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चेहरा देख बांस की मूर्ति बनाते हैं संजय

राज्य शिल्प पुरस्कार से नवाजे शिल्पकार ने सीएम नीतीश कुमार की बनायी मूर्ति दिघवारा/सोनपुर : सोनपुर मेला सबसे बड़े पशु मेले के रूप में प्रसिद्ध है. मगर इस मेले में कलाकरों का मेला भी लगता है. कलाकारों के जमावड़ेवाले इस मेले में कलाकार व शिल्पकार अपने हुनर का जलवा बिखेर कर मेला घूमने आनेवाले लोगों […]

राज्य शिल्प पुरस्कार से नवाजे शिल्पकार ने सीएम नीतीश कुमार की बनायी मूर्ति
दिघवारा/सोनपुर : सोनपुर मेला सबसे बड़े पशु मेले के रूप में प्रसिद्ध है. मगर इस मेले में कलाकरों का मेला भी लगता है. कलाकारों के जमावड़ेवाले इस मेले में कलाकार व शिल्पकार अपने हुनर का जलवा बिखेर कर मेला घूमने आनेवाले लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हैं और फिर उनके हुनर को पसंद करनेवाले लोग उनकी कलाकारी के मुरीद हो जाते हैं एवं सहसा उनकी जुबानों से प्रशंसा के अल्फाज निकलने शुरू हो जाते हैं
.
इसमें दो राय नहीं है कि ऐसे कलाकारों के लिए मेला एक ऐसा मंच बनता है, जो कलाकारों को प्रसिद्धि व शोहरत दिलाता है. मेले में मुख्य पंडाल की बगल में अवस्थित कला व शिल्प ग्राम में उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान केंद्र, पटना द्वारा लगाये गये स्टॉल पर हर दिन लोगों की भीड़ एक शिल्पकार की कला को निहारती है. इस मंच पर समस्तीपुर जिले के धमौन के चांदपुर निवासी 36 वर्षीय शिल्पकार संजय कुमार राम दिन भर बांस की मूर्तियां बनाते नजर आते हैं.
श्री राम के हाथों के हुनर से बनी बांस की मूर्तियां आकर्षक व जीवंत जैसी होती हैं. मूर्तियों की जीवंतता ऐसी, मानो बोलने को तैयार हो.
सीएम से मिल कर बताना चाहते हैं शिल्पकारों का दर्द : शिल्पकार संजय ने मेला शुरू होने के बाद बांस से ही सीएम नीतीश कुमार की मूर्ति बनायी है, जिससे उनको काफी प्रसिद्धि मिली है. श्री राम के अनुसार, जल्द ही वह बांस से बिहार का नक्शा बना कर उसमें सीएम श्री कुमार की मूर्ति को स्थापित करेंगे. शिल्पकार श्री राम की इच्छा है कि वह अपने हाथों की बनायी मूर्ति को सीएम को सौंप कर उनसे मिलते हुए शिल्पकारों का दर्द बता सकें.
युवाओं को देते हैं प्रशिक्षण : श्री राम धमौन स्थित अपने घर पर युवक व युवतियां को प्रशिक्षण देते हैं, मगर संसाधनों के अभाव में प्रशिक्षणार्थी रुचि से प्रशिक्षण नहीं ले पाते हैं. संजय ने बताया कि वह असम व बिहार के चुनिंदे बांस से मूर्ति बनाते हैं. बांस की मकौर वेराइटी से मूर्तियां बेहतर बनती है, क्योंकि इसमें कीड़ा नहीं लगता है. उनकी बनायी कृतियों में सोफा, झूला, टाइटेनिक शिप, मोर, बाज, फूल, नटराज आदि प्रमुख हैं.
पिता ने सिखाया इस हुनर को
संजय बताते हैं कि उनके पिता बालेश्वर राम इसी गुण में पारंगत हैं. उन्होंने बांस की मूर्तियों को बनाने का गुण अपने पिताजी से सीखा. पिताजी के द्वारा सिखाये इस हुनर के सहारे ही देश में उनको शोहरत मिली है. श्री राम के अनुसार, वह 1990 से इस कार्य को कर रहे हैं.
उनके भाई रामचंद्र राम व प्रमोद राम भी इस कला में निपुण हैं एवं सभी तीनों भाई राज्य शिल्प पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं. शिल्पकार संजय की खासियत कि वह किसी इनसान का चेहरा व फोटो देख कर 12 दिनों में बांस की उसकी मूर्ति बनाते हैं. बांस की बनी मूर्तियां मनमोहक व जीवंत होती हैं.

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