भगवान की जमीन भी झपट रहे इनसान
मंदिर-मठ की 20% जमीन पर मठाधीशों का कब्जा भगवान के बजाय कुछ लोग अपने नाम पर जमीन करा लेते हैं रजिस्ट्री प्रहलाद कुमार पटना : भगवान को नहीं माननेवाले लोग अब उनके नाम पर रजिस्ट्री की गयी जमीन भी झपट ले रहे हैं. बिहार में मंदिर-मठ के अभी 20 प्रतिशत ऐसे मामले हैं, जिन पर […]
मंदिर-मठ की 20% जमीन पर मठाधीशों का कब्जा
भगवान के बजाय कुछ लोग अपने नाम पर जमीन करा लेते हैं रजिस्ट्री
प्रहलाद कुमार
पटना : भगवान को नहीं माननेवाले लोग अब उनके नाम पर रजिस्ट्री की गयी जमीन भी झपट ले रहे हैं. बिहार में मंदिर-मठ के अभी 20 प्रतिशत ऐसे मामले हैं, जिन पर मठाधीशों का वर्चस्व है.
दरअसल मंदिर की जमीन का रजिस्ट्री गलत ढंग से मठाधीशों ने अपने नाम पर करा ली है, बाकी 80 प्रतिशत मंदिर की जमीन को लेकर कोई विवाद नहीं है. ऐसी जमीन भगवान के नाम पर करायी गयी है. बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के नियमानुसार हर सार्वजनिक मंदिर का रजिस्ट्रेशन न्यास से आवश्यक है, वरना उनके ऊपर कार्रवाई की जायेगी.
बिहार में मंदिरों व मठों के अस्तित्व तथा अतिक्रमण से बचाने को लेकर धार्मिक न्यास बोर्ड गंभीर है. वह इस दिशा में लगातार काम भी कर रहा है. न्यास बोर्ड में अभी भी 400 से अधिक मामले लंबित हैं.
उन मामलों में आवश्यक कानूनी कार्रवाई चल रही है. हाल के दिनों में दरभंगा के मंदिर से अतिक्रमण हटाया गया है. बोर्ड के अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल कहते हैं कि लोगों ने मंदिर-मठ की जमीन को गलत ढंग से किसी-न-किसी व्यक्ति विशेष ने अपने नाम पर रजिस्ट्री करा ली है. इस कारण से आज भी न्यास 20 प्रतिशत मंदिर पर कानूनी लड़ाई लड़ रहा है. कुछ लोग भगवान के बजाय अपने नाम रजिस्ट्री करा लेते हैं. ऐसे में वहां से अतिक्रमण हटाने में परेशानी होती है.
सार्वजनिक मंदिरों का नहीं करा रहे निबंधन
पटना : धार्मिक न्यास पार्षद में सार्वजनिक मंदिरों के निबंधन कराने की रफ्तार काफी है. पटना प्रमंडल में अब तक 1000 सार्वजनिक मंदिरों में से कुल 285 मंदिरों ने ही निबंधन कराया है.
सूबे में मंदिरों के बेहतर संचालन और प्रशासनिक व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए बिहार हिंदू धार्मिक अधिनियम 1950 बनाया गया था. इसके तहत सभी सार्वजनिक मंदिरों को बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के तहत निबंधन कराना था. ऐसा नहीं करने पर एक्ट के मुताबिक ट्रस्टी को छह माह की सजा या जुर्माना हो सकता है.
अधिनियम बनने के बाद 1950-60 के बीच में लगभग 40 मंदिरों पर कार्रवाई की गयी थी, जो निबंधन एक्ट का पालन नहीं कर रहे थे. स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद पर्षद द्वारा मंदिर का निरीक्षण हुआ और उन पर कार्रवाई हुई. बाद में उन मंदिरों का निबंधन कराया गया. उसके बाद से लोगों ने शिकायत करनी भी छोड़ दी है और इसकी रफ्तार धीमी हो गयी.
जब किसी मंदिर के निबंधन की बात सामने आती है, तो वहां की व्यवस्था को जांचने के लिए निबंधन कमेटी की टीम जाती है, जो मंदिर की हर बिंदु को बड़ी बारिकी से देखती है. मंदिर के ट्रस्टी व कमेटी से मंदिर का पूरा ब्योरा लेती है.
सार्वजनिक मंदिरों का निबंधन बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद में होना जरूरी है. इसकी जिम्मेवारी मंदिर के ट्रस्टी की है. अगर वहां के नागरिक शिकायत करेंगे, तो उन पर कार्रवाई का भी प्रावधान है. मंदिर का निबंधन नहीं कराना एक कानूनी अपराध है.
-आचार्य किशोर कुणाल, अध्यक्ष, बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद