तेजाब हत्याकांड : 11 साल,11 गवाह,11 तारीख 11.55 बजे आया फैसला
शहर के दो सगे भाइयों की दिनदहाड़े फिरौती के लिए अपहरण कर तेजाब से नहला कर हत्या कर देने के मामले में 11 वर्ष बाद आरोपितों के खिलाफ शुक्रवार 11 तारीख को 11.55 बजे विशेष कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.11 अंकों का यह अजीब संयोग है कि 11 साल पूर्व की घटना में 11 गवाहों […]
शहर के दो सगे भाइयों की दिनदहाड़े फिरौती के लिए अपहरण कर तेजाब से नहला कर हत्या कर देने के मामले में 11 वर्ष बाद आरोपितों के खिलाफ शुक्रवार 11 तारीख को 11.55 बजे विशेष कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.11 अंकों का यह अजीब संयोग है कि 11 साल पूर्व की घटना में 11 गवाहों की सुनवाई के बाद सजा भी 11 तारीख को ही सुनायी गयी.
सीवान : बहुचर्चित तेजाब हत्याकांड में दो दिन पूर्व मो शहाबुद्दीन समेत चार को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने शुक्रवार को सजा सुनाने की तिथि तय की थी. इसको लेकर सुबह से ही हर किसी की निगाहें मंडल कारा के विशेष न्यायालय की ओर टिकी थीं. सुबह से ही जेल कैंपस से लेकर तीन सौ मीटर दूर गोपालगंज मोड़ तक का इलाका पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था.
सुबह 10 बजे धूप खिलने के साथ ही चर्चित कांड में सजा का फैसला जानने के लिए लोग जेल की तरफ बढ़ चले. जेल के समीप मौजूद घटना के पीड़ित व आरोपित पक्ष के शुभचिंतकाें के चेहरे पर सजा जानने की उत्सुकता साफ नजर आ रही थी.
11.30 बजे विशेष अदालत के जज अजय कुमार श्रीवास्तव ने मंडल कारा में प्रवेश किया और आधा घंटा बाद मंडल कारा की विशेष अदालत से बाहर निकले. विशेष लोक अभियोजक जयप्रकाश सिंह ने बाहर खड़े पत्रकारों को फैसले की जानकारी दी. इसके बाद कड़ी सुरक्षा के बीच विशेष लोक अभियोजक रवाना हो गये. बाद में बाहर निकले विशेष न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव भी विशेष सुरक्षा व्यवस्था के बीच यहां से रवाना हो गये. उधर फैसला सुनते ही घंटों से जमी भीड़ भी इधर-उधर हो गयी.
फैसले के समय गंभीर दिखे पूर्व सांसद
कोर्ट में तेजाब हत्याकांड पर फैसला सुनाने के लिए जब यहां विशेष न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव अपनी कुरसी पर दिन 11 बज कर 40 मिनट पर विराजमान हुए, उसके पहले से ही अपने अधिवक्ताओं के साथ मो शहाबुद्दीन गुफ्तगू करते दिखे. सफेद पायजामा व कुरते पर पीले रंग का स्वेटर पहने शहाबुद्दीन के चेहरे पर गंभीरता का भाव साफ नजर आ रहा था.
जज के आने के बाद कठघरे में अपने स्टूल पर शहाबुद्दीन बैठ गये. अन्य तीन सह अभियुक्त कठघरे में पहले से खड़े थे. सजा के बिंदु पर विशेष लोक अभियोजक व आरोपितों के अधिवक्ता ने अपनी दलीलें पेश की. इसके बाद विशेष न्यायाधीश श्री श्रीवास्तव ने अपना फैसला सुनाया. फैसला सुनाने के बाद जज तत्काल अपने चेंबर में चले गये,तो शहाबुद्दीन अपने अधिवक्ताओं के पास बैठ कर सहज मुद्रा में बातें करते रहे
जेल परिसर से लेकर शहर तक चौकसी
कोर्ट के फैसले को लेकर सुबह से ही जेल परिसर से लेकर शहर की हर तरफ चौकस इंतजाम दिखा.जेल के बाहर, गोपालगंज मोड़, जेपी चौक, दरबार सिनेमा के समीप, बड़हरिया मोड़, बबुनिया मोड़ समेत अन्य प्रमुख स्थानों पर पुलिस तैनात रही. इसके साथ ही लॉ एंड ऑर्डर के लिए मजिस्ट्रेट के रूप में आत्मा के उपनिदेशक केके चौधरी, प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी आरके सिंह समेत अन्य कई अधिकारियों की भी जगह -जगह तैनाती रही.
