शहीद अलबर्ट एक्का की समाधि की पवित्र मिट्टी लायी गयी रांची

रांची : परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का की समाधि की पवित्र मिट्टी सोमवार को रांची पहुंच गयी़ गुमला विधायक शिवशंकर उरांव व भूतपूर्व सैनिक कल्याण संघ के सचिव अनिरुद्ध सिंह ने प्रोजेक्ट भवन जाकर पवित्र मिट्टी मुख्यमंत्री रघुवर दास को सौंपी. मुख्यमंत्री को पीतल के कलश में पवित्र मिट्टी सौंपी गयी. मुख्यमंत्री ने इसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 1, 2015 2:40 AM
रांची : परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का की समाधि की पवित्र मिट्टी सोमवार को रांची पहुंच गयी़ गुमला विधायक शिवशंकर उरांव व भूतपूर्व सैनिक कल्याण संघ के सचिव अनिरुद्ध सिंह ने प्रोजेक्ट भवन जाकर पवित्र मिट्टी मुख्यमंत्री रघुवर दास को सौंपी. मुख्यमंत्री को पीतल के कलश में पवित्र मिट्टी सौंपी गयी. मुख्यमंत्री ने इसे अपने हाथों से ग्रहण किया़ कलश काे प्रणाम किया़ इसके बाद कलश को सुरक्षित रखने के लिए अनिरुद्ध सिंह को ही सौंप दिया़.

मुख्यमंत्री ने कहा है कि तीन दिसंबर को वह खुद गुमला जाकर परमवीर अलबर्ट एक्का की धर्म पत्नी बलमदीना एक्का को पवित्र मिट्टी सौपेंगे. शहीद अलबर्ट एक्का की यूनिट 14 गार्ड्स के दो अधिकारी व कई पूर्व सैनिक भी समारोह में शिरकत करेंगे. तीन दिसंबर को शहीद अलबर्ट एक्का के पैतृक गांव जारी में पूर्व सैनिकों द्वारा शहीद मेले का आयोजन किया जाता है. इसी दिन शहीद अलबर्ट एक्का की पुण्यतिथि है़ मुख्यमंत्री ने शहीद अलबर्ट एक्का की समािध की पवित्र मिट्टी लाने के लिए सेना, बीएसएफ व पूर्व सैनिकों के प्रति अाभार जताया है. मौके पर मंत्री लुईस मरांडी, अमर बाउरी भी उपस्थित थे.
कैसे पहुंचे जनार्दन कुमार : इससे पहले बीएसएफ के हेड कांस्टेबल जनार्दन कुमार हावड़ा-हटिया ट्रेन से सुबह सात बजे पवित्र मिट्टी लेकर पहुंचे़ रांची स्टेशन पर भूतपूर्व सैनिक कल्याण संघ के सचिव अनिरुद्ध सिंह ने उन्हें रिसिव किया़ जनार्दन कुमार ने कहा : रविवार दिन के दो बजे एयर इंडिया कुरियर के विमान से वह पवित्र मिट्टी को लेकर अगरतला (त्रिपुरा) से कोलकाता पहुंचे. उन्होंने बताया : मुझे बीएसएफ के सीमांत मुख्यालय के डीआइजी (डीएसअो) जेबी सागवान ने मुझे निर्देश दिया था कि परमवीर अलबर्ट एक्का की कब्र की पवित्र मिट्टी को रांची पहुंचाया है़ मुझे इस काम के लिए चुना गया, इस पर मुझे गर्व है़ उन्होंने कहा : कोलकाता से हावड़ा-हटिया ट्रेन में सफर के दौरान काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा़ ट्रेन की मिलिट्री बोगी में काफी भीड़ थी़ बैठ कर सफर करना पड़ा़ लेकिन इस दौरान मैंने पूरी तरह पवित्र मिट्टी का सम्मान सुनिश्चित किया. उन्होंने इच्छा जतायी है कि वह तीन दिसंबर को अलबर्ट एक्का की पत्नी को मिट्टी सौंपे जाने के कार्यक्रम में शामिल होंगे़
प्रभात खबर जैसी पत्रकारिता करें : सीएम
समाचारों से सरकार ने जाना, कहां है शहीद अलबर्ट एक्का की समाधि
पवित्र मिट्टी ग्रहण करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा : पत्रकारिता प्रभात खबर जैसी होनी चाहिए. उन्होंने अखबार के प्रति अाभार जताते हुए कहा : समाचारों से सरकार को मालूम हुआ कि अलबर्ट एक्का को कहां दफनाया गया था. मीडिया स्वस्थ आलोचना भी करे. पर बेहतर खोजी पत्रकारिता भी करे, ताकि सरकार का ध्यान आकृष्ट हो सके. सरकार का दायरा सीमित होता है, पर समाज का दायरा बड़ा होता है. मीडिया जिन सामाजिक मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकृष्ट करेगी, सरकार 24 घंटे में उसे नोटिस लेगी. उन्होंने कहा : मेरे अंदर कमी हो सकती है, पर मीडिया भी लोकतंत्र का स्तंभ है. यदि मीडिया को ध्यान में आता है, तो उनका भी दायित्व है कि सरकार का ध्यान आकृष्ट कराये.
