बच्चों के नाखून काटने को न करें नजरअंदाज
कई बच्चों को आपने देखा होगा कि वे अपने दांतों से नाखून काटते रहते हैं. पैरेंट्स इस बात को लेकर परेशान रहते हैं, लेकिन सही इलाज के जरिये बच्चों को इस आदत से छुटकारा दिलाया जा सकता है. होमियोपैथ में कई ऐसी दवाइयां उपलब्ध हैं,जो इस रोग के लिए कारगर हैं. नाखून को दांतों से […]
कई बच्चों को आपने देखा होगा कि वे अपने दांतों से नाखून काटते रहते हैं. पैरेंट्स इस बात को लेकर परेशान रहते हैं, लेकिन सही इलाज के जरिये बच्चों को इस आदत से छुटकारा दिलाया जा सकता है. होमियोपैथ में कई ऐसी दवाइयां उपलब्ध हैं,जो इस रोग के लिए कारगर हैं.
नाखून को दांतों से काटना एक बीमारी तब मानी जाती है, जब वह आदत बन जाती है. रोजाना के कार्यकलापों में दखल देने लगती है. आदत से मजबूर शख्स समाज के बीच ही दांत से नाखून काटता रहता है. इससे सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि नाखून के साथ-साथ अंगुली का चमड़ा भी बरबाद होने लगता है. यह आदत तब और भयानक हो जाती है, जब बच्च बाल खींचने, चमड़ी काटने, नाक नोचने या दांत कटकटाने लगता है. इसे ‘बॉडी फोक्सड रिपेटेटिव बिहेवियर’ कहते हैं. स्कूल जाने वाले 50 फीसदी बच्चे इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं. लड़कियों के अनुपात में लड़के इससे ज्यादा प्रभावित होता है.
कारण : अधिक बेचैनी, उत्तेजित रहना, अकेलापन व गुस्सा आना.
लक्षण : नाखून बहुत छोटे रहना, नाखून के चारों तरफ का चमड़ा कटा-छटा होना, कभी-कभी नाखून के आसपास कटे चमड़े से खून आना, नाखून में दर्द रहना, जरूरी काम छोड़ कर, नाखून काटने में व्यस्त रहना.
पैरेंट्स इस बात का रखें ख्याल
बच्चे का हाथ हमेशा बाहर खींचते न रहें, उससे बच्चा जिद में आकर और उग्र हो जाता है.
बच्चों को दोस्ताना अंदाज में समझाने का प्रयास करें कि यह आदत गलत है.
नाखून को काट कर छोटा रखें.
बच्चों के हाथों को व्यस्त रखें जैसे खुद लिखने में, चित्र बनाने में.
हाथों में दस्ताने पहनाना, मिरची लगाना बेकार होता है.