सार्जेंट मेजर अरविंद कुमार सिंह व इंस्पेक्टर अवधेश कुमार सिंह जेल परिसर के अंदर व इंस्पेक्टर प्रियरंजन , मुफस्सिल इंस्पेक्टर ललन कुमार, थानाध्यक्ष विनय प्रताप सिंह समेत अन्य पुलिस अधिकारी जगह-जगह तैनात रहे. इसके अलावा खुद एसपी सौरभ कुमार साह शहर में गश्त करते हुए स्थितियों पर नजर बनाये हुए थे.
ऐसे कसता गया िशकंजा
कॉल डिटेल की रही आरोप साबित होने में प्रमुख भूमिका
विशेष लोक अभियोजक जयप्रकाश सिंह ने कहा कि तेजाब हत्याकांड में आरोपितों को सजा दिलाने में मोबाइल का कॉल डिटेल समेत कई तथ्यों की प्रमुख भूमिका रही, जिसमें मो शहाबुद्दीन के खिलाफ आपराधिक इतिहास, टेलीफोन विभाग के अधिकारी तथा चश्मदीद गवाह राजीव रोशन का बयान प्रमुख रहा. इसके अलावा मृतकों के पिता चंदा बाबू का 164 का बयान व उनके द्वारा कोर्ट में राजीव रोशन के लिखे गये पत्र को प्रस्तुत करना भी साक्ष्य के रूप में प्रमुख माना गया.
अलग-अलग दफा में दोषी करार : शहाबुद्दीन पर 302, 201, 364ए व 120बी के तहत चंदा बाबू के दो पुत्रों गिरीश राज व सतीश राज का अपहरण कर तेजाब से नहलाकर हत्या करने व साक्ष्य मिटाने का आरोप था. वही अन्य आरोपित राजकुमार साह, आरिफ व शेख असलम को दफा 302 व 201 से मुक्त करते हुए अपहरण का आरोप लगाया गया है.
घटना के समय जेल में होने की दलील खारिज
तेजाब हत्याकांड में सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष द्वारा उसके मुख्य अभियुक्त मो शहाबुद्दीन के घटना के वक्त जेल में बंद रहने की दलील को खारिज कर दिया. बचाव पक्ष के अधिवक्ता अभय कुमार राजन ने कहा था कि मेरे मुवक्किल मो शहाबुद्दीन दो बार विधायक व चार बार सांसद रह चुके हैं.
मुकदमे में कोर्ट को हमेशा सहयोग किया है. कभी ऐसा भी हुआ है कि कोई अधिवक्ता विशेष अदालत में उपस्थित नहीं हुए, बावजूद मेरे मुवक्किल ने कोर्ट कार्य में मदद की. हमारे मुवक्किल को राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते जान-बूझ कर फंसाया गया है. अगर मो शहाबुद्दीन कोर्ट की देखरेख में ही मंडल कारा सीवान में 13 अगस्त, 2003 से जेल की सलाखों के पीछे हैं. पूर्व के सभी मुकदमाें में जमानत पर हैं, जिनमें सजा हो चुकी है, उसकी अपील हाइ कोर्ट में लंबित है तथा हाइ कोर्ट से उन मामलों में जमानत मिल चुकी है.
सात सह अभियुक्तों का मुकदमा लंबित
तेजाब हत्याकांड में जहां चार आरोपितों को कोर्ट ने सजा सुना दी है,वहीं इससे संबंधित अन्य सात अभियुक्तों का मामला प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तिलेश्वर राम के अदालत में लंबित है. 6 अक्तूबर, 2012 को तत्कालीन जज के द्वारा आरोप गठित किया जा चुका है, जिसमें अभियोजन ने अब तक किसी भी गवाह को प्रस्तुत नहीं किया है. साथ ही अभियोजन का कहना है कि आरोप में सुधार के लिए पांच माह पूर्व आवेदन दिया है. जिस पर 16 दिसंबर को सुनवाई है.
ये हैं सात अिभयुक्त : आफताब, चांप, थाना सराय ओपी, मकसूद मियां, निवासी प्रतापपुर, थाना हुसैनगंज, झब्बू मियां, प्रतापपुर, थाना हुसैनगंज, अजमेर मियां, निवासी तेतरिया, थाना हुसैनगंज, नागेंद्र तिवारी, गौशाला रोड, थाना मुफसिल, छोटे लाल शर्मा, निवासी दरोगा हाता, थाना मुफसिल, कन्हैया लाल, निवासी दक्षिण टोला, थाना नगर
अपराध राजनीित
सी वान में साहेब के नाम से मशहूर राजद नेता व पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन का लंबे समय तक जिले की राजनीति में धमक रही है. साथ ही राज्य की राजनीति में भी उनकी पहचान रही है. किसी के सामने नहीं झुकने के लिए भी शहाबुद्दीन जाने जाते हैं.