वीरों की भूमि है झारखंड
सीएम ने कहा : झारखंड प्रदेश वीरों की भूमि है. इनमें परमवीर अलबर्ट एक्का महत्वपूर्ण हैं. उनके साथ झारखंड के दो अन्य वीर सपूत जोसेफ टोपनो और डेविड तिग्गा के परिजनों को भी सम्मानित किया जायेगा. मुख्यमंत्री ने कहा : पाश्चात्य संस्कृति के कारण राष्ट्रभक्ति की भावना कम हो रही है़ यही वजह है कि गांव-गांव में शौर्य रथ को घुमाया जायेगा, ताकि लोगों में अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम जगे और युवा वर्ग कुरबानी देनेवालों के बारे में जान सके. सीएम ने कहा : सरकार सैनिकों के सुख-दुख में हमेशा सहभागी बन कर काम करती है. हाल ही में शहीद कर्नल शुक्ला की पत्नी को नौकरी व जमीन दी गयी. इसी तरह जमशेदपुर में बीएसफ के शहीद जवान के परिजनों को सम्मान दिया गया. 44 वर्ष बाद ही सही अलबर्ट एक्का की पत्नी की इच्छा मीडिया ने सरकार के सामने लाया. किसी भी शहीद के बाबत कोई भी जानकारी मिलेगी, तो सरकार जरूर उनके परिजनों के सम्मान देगी़
उन सभी लोगों का धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने इस कार्य को पूरा करने में अपनी भूमिका निभायी है. पूर्व सैनिकों की मांग पर पूरे राज्य में शौर्य रथ निकाला जायेगा़ रथ गांव-गांव जायेगा, ताकि लोग अपने राज्य के वीर सपूतों के बारे में जान सकें. राज्य में 17-18 वीर सपूत ऐसे हैं, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया. रघुवर दास, मुख्यमंत्री
हिफाजत और सम्मान से रखी जायेगी पवित्र मिट्टी : अनिरुद्ध सिंह
रांची स्टेशन पर शहीद की पवित्र मिट्टी लेकर आये जनार्दन कुमार का स्वागत करने भूतपूर्व सैनिक कल्याण संघ के सचिव अनिरुद्ध सिंह पहुंचे थे. उन्होंने कहा : शहीद की पत्नी को सौंपे जाने तक पवित्र मिट्टी को पूरी हिफाजत अौर सम्मान के साथ रखी जायेगी. इस मिट्टी का रांची आना बहुत खुशी की बात है. उन्होंने कहा : तीन दिसंबर को शहीद मेले का आयोजन गुमला के जारी गांव में होता है. उसी दिन मुख्यमंत्री ने भी आने की सहमति दे दी है. यह बहुत ही खुशी की बात है कि मुख्यमंत्री खुद शहीद के परिजन को पवित्र मिट्टी सौंपेंगे.

शहीद की मिट्टी पाकर निहाल हुआ झारखंड
रांची: झारखंड के वीर सपूत परवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की पवित्र मिट्टी 30 नवंबर को रांची पहुंची़ 44 वर्ष बाद 1971 के भारत-पाक युद्ध के नायक अलबर्ट एक्का के शहीदी से सनी मिट्टी झारखंड को नसीब हुआ़ झारखंड अपने लाल के मिट्टी के लिए तरस रहा था़ अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का ने जब अपने शुभचिंतकों से कहा : हमर पति के अस्थि या माटी भी हमर पास लाइन देवंय, ताकि उकर दर्शन कइर के हम चैन से मइर सकब़ बलमदीना की इस भावनात्मक शब्दों के साथ जैसे पूरे झारखंड की संवेदना और इच्छा जुड़ गयी़ जैसे पूरा झारखंड अपने शहीद की मिट्टी का दर्शन करना चाहता हो.
