. शव को एक एनजीओ की मौजूदगी में दफनाया गया. जिस गांव और मुहल्ले में आतंकियों ने योजना बनायी, बम बनाया, वहां के लोग भी चुप नहीं रहे. उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ सभा की, आवाज उठायी और यह संदेश दिया कि अपने गांव-मुहल्ले को आतंकियों का ठिकाना नहीं बनने देंगे. पूरे देश में ऐसी सभा-बैठक होनी चाहिए. इससे आतंकी संगठनों को साफ-साफ संदेश जायेगा कि इस देश का सच्च नागरिक किसी भी हाल में आतंकवाद का समर्थन नहीं कर सकता.

आतंकी संगठन सुनियोजित तरीके से युवाओं का ‘ब्रेन वाश’ करने में लगे हैं. धर्म के नाम पर उन्हें गलत रास्ते पर ले जाने के लिए तैयार करने की साजिश कर रहे हैं. यही वह समय है, जब युवाओं को सतर्क होना होगा. अच्छे और बुरे में फर्क महसूस करना होगा. आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होना होगा. इस काम में उनके परिजन बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं. यह देखना होगा कि कहीं उनके बच्चे को कोई गुमराह तो नहीं कर रहा. आज सब अपने में मशगूल हैं, लोगों के पास समय नहीं है, ऐसे में बच्चों के प्रति लापरवाही उन्हें गलत रास्ते पर ले जा सकती है.

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