एक समय ऐसा भी रहा जब शहाबुद्दीन के राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से भी तल्ख रिश्ते हो गये थे. और यहां तक की प्रतापपुर में हुए तत्कालीन एसपी बच्चु सिंह मीणा के शहाबुद्दीन विरोधी ऑपरेशन को लालू के शह पर किये जाने की भी चर्चा रही. कहा जाता है कि अगर शहाबुद्दीन वहां से नहीं भागते, तो उन्हें मारने का प्लान था. इसके बाद शहाबुद्दीन जेल में बंद रहे.
1990 में पहली बार िवधानसभा पहुंचे
जहां तक शहाबुद्दीन के राजनीतिक कैरियर की बात है, तो 1990 में वे जीरादेई विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये. इसके बाद तो शहाबुद्दीन की राजनीति लगातार आगे बढ़ती गयी और उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. 1995 में लगातार दूसरी बार जीरादेई से विधायक बने.
फिर 1996 के लोकसभा चुनाव में जनता दल की टिकट पर खड़े हुए. और विजयी रहे. इसके बाद तो शहाबुद्दीन का राजनीतिक कद लगातार बढ़ता गया. 1998, 1999, 2004 तक लगातार चार बार सीवान लोकसभा क्षेत्र का उन्होंने प्रतिनिधित्व किया. दो दशक तक शहाबुद्दीन की धाक रही . जिले में राजद का मतलब शहाबुद्दीन से था. जिला परिषद से लेकर नगर परिषद व विधान परिषद एवं विधानसभा तक की राजनीति जिले में उन्हीं के इशारे पर होती रही.
2000 में बचायी थी सरकार!
राजनीति के साथ ही अपराध की दुनिया में भी उनकी धाक बतायी जाती है. वर्ष 2000 में अल्पमत की सरकार को बहुमत में बदलने में शहाबुद्दीन का बड़ा योगदान रहा था. इधर दो चुनाव में उनकी पत्नी के चुनाव हारने और लगातार करीब 12 वर्ष से जेल में बंद होने के कारण उनका राजनीतिक कद कुछ कम होता माना गया.
लेकिन, शहाबुद्दीन की बादशाहत बरकरार रही. 2015 में राजद और जदयू के गठबंधन से मो. शहाबुद्दीन जिले की राजनीति में केंद्र में आ गये और इस वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में जिले में महागंठबंधन की सीटों का फैसला उनके द्वारा हीं किये जाने की बात सामने आयी.
सोशल मीडिया पर छायी रही चर्चा
फैसले का स्वागत : शहाबुद्दीन का फैसला क्रिया व प्रतिक्रिया के बीच सोशल मीडिया पर छा गया. कई लोगों ने स्वागत किया. साथ ही कहा कि जिस बाप ने अपने जिंदगी में ही दरिंदों के करतूतों के चलते तीन बेटों को कंधा देने को विवश हुआ. उसके लिए न्यायालय का यह फैसला सुकून भरा है.
फैसला सुनाने वाले जज 24वीं बैच के हैं पीसीएसजे
बहुचर्चित तेजाब हत्याकांड का फैसला सुनाने वाले एडीजे व सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर गठित विशेष अदालत के विशेष न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव 24वे बैच के पीसीएसजे हैं. इसके पूर्व वे मुजफ्फरपुर में व्यवहार न्यायालय में एडीजे के रूप में पदस्थापित रह चुके हैं.
इसके बाद अब वे यहां पिछले दो वर्ष से तैनात हैं.यहां पूर्व में तैनात रहे एडीजे एसके पांडे के बेतिया स्थानांतरण के बाद यहां हाई कोर्ट के निर्देश पर श्री श्रीवास्तव को विशेष न्यायाधीश का दर्जा दिया गया था. यह कहा जाता है कि न्यायिक सेवा में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए बहुचर्चित तेजाब कांड की सुनवाई की जिम्मेदारी हाई कोर्ट ने अजय कुमार श्रीवास्तव को दी थी.
पांच मामलों में हो चुकी है सजा
– छोटेलाल अपहरण कांड में उम्रकैद
– आर्म्स एक्ट के मामले में 10 वर्षों की सजा.
– एसपी सिंघल पर जानलेवा हमले के मामले में 10 वर्षों की सजा.
– चोरी की मोटरसाइकिल बरामदगी में तीन वर्षों की सजा.
– भाकपा कार्यालय पर गोली चलाने के आरोप में दो साल की सजा.