तीन दिसंबर काे है पुण्यतिथि
3 दिसंबर को अलबर्ट एक्का दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हुए थे़ उनकी पुण्यतिथि तीन दिन बाद है़ ऐसी पवित्र घड़ी में बलमदीना की इच्छा पूरी हुई है. झारखंड आज अपने सपूत की मिट्टी पा कर रोमांचित है़ झारखंड के हीरो की यादें आज हमारे साथ है़ इस कार्य में त्रिपुरा के राज्यपाल ने भी अपने संवेदना दिखायी़ पूरा झारखंड आज ऐसे प्रयास करनेवालों के प्रति कृतज्ञ है़ शहीद परिवार के अरमान पूरा करने के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद दे रहा है़
ऐसे काम करती है हमारी सेना
25 नवंबर को बलमदीना ने पवित्र मिट्टी के दर्शन की इच्छा जतायी थी़ आज वह पवित्र मिट्टी हम तक पहुंच गयी है. यह है हमारे सेना के काम करने का तरीका़ पूरी शिद्दत के साथ हर मिशन को पूरा करते है़ं दो दिनों के अंदर ही सेना ने लायंस नायक शहीद अलबर्ट एक्का की समाधि को खोज कर उसकी मिट्टी झारखंड भेजने का प्रबंध किया़
शहीद अलबर्ट एक्का की समाधि की मिट्टी लाकर गर्व है : जनार्दन
रांची: मुझे जेबी सागवान बीएसएफ डीआइजी (डीएसअो) से निर्देश मिला था कि परमवीर अलबर्ट एक्का की समाधि की पवित्र मिट्टी को रांची पहुंचाना है. मुझे इस काम के लिए चुना गया. इस पर मुझे गर्व है. परमवीर अलबर्ट एक्का 1971 के युद्ध में शहीद हुए थे. उनकी मिट्टी को लाकर मेरा मनोबल अौर बढ़ा है. उक्त बातें सोमवार को बीएसएफ सीमांत मुख्यालय सालबगान अगरतला के हेड कांस्टेबल जनार्दन कुमार ने कही. वे सोमवार को हावड़ा हटिया ट्रेन से सुबह सात बजे रांची पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि रविवार की दोपहर दो बजे वे एयर इंडिया कोरियर के विमान से अगरतला (त्रिपुरा) से कोलकाता पहुंचे. जिसके बाद वे हावड़ा हटिया ट्रेन से रांची पहुंचे. ट्रेन की मिलिट्री बोगी में काफी भीड़ थी अौर उन्हें बैठने की जगह भी मुश्किल से मिल पायी. इस दौरान उन्होंने मिट्टी को हिफाजत से ऊपर रखा. रांची आने पर उन्होंने भूतपूर्व सैनिक कल्याण संघ के सचिव अनिरुद्ध सिंह को शहीद की समाधि की पवित्र मिट्टी सौंपी. उन्होंने इच्छा जतायी है कि तीन दिसंबर को जब अलबर्ट एक्का की पत्नी को मिट्टी सौंपी जाये, तो वे भी उसमें शामिल हो. इधर, स्टेशन पर पवित्र मिट्टी को रिसीव करने पहुंचे अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि इसे हिफाजत अौर सम्मान के साथ रखा जायेगा. उन्होंने कहा कि रविवार की सुबह मिट्टी निकाली गयी अौर सोमवार की सुबह यह रांची पहुंच गयी. यह खुशी की बात है. तीन दिसंबर को शहीद अलबर्ट एक्का के गुमला स्थित उनके पैतृक गांव में वे इसे शहीद की पत्नी बलमदीना एक्का को सौंपेगे.
बलमदीना की आवाज बना प्रभात खबर
प्रभात खबर ने बलमदीना की इच्छा को आवाज दी और पूरी प्रमुखता से खबर छापी़ सामाजिक कार्यकर्ता रतन तिर्की ने भी अहम भूमिका निभायी़ बलमदीना के शुभचिंतक मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिले़ सरकार के स्तर पर भी तत्परता दिखायी गयी़ सरकार ने तुरंत पवित्र मिट्टी लाने और अलबर्ट एक्का की समाधि का पता लगाने के लिए टीम बनायी़ इधर, सरकार तत्परता के साथ बलमदीना की इच्छा पूरा करने में लगी थी, उधर प्रभात खबर भी अपनी संवेदनाओं के साथ अमर शहीद की समाधि का पता लगा रहा था़ प्रभात खबर ने लांस नायक अलबर्ट एक्का का महान समाधि स्थल खोज निकाला. वर्ष 1971 में लड़ाई का नेतृत्व कर रहे 14 गाडर्स के कंपनी कमांडर ओपी कोहली से बात की़ ओपी कोहली ने बताया कि अगरतला में अमर शहीद काे दफनाया गया था़ त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत राय ने भी भरोसा दिलाया कि बलमदीना की इच्छा पूरी करने का वह प्रयास करेंगे़ अलबर्ट एक्का की पवित्र मिट्टी झारखंड भेजी जायेगी़ खबर छपने के साथ ही भूतपूर्व सैनिक कल्याण संघ के अनिरुद्ध सिंह ने भी प्रयास शुरू कर दिया. श्री सिंह ने 14 गार्ड के जेनरल माधवेंद्र सिंह से संपर्क साधा और अगरतला के दुलमी गांव में अलबर्ट एक्का की समाधि का पता चलते ही उसकी मिट्टी लाने का प्रबंध किया़ इस काम में बीएसएफ ने भी अपनी भूमिका निभायी़
इच्छा : गांव में सैनिक स्कूल खुले
गुमला: परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का की ख्वाहिश है कि जीते जी गांव में सैनिक स्कूल खुलता देखे. प्रभात खबर के प्रतिनिधि ने शहीद की पत्नी से जब बात की तो उन्होंने कहा कि मेरे गांव के बच्चे भी मेरे शहीद पति की तरह सेना में भरती होकर देश की सेवा करें. अगर गांव में ही सैनिक स्कूल खुल जाये, तो बच्चे यहां आसानी से पढ़-लिख कर सेना में भरती हो सकते हैं.
बलमदीना ने कहा : जारी दूरस्थ गांव है. धीरे-धीरे गांव का विकास हो रहा है. लेकिन अभी भी इस क्षेत्र के कई सपने अधूरे हैं. मेरे पति के नाम से जारी प्रखंड बना, लेकिन इस प्रखंड के कई गांव अभी भी बहुत दूर व पहाड़ पर हैं. पहाड़ी इलाके के गांव में रहनेवाले बच्चे शहर में जाकर नहीं पढ़ सकते. क्योंकि उनके पास पढ़ने के लिए पैसे नहीं है. अपना पेट पालें कि शहर जाकर पढ़ें. इसलिए अगर जारी में सैनिक स्कूल खुलता है, तो बच्चे आसानी से यहां पढ़ सकते हैं.
नहीं खुला एकलव्य स्कूल : जारी प्रखंड में एकलव्य स्कूल खुलना था, लेकिन नहीं खुला. जबकि स्कूल खोलने की पूरी तैयारी हो गयी थी. अंतिम क्षण में उसे बसिया प्रखंड ले जाया गया. इसमें राज्य के एक नेता का हाथ है. एकलव्य स्कूल के संबंध में कहा : शहीद के प्रखंड के साथ अन्याय हुआ है. जब एकलव्य स्कूल यहां खुलना था तो उसे दूसरे स्थान क्यों ले जाया गया. उन्होंने सरकार से मांग की है कि जारी में एकलव्य स्कूल खोला जाये.