दो मामलों में हो चुके हैं बरी
– डीएवी कॉलेज में परीक्षा के दौरान बमबारी
– दारोगा संदेश बैठा से मारपीट का मामला
…अब भी उम्मीद
सलमान के फैसले की नजीर देंगे
तेजाब हत्याकांड में बचाव पक्ष के अधिवक्ता अभय कुमार राजन ने कहा कि विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ जल्द ही हाइ कोर्ट में अपील करूंगा, जहां से हमारे मुवक्किल को राहत मिलेगी.
तेजाब हत्याकांड जिस समय अंजाम दिया गया,उस समय मेरे मुवक्किल जेल मे बंद थे. इसके बाद भी उन्हें दोषी ठहराया गया है. पुलिस ने भी पूरे मामले के अनुसंधान के दौरान जेल प्रशासन से जुड़े किसी अधिकारी का बयान नहीं लिया है, जिससे कि यह साबित हो सके कि मो शहाबुद्दीन ने जेल से निकल कर घटना को अंजाम दिया. उन्होंने कहा कि जेल से निकलने के लिए तीन दरवाजों से गुजरना पड़ता है.
अगर अभियोजक पक्ष की दलीलें अगर सही हैं, तो आखिर उनका रजिस्टर पर हस्ताक्षर क्यों नहीं हुआ और उन्हें अधिकारियों ने क्यों नहीं रोका. अगर दलीलें सही हैं तो जेल अधिकारियों को भी दोषी मानते हुए उन्हें भी सजा मिले. शहाबुद्दीन के राजनैतिक रसूख के चलते प्रतिद्वंद्वियों ने द्वेष से उनको फंसाने का काम किया है. इसके अलावा फिल्म अभिनेता सलमान खान के हाल में हिट एंड रन के मामले में दोष मुक्त होने के फैसले का हवाला देते हुए अधिवक्ता अभय कुमार राजन ने कहा कि मेरे मुवक्किल को भी उसी आधार पर बरी किया जाना चाहिए.
अन्य तीन का नहीं आपराधिक रेकॉर्ड
सह अभियुक्त बनाये गये तीन आरोपितों में से किसी पर भी पूर्व में कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है. पुलिस रिकाॅर्ड का हवाला देते हुए बचाव पक्ष के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह व इष्टदेव तिवारी ने कहा कि जिन व्यक्तियों पर कभी कोई मुकदमा नहीं रहा, उसके खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कराना मात्र साजिश है.
16 तारीख को ही तीनों बेटे खो िदये चंदा बाबू ने
16 अगस्त, 2004 की सुबह के 10 बजे हैं, शहर के गोशाला रोड स्थित अर्धनिर्मित मकान पर भूमि विवाद को लेकर शहर के प्रसिद्ध व्यवसायी चंदकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के मकान पर जमीन को लेकर पंचायती हो रही है. इसी दौरान कुछ लोग चंद्रकेश्वर बाबू और उसके परिवार के सदस्यों के साथ मारपीट पर उतारू हो जाते हैं. फिर कुछ शरारती तत्वों के आने के बाद मारपीट शुरू हो जाती है. इसके बाद अपनी आत्मरक्षा में चंद्रकेश्वर प्रसाद के परिजन घर में रखे तेजाब का प्रयोग करते हैं, जिससे कई लोग जख्मी हो जाते हैं. फिर तेजाब हत्याकांड की पटकथा लिखी जाती है. कुछ देर बाद ही बड़हरिया रोड स्थित दुकान से चंदा बाबू के बेटे गिरीश राज उर्फ निकु (24 वर्ष) का दिनदहाड़े अपहरण कर लिया जाता है.
फिर नगर थाने के नजदीक चिउड़ा हट्टा बाजार से चंदा बाबू के दूसरे बेटे सतीश राज उर्फ सोनू का भी अपहरण कर लिया जाता है. फिर इस मामले में फोन से धमकी और रंगदारी मांगने की भी बात सामने आती है. थाने में अज्ञात के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज हुआ. बाद में इस मामले में मो शहाबुद्दीन सहित 13 का नाम अनुसंधान में शामिल किया गया.
तेजाब से नहला कर हुई दोनों भाइयों की हत्या : अपहृत गिरीश और सतीश को प्रतापपुर लाया जाता है, जहां तेजाब से नहला कर दोनों की हत्या कर शव को ठिकाने लगा दिया जाता है. इस मामले में अपहृत की मां कलावती देवी के बयान पर नागेंद्र तिवारी व मदन शर्मा को नामजद किया गया, जिसमें बाद में अनुसंधान के क्रम में पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन व अन्य 10 का नाम आया.