जारी में सेना बहाली के लिए कैंप लगे : भाई : शहीद के छोटे भाई एक्समेन नायक फरदीनंद एक्का भी सेना में थे. वे 1973 से 1994 तक सेना में थे. रिटायर होने के बाद फिलहाल गांव में रह कर खेतीबारी करते हैं. कुछ दिन पूर्व प्रभात खबर से बात करते हुए फरदीनंद से कहा था कि जारी में अलबर्ट एक्का जैसे वीर सपूत ने जन्म लिया है. इस क्षेत्र से कई लोग सेना में हैं. कई लोग रिटायर होकर घर में रहते हैं. परंतु जारी प्रखंड उपेक्षित है. इस क्षेत्र में अगर सेना बहाली के लिए कैंप लगाया जाये, तो कई युवक सेना में भरती लेंगे. इस क्षेत्र की जो स्थिति है, अगर ज्यादा से ज्यादा युवकों को सेना में भरती किया गया, तो क्षेत्र में शांति व अमन चैन रहेगा. सभी युवक देशभक्त हो जायेंगे.
शहीद की समाधि की मिट्टी पर बयानबाजी गलत : अनिरुद्ध
भूतपूर्व सैनिक कल्याण संघ के सचिव और सेवानिवृत भारतीय वायु सेना सेवा कर्मी अनिरुद्ध सिंह ने कहा है कि परमवीर अलबर्ट एक्का की समाधि की मिट्टी पर बयानबाजी करना गलत है. उन्होंने कहा कि सेना और सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों के कामयाब मिशन से शहीद अलबर्ट एक्का की समाधि की पवित्र मिट्टी रांची लायी गयी है. प्रभात खबर संवाददाता से बातचीत के क्रम में उन्होंने कहा कि डीएनए जांच और अन्य तरह की फोरेंसिक जांच कराया जाये अथवा नहीं. यह तय करना सरकार का काम है. राजधानी से प्रकाशित होनेवाली हिंदी दैनिक प्रभात खबर ने हमारी मुहिम को सफल बनाने में मदद की है. उन्होंने कहा कि सोमवार की सुबह हावड़ा-हटिया ट्रेन से पवित्र मिट्टी को लेकर बीएसएफ के हेड कांस्टेबल जर्नादन रांची पहुंचे. हमारे पास पर्याप्त सबूत हैं, जिससे यह साबित हो जायेगा कि लांसनायक अलबर्ट एक्का की समाधि अगरतल्ला में है. यहां पर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए अन्य सैन्य कर्मियों के नाम पर शहीद स्थल बनाया गया है. इसे किसी भी तरह से दरकिनार नहीं किया जा सकता है और न ही किसी तरह का विवाद है.
कैसे हुआ सब
अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि 26 नवंबर को प्रभात खबर में बलमदीना एक्का की इच्छा क्या है खबर देखने के बाद ही वह सक्रिय हो गये थे. हर साल भूतपूर्व सैनिक कल्याण संघ की तरफ से अलबर्ट एक्का के गांव में शहीद दिवस मनाया जाता है. इस दिन शहीद को श्रद्धांजलि दिया जाता है. श्री सिंह ने कहा कि उन्हें भी लगा कि तीन दिसंबर को ही यदि मिट्टी सौंप दी जाये तो शहीद की पत्नी की इच्छा पूरी हो जायेगी. इसके बाद 28 नवंबर को उन्होंने 14 गार्डस बटालियन के सेवानिवृत्त मेजर डीएन दास से फोन पर बात की. उन्होंने जेनरल माधवेंद्र सिंह से बात करने की सलाह दी और उनका नंबर भी दिया. जेनरल माधवेंद्र इंडियन मिलिट्री एकेडमी में भी थे. जब उनसे बात हुई तो उन्होंने कहा कि यह काम हो जायेगा. इसके बाद उन्होंने बीएसएफ के डीआइजी सांगवान से बात की. श्री सांगवान ने ही अार्मी कूरियर के माध्यम से एयर एंडिया के विमान से एक विशेष दूत बीएसएफ के हवलदार जनार्दन कुमार के हाथों पवित्र मिट्टी भेजी. जनार्दन कुमार कल आने वाले थे, पर हमारी व्यग्रता को देखते हुए वह रविवार को ही हावड़ा-हटिया ट्रेन से रांची आ गये और पवित्र मिट्टी का सीलबंद पैकेट सौंप दिया. इसके बाद इसे कलश में रखा गया. उन्होंने कहा कि यह सारा काम 11 से 12 घंटे के भीतर ही हो गया. उन्होंने कहा कि तीन दिसंबर को 14 गार्डस के मेजर डीएन दास भी रहेंगे.

Next Article

Exit mobile version