सात साल बाद सामने आया चश्मदीद : घटना के सात साल बाद तेजाब हत्याकांड के चश्मदीद के रूप में गिरीश और सतीश के बड़े भाई राजीव रोशन सामने आये और उसने छह जून, 2011 को चश्मदीद के रूप में अपना बयान दर्ज कराया. उसने खुलासा किया कि दोनों भाइयों के साथ ही उसका भी अपहरण कर लिया गया था. तीनों को अपहरणकर्ता शहाबुद्दीन के पैतृक गांव प्रतापपुर ले गये, जहां उसकी आंखों के सामने दोनों भाइयों को तेजाब से नहला कर मार डाला गया. यह सब शहाबुद्दीन के आदेश पर उनके सामने हुआ. इस बीच राजीव किसी तरह घटना स्थल से भागने में सफल रहा.
राजीव की गवाही पर उठे थे सवाल : सात साल बाद चश्मदीद राजीव रोशन को दावे और उसकी गवाही पर प्रश्न खड़े हुए थे. तत्कालीन विशेष सत्र न्यायाधीश ए के पांडेय की अदालत ने सुनवाई के दौरान शहाबुद्दीन के खिलाफ मामला चलाने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर फिर शहाबुद्दीन के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई. कोर्ट को राजीव रोशन ने बताया था कि घटना के बाद अपनी हत्या की आशंका से वह गोरखपुर में छिप कर रह रहा था. फिर शहाबुद्दीन के जेल जाने और बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद उसने वापस आ कर गवाही देने की हिम्मत जुटायी.
नौ सितंबर 09 को मामले में रिमांड पर लिये गये : पूर्व सांसद व तेजाब हत्याकांड के आरोपित मो शहाबुद्दीन नौ सितंबर को रिमांड पर लिये गये. इस मामले में 11 साल के इंतजार के बाद 11 दिसंबर को फैसला हुआ. इस दौरान 11 गवाहों ने अपनी गवाही दी. यह भी संयोग ही है कि नौ तारीख को ही इस मामले में वे दोषी करार दिये गये.
तब जेल में बंद थे शहाबुद्दीन : तेजाब हत्याकांड के समय पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन मंडल कारा सीवान में बंद थे. फिर चश्मदीद राजीव रोशन के बयान पर कोर्ट ने यह माना कि मो शहाबुद्दीन ने कानून को तोड़ते हुए जेल से निकल कर अन्य साथियों के साथ मिल कर इस दोहरे हत्या कांड को अंजाम दिया. पूर्व सांसद पर हत्या, हत्या की नीयत से अपहरण, साक्ष्य छुपाने व आपराधिक षड्यंत्र का दोष सिद्ध हुआ है. चंद्र केश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू अपने दोनों बेटों का अंतिम दर्शन भी नहीं कर सके. उनके दोनों बेटों की हत्या के बाद शवों को ठिकाने लगा दिया गया, िजसे पुलिस बरामद नहीं कर सकी.
चश्मदीद राजीव रोशन की भी कर दी गयी हत्या : तेजाब हत्याकांड के एकमात्र चश्मदीद गवाह राजीव रोशन की भी हत्या 16 जून ,14 को नगर के डीएवी मोड़ पर ओवर ब्रिज के नजदीक गोली मार कर कर दी गयी. इस मामले में राजीव रोशन के पिता चंद्र केश्वर प्रसाद के बयान पर शहाबुद्दीन व उनके बेटे ओसामा के विरुद्ध नगर थाने में हत्या की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी.
उच्च न्यायालय के आदेश के डेढ़ माह बाद ही हो गयी चश्मदीद की हत्या : पटना उच्च न्यायालय ने एक मई, 2014 को पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन के विरुद्ध तेजाब हत्याकांड में हत्या व षड्यंत्र को लेकर आरोप गठन का आदेश दिया. मामला फिर से सुना जाना था. इसी बीच 16 जून, 2014 को राजीव रोशन की हत्या कर दी गयी, जो अपने दोनों भाइयों की हत्या का चश्मदीद गवाह था.
चार को उम्रकैद : आरोपित शहाबुद्दीन व उनके सहयोगी राजकुमार साह, शेख असलम, मोनू उर्फ सोनू उर्फ आरिफ हुसैन को मंडल कारा में गठित विशेष कोर्ट में आजीवन कारावास की सजा सुनायी. वहीं हत्याकांड में नामजद अन्य सात आरोपितों के विरुद्ध भी सेशन कोर्ट में मामला चल रहा है. अब इस फैसले का इंतजार भी पीड़ित परिवार व अन्य लोगों